एमपी बोर्ड ने बदला नम्बर देने का पेटर्न, छात्रों के पिछले तीन सालों के रिजल्ट से दो फीसदी से ज्यादा नहीं होगा परिणाम

भोपाल, छत्तीसगढ़ बोर्ड की ओर से दो दिनों पहले जारी किए गए 10 वीं के परीक्षा परिणामों में 100 फीसदी विद्यार्थी उत्तीर्ण होने के साथ 97 फीसदी विद्यार्थी प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण हुए हैं। यह कारनामा स्कूलों द्वारा अपने विद्यार्थियों को आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर परिणाम तैयार करने की प्रक्रिया के चलते हुआ है, लेकिन मप्र माध्यमिक शिक्षा मण्डल ने 10 वीं के परिणाम में एक पेंच लगाकर एसा हो सकने की संभावना को कमजोर कर दिया है। इसके चलते निजी स्कूल संचालक परेशान है।
मप्र माध्यमिक शिक्षा मण्डल ने 10वीं का परीक्षा परिणाम स्कूलों के आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर मंगाया है। स्कूलों को विद्यार्थियों के मासिक, छहमाही, प्री बोर्ड के प्रदर्शन के आधार पर नम्बर भरकर बोर्ड को भेजने हैं, जिसके आधार पर विद्यार्थियों का रिजल्ट तैयार होगा। हालांकि इस प्रक्रिया में सभी विद्यार्थियों का उत्तीर्ण होना तय है, लेकिन स्कूल मनमाने अंक भरकर अपने विद्यार्थियों को रिजल्ट बहुत अच्छा नहीं बना सकेंगे। बोर्ड ने स्पष्ट किया है कि इस वर्ष का रिजल्ट स्कूलों के पिछले तीन सालों के रिजल्ट से दो फीसदी से ज्यादा ऊपर नहीं होना चाहिए। इसके चलते निजी स्कूलों संचालक अपने स्कूलों के बोर्ड के रिजल्ट को बहुत बढ़ा-चढ़ाकर नहीं बना सकेंगे। यही कारण है कि छत्तीसगढ़ से इतर प्रदेश में परिणाम संतुलित रहेंगे लेकिन यह व्यवस्था निजी स्कूलों को ज्यादा पसंद नहीं आ रही है।
3 वर्षों के औसत से प्लस 2 प्रतिशत से ज्यादा नहीं होंगे नतीजे
माध्यमिक शिक्षा मण्डल के सचिव उमेश सिंह का कहना है कि आतंरिक मूल्यांकन के आधार पर अंक मंगाते समय बोर्ड ने पिछले तीन वर्षों के औसत देखने का प्रावधान रखा है। किसी भी स्कूल का रिजल्ट पिछले तीन वर्षों के औसत से प्लस दो फीसदी से ज्यादा नहीं हो सकता। इससे परिणाम सही रहेंगे।

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