चौपाल

कमलनाथ का छूटेगा नेता प्रतिपक्ष का पद
पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बने रहेंगे या फिर दिल्ली में उन्हें कोई जिम्मेदारी दी जाएगी? यह 3 जनवरी को दिल्ली में आयोजित कोर ग्रुप की बैठक में तय हो सकता है। हालांकि कमलनाथ कह चुके हैं कि वे फिलहाल मप्र में ही रहेंगे। लेकिन कमलनाथ नेता प्रतिपक्ष का पद छोड़ देंगे,यह लगभग तय हो चुका है। आगे यह जिम्मेदारी किसे मिलेगी,केंद्रीय नेतृत्व ही तय करेगा। इसके लिए विधायक डा.गोविंद सिंह,सज्जन सिंह वर्मा,एनपी प्रजापति और बाला बच्चन नेता प्रतिपक्ष पद के प्रबल दावेदार हैं। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह डा.गोविंद सिंह की पैरवी कर रहे हैं, जबकि कमलनाथ कैंप बाला बच्चन के लिए लॉबिंग कर रहा है। नेता प्रतिपक्ष कौन होगा? इसको लेकर कमलनाथ ने कहा है कि यह विधायक आपसी सहमति के आधार पर तय करंगे।
कांग्रेस सूत्रों ने बताया कि कमलनाथ 6 जनवरी तक दिल्ली में रहेंगे। वे 3 जनवरी को होने वाली कोर ग्रुप की बैठक में शामिल होंगे। यह बैठक कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव को लेकर बुलाई गई है।जिसमें अगले एक महीने में पार्टी के अध्यक्ष पद सहित कार्यसमिति के 12 सदस्यों के चुनाव कराने के लिए तैयार को लेकर निर्णय होना है। लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ की भूमिका भी इस दौरान तय होने की संभावना है। क्योंकि सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल और कोषाध्यक्ष मोतीलाल वोरा के निधन के बाद 10 जनपद के भरोसेमंद नेता कमलनाथ हैं। ऐसे में उन पर कोषाध्यक्ष की जिम्मेदारी लेने का दबाब गांधी परिवार से रहेगा।
नेता प्रतिपक्ष का पद छोडऩे जानकारी सोनिया को
सूत्रों के अनुसार कमलनाथ ने 18 दिसंबर को राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की थी। इस दौरान उन्होंने नेता प्रतिपक्ष का पद छोडऩे के बारे में सोनिया गांधी को बता दिया था। अब फैसला दिल्ली को लेना है। इसके संकेत पहले भी मिले थे, लेकिन उप चुनाव के चलते यह फैसला नहीं हो पाया था। प्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव तीन महीने के लिए टल गए हैं। इसलिए यह माना जा रहा है कि अब मार्च के महीने में ही यह चुनाव होंगे। प्रदेश अध्यक्ष की कमान उनके पास होने से चुनाव प्रचार की कमान भी कमलनाथ के पास ही होगी।

नया आवास मिलने तक बंगले खाली नहीं करेंगे
शिवराज सरकार ने कमलनाथ सरकार के पूर्व मंत्रियों पर बंगला खाली कराने के लिए नोटिस देकर दबाब बनाया जा रहा है, लेकिन पूर्व मंत्री नया आवास नहीं मिलने की वजह से बंगला खाली नहीं कर रहे हैं। गृह विभाग ने पूर्व मंत्रियों को दूसरी बार बेदखली का नोटिस देकर कहा है 15 जून तक बंगला खाली नहीं करते हैं तो बल प्रयोग कर खाली कराया जाएगा। इसके बाद पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने अन्य पूर्व मंत्रियों के साथ बैठक में तय किया है कि जब तक सरकार नया आवास आवंटन नहीं करती है, तब तक बंगला खाली नहीं किए जाएंगे।
सरकारी आवास खाली करने के संपदा से बेदखली नोटिस मिलने के बाद राजधानी में आधा दर्जन पूर्व मंत्रियों ने बैठक की। जिसमें मंत्री सज्जन सिंह वर्मा, विजय लक्ष्मी साधो, तरुण भनोत, पीसी शर्मा शामिल हुए। बैठक में यह तय हुआ है कि फिलहाल पूर्व मंत्री सरकारी बंगला खाली नहीं करेंगे और संपदा की किसी भी तरह की कार्रवाई के लिए सभी तैयार रहेंगे। सरकारी आवास को लेकर अब पूर्व की कमलनाथ सरकार के मंत्रियों और मौजूदा बीजेपी सरकार के बीच तकरार तेज हो चुकी है। इससे पहले सरकारी बंगला खाली कराने के नोटिस को लेकर पूर्व मंत्रियों ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखकर आवास आवंटन की मांग की है कि उन्हें अभी तक न तो जवाब मिला है और न ही आवास।
उल्लेखनीय है कि संपदा ने पूर्व में भी 22 पूर्व मंत्रियों को बंगला खाली करने का नोटिस जारी किया था। पूर्व वित्त मंत्री तरुण भनोट के सरकारी बंगले को सील कर दिया गया था, लेकिन उस वक्त तरुण भनोट के सरकारी आवास पर मौजूद नहीं होने के चलते बाद में सील खोलकर उन्हें सामान निकालने की कुछ समय की मोहलत दी गई थी। एक दिन पहले ही संपदा की टीम तरुण भनोट का सरकारी बंगला खाली कराने पहुंची थी लेकिन तरुण भनोट के गैर मौजूद होने के कारण टीम वापस लौट गई। अब संपदा ने 15 जून तक बंगला खाली करने की मोहलत दी है।

रिजल्ट सुधारो
मध्य प्रदेश में इस बार से 5वीं और 8वीं की बोर्ड परीक्षाएं होने जा रही हैं। बोर्ड परीक्षाओं में रिज़ल्ट बेहतर हो इसकी कवायद अभी से शुरू हो गई है। बोर्ड परीक्षाओं से पहले तैयारियों का जायजा लेने के लिए अधिकारी स्कूलों में पहुंच रहे हैं। अफसरों ने सरकारी स्कूलों में छात्र-छात्राओं की कॉपियां चेक कीं, ताकि बोर्ड परीक्षाओं से पहले स्कूलों में शिक्षकों की तैयारियों को परखा जा सके। इस दौरान अफसरों द्वारा शिक्षकों को भी परखा जा रहा है कि आखिर वे बच्चों को पढ़ा क्या रहे हैं? स्कूल शिक्षा के स्तर में सुधार को लेकर अफसर सरकारी स्कूलों के दौरे कर रहे हैं। इस दौरान अफसरों ने छात्र-छात्राओं की कॉपियां चेक कीं साथ ही शिक्षकों के शैक्षणिक स्तर की जानकारी ली। भोपाल में जिला परियोजना समन्वयक प्रभाकर श्रीवास्तव शासकीय उच्चतर माध्यमिक शाला विद्यानगर सहित 3-4 स्कूलों में पहुंचे। जिला परियोजना समन्वयक का कहना है कि कॉपियों की चैकिंग से बच्चों का कोर्स पूरा हुआ है या नहीं इस बात का भी परीक्षण किया जा रहा है। शिक्षक सही तरीके से बच्चों को पढ़ा रहे हैं या नहीं, इसे भी परखा जा रहा है। बैरसिया ब्लॉक के चांदासलोई स्कूल में भारी गड़बडिय़ां मिली। इस स्कूल में ना तो बच्चों का अभ्यास कार्य पूरा हुआ है और ना ही बच्चों की कॉपियां चेक की हुई मिलीं। प्रदेश भर से कॉपियों को चैक करने की रिपोर्ट राज्य शिक्षा केंद्र को भेज दी गई है। सारे स्कूलों की रिपोर्ट को परखने के बाद लापरवाही बरतने वाले स्कूलों के शिक्षकों पर फिर से कार्रवाई की तैयारी है।

हनी ट्रैप की SIT में बार-बार फेरबदल
हनी ट्रैप कांड में बड़ी कार्रवाई करते हुए एक बार फिर सरकार ने केस की जांच के लिए नई एसआईटी का गठन किया है। सरकार के इस फैसले को लेकर मामले की जांच को लेकर सवालिया निशान उठने लगे है। इसे लेकर जहॉ प्रदेश के गृह मंत्री ने इस निर्णय को जांच के लिये बेहतर बताया है, वही पूर्व सीएम शिवराज सिंह ने एसआईटी मे बार बार हो रहे फेरबदल को लेकर सरकार की मंशा पर सवाल उठाये है। गोरतलब है की मंगलवार रात एटीएस चीफ संजीव शमी को एसआईटी चीफ से हटाकर स्पेशल डीजी साइबर राजेंद्र कुमार को नया एसआईटी चीफ बनाया गया है। जबकि एसआईटी में एडीजी साइबर मिलिंद कांसकर और एसएसपी इंदौर रुचि वर्धन को सदस्य के तौर पर नियुक्त किया गया है। सुत्रो की मानी जाये तो हनी ट्रैप केस में एसआईटी टीम में संजीव शमी को एसआईटी से हटाए जाने की वजह बिना सरकार को जानकारी दिए पुलिस की कार्रवाई में दखल देना बताया जा रहा है, ओर शमी पुलिस मामले के बावजूद खुद ही एसआईटी के चीफ बन गए थे। जानकारी के मुताबिक पुलिस अधिकारियों के विवाद होने पर एटीएस ने हनी ट्रैप में विदेशी महिला के शामिल होने की सीएम को गलत जानकारी दी थी, जबकि हनी ट्रैप केस में ही स्पेशल डीजी और डीजीपी विवाद में गाज स्पेशल डीजी पुरुषोत्तम शर्मा पर गिरी है। शर्मा को संचालक लोक अभियोजन बनाया गया है। वही सरकार ने एडीजी इंटेलिजेंस कैलाश मकवाना को भी हटा दिया है, अब उन्हें पीएचक्यू में एडीजी प्रशासन नियुक्त किया गया है। एसडब्ल्यू नकवी इंटेलिजेंस के नए एडीजी होंगे। सूत्रो के मुताबिक एडीजी इंटेलिजेंस कैलाश मकवाना आरोपी महिलाओं की गिरफ्तारी से करीब 3 महीने पहले से सभी को सर्विलांस पर रखे हुए थे, लेकिन आरोपी महिला को लंबे समय तक सर्विलांस पर रखने की सरकार को जानकारी नहीं दी थी। वही सरकार ने भोपाल आईजी योगेश देशमुख को भी हटा दिया है, उन्हें हटाने के पीछे वजह कई महीने पहले आरोपी महिलाओं की शिकायत पुलिस में होने के बावजूद संज्ञान नहीं लिया जाना बताया जा रहा है। इन बड़े बदलावों के साथ ही सरकार ने 19 आईपीएस अधिकारियों को बदला है, इसमें ट्रांस्पोर्ट कमिश्नर शैलेंद्र श्रीवास्तव को हटाया जाना शामिल है, शैलेंद्र श्रीवास्तव को एमपी हाउसिंग कॉर्पोरेशन का अध्यक्ष बनाया गया है, जबकि वी मधु कुमार नए ट्रांस्पोर्ट कमिश्नर होंगे। हनी ट्रैप काण्ड की जांच के लिए गठित एसआईटी में 15 दिनों के अंदर तीन बार हुए बदलाव को लेकर जहॉ सवालिया निशान खड़े हो रहे हैं, वहीं प्रदेश के गृहमंत्री बाला बच्चन का कहना है, कि इस मामले में जल्दी ही कई नाम उजागर होंगे और सरकार किसी भी दोषी को बख्शेगी नहीं वो जाहें जितने रसूख वाला हो। गृहमंत्री बाला बच्चन के मुताबिक मामले में जल्द खुलासा होगा, कई नाम उजागर होंगे, जल्द ही सभी के नाम भी सार्वजानिक होंगे। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि सरकार की मंशा है, कि यह संगठित गिरोह पूरी तरह से ध्वस्त हो जाए, उसी पर काम चल रहा है। गोरतलब है की मंगलवार को जेल जाने के दौरान आरोपियों ने पॉलिटिकल प्रेशर होने की बात कही थी। इस सवाल पर गृहमंत्री ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि इसमें कोई पॉलिटिकल प्रेशर नहीं है। इसमें पॉलिटिक्स है, और सिर्फ हनी ट्रैप है, उन्होंने कहा जो आरोपी होगा उस पर कार्यवाही होगी चाहे वो नेता हो, ऑफिसर हो या फिर व्यापारी कोई भी इस मामले में बख्शा नहीं जाएगा। वही तीसरी बार एसआईटी चीफ को लेकर किए गए बदलाव को लेकर सियासत भी गर्मा गई है। जिसे लेकर विपक्ष ने भी हमला कर दिया है। इसी कड़ी में अब पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने सरकार की मंशा पर सवाल उठाए है। शिवराज सिंह ने कहा है कि ये ऐसा मजाक है, जो ऐसी गम्भीर घटना के प्रति सरकार के दृष्टिकोण को दर्शाता है। उन्होने आगे कहा की रोज रोज जिस तरह से एसआईटी में परिवर्तन हो रहे है, वो शुभ नहीं है। उनका यह भी कहना है की मैंने पहले भी कहा था, कानून को अपना काम करने देने चाहिए। इसके साथ ही उन्होने सरकार को सलाह देते हुए कहा कि यदि रोज आप एसआईटी में बदलाव करेगे तो संदेह के बादल तो खड़े होंगे, ऐसे मामले में शासन को संदेह से परे रहना चाहिए।

भाजपा सांसद की दबंगई
भाजपा सरकार में मंत्री रहे राजेन्द्र शुक्ला को निगमायुक्त द्वारा करीब पांच करोड रुपए जमा करने का नोटिस थमाए जाने के बाद रीवा जिले की सियासत गरमा गई है। मामले में रीवा सांसद जनार्दन मिश्रा ने नगर निगम आयुक्त को खुली चेतावनी दी है। उन्होंने आयुक्त सभाजीत यादव का नाम लेते हुए कहा कि वह रीवा को आदिवासी जिला न समझें। यह धार, झाबुआ नहीं है। रीवा में अच्छे-अच्छे को निपटा दिए हैं। सांसद मिश्रा शहर के एक मैरिज गार्डन में रविवार को एमआईसी सदस्य व भाजपा पार्षदों की बैठक को संबोधित कर रहे थे। हालांकि उनके इस बयान को नगर निगम आयुक्त ने व्यक्तिगत सोच बताया है। मिश्रा ने कहा कि आयुक्त मुख्यमंत्री कमलनाथ के इशारे पर काम कर रहे हैं। उनकी पदस्थापना ठेके पर हुई है। वसूली कर आधी राशि अपने पास रखते हैं और आधी भोपाल भेज देते हैं। उन्होंने 6 नंबर स्कीम के तहत बने किसी मकान को हाथ लगाने पर आयुक्त को सबक सिखाने की चेतावनी दी।
मिश्रा ने आयुक्त का नाम लेते हुए कहा कि इस गलतफहमी में न रहें कि उन्होंने नोटिस जारी कर दिया तो मामला शांत हो गया। अगर चार करोड़ का नोटिस दिया है तो हम उन्हें न्यायालय में खड़ा करके आठ करोड़ मानहानि का दावा करेंगे। मालूम हो, मकान आवंटित करने में नियम का पालन नहीं करने पर पूर्व मंत्री शुक्ला को नगर निगम आयुक्त ने चार 94 लाख लाख स्र्पए जमा कराने का नोटिस पिछले दिनों दिया था। नोटिस में कहा गया है कि शुक्ला ने लोगों से राशि जमा नहीं करने को कहा था, जिससे शासन को राजस्व का नुकसान हुआ था। इस बारे में रीवा नगर निगम आयुक्त सभाजीत यादव का कहना है कि मैंने अभी उनका बयान नहीं सुना है। यह उनकी निजी राय हो सकती है, लेकिन नगर निगम रीवा के हित में जो भी निर्णय लेना होगा, वह मैं लूंगा। जिसे जो कहना है, वह कहे।

मप्र में बारिश से 15000 करोड़ का नुकसान
मध्यप्रदेश में भारी बारिश से अभी तक प्रारंभिक रूप से 10 से 15000 करोड रुपए के नुकसान का आकलन किया गया है। इसमें 8 से 10000 करोड़ का नुकसान फसलों के रूप में हुआ है। वहीं 5,000 करोड़ रुपए का नुकसान सड़क बांध मकान गिरने स्कूल एवं बाढ़ ग्रस्त लोगों को अन्य स्थानों पर पुनर्वास करने पर खर्च किया गया है।
मध्य प्रदेश सरकार ने सभी जिलों से नुकसानी की प्रारंभिक रिपोर्ट मंगाई है। उसके आधार पर मंगलवार को नुकसान की प्रारंभिक रिपोर्ट बनाकर केंद्र सरकार को भेजी जा रही है। मुख्य सचिव एसआर मोहंती के अनुसार राज्य में लगातार दो माह की बारिश से लगभग 20 जिलों में बाढ़ की हालत बनी रहे जिससे भारी नुकसान हुआ है।
सरदार सरोवर बांध की अधिक ऊंचाई के कारण मध्य प्रदेश के कई जिलों में बैक वाटर के कारण डूब की स्थिति बनी जिनका पुनर्वास किए जाने पर ही सरकार को करोड़ों रुपए डूब प्रभावित क्षेत्रों के लोगों को देना होगा गुजरात सरकार द्वारा डूब प्रभावित क्षेत्र के लोगों को पुनर्वास के लिए राशि नहीं दिए जाने के कारण हजारों परिवार पुनर्वास नहीं किए गए थे जो इस बाढ़ में प्रभावित हुए हैं।
केंद्र सरकार द्वारा मध्य प्रदेश को अभी तक कोई सहायता राशि उपलब्ध नहीं कराई गई है। मध्य प्रदेश सरकार इस संबंध में केंद्र सरकार से भी लगातार संपर्क स्थापित कर अति बारिश से प्रभावित लोगों को राहत पहुंचाने और बाढ़ ग्रस्त क्षेत्रों का दौरा करने के लिए केंद्रीय टीम को मध्यप्रदेश आकर निरीक्षण करने का अनुरोध कर रही है। किंतु केंद्र से अभी तक कोई भी सहायता नहीं मिली है। मध्य प्रदेश सरकार द्वारा सभी जिलों से बुलाई गई रिपोर्ट के अनुसार प्रारंभिक नुकसानी का अनुमान केंद्र को भेजा जा रहा है।

कमलनाथ का मैनेजमेंट
मध्यप्रदेश में पिछले कुछ दिनों से वरिष्ठ नेताओं, मंत्रियों और विधायकों के बीच चला शीत युद्ध अब थम गया है। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने खुद डैमेज कंट्रोल को संभाला । आलाकमान की भी नजरें प्रदेश के मामले पर लगी थीं। सो मुख्यमंत्री और पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी के बीच हुई गोपनीय मंत्रणा के बाद नेताओं को सख्त संदेश दे दिया गया। सिंधिया भी इस विवाद को और आगे नहीं बढ़ाना चाहते थे। उन्होंने न सिर्फ अपने समर्थकों से आंदोलन खत्म करने को कहा, बल्कि मंत्री उमंग सिंघार को दिग्विजय सिंह से मुलाकात कर गिले-शिकवे दूर करने को कहा।
इससे पहले मुख्यमंत्री कमलनाथ ने मंत्रियों और विधायकों द्वारा सार्वजनिक रूप से की जा रही बयानबाजी पर नाराजगी जताई थी। उन्होंने मंत्रियों को सख्त हिदायत दी है कि बहुत हो गया। अगर सार्वजनिक बयानबाजी नहीं रुकी, तो अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने उमंग सिंघार समेत 12 मंत्रियों को बुलाकर नसीहत दी कि वे किसी भी मामले में सार्वजनिक बयानबाजी से बचें। इससे सरकार और पार्टी की छवि प्रभावित हो रही है। सीएम ने कहा कि अब यदि बयानबाजी हुई तो अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।
इस बीच सिंधिया ने कहा कि मेरे पक्ष में जो प्रदर्शन, पोस्टर बाजी, प्रदर्शन, हवन-पूजन और बयानबाजी की जा रही है, वो तत्काल बंद होनी चाहिए। उनके इस फरमान के बाद समर्थकों ने प्रदर्शन बंद कर दिए हैं और भोपाल में लगे बैनर-पोस्टर हटा लिए हैं। इधर, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद को लेकर जो गुटबाजी उभरी उसके बाद कांग्रेस हाईकमान तथा मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सभी गुटों को साधने के लिए जो प्रयास किए है। उससे कमलनाथ मजबूत होकर उभरे हैं।

चिट्ठी बम और दखल
मध्यप्रदेश की राजनीति में चिट्ठी बम फूटने के बाद अब अधिकांश विधायकों ने दबी जुबान में स्वीकार किया है कि दिग्विजय सिंह कमल नाथ सरकार के कामकाज पर बेवजह दखल दे रहे हैं, जबकि मुख्यमंत्री कमल नाथ मध्यप्रदेश की जनता के हितों के लिए काम कर रहे हैं। ऐसे में दिग्विजय सिंह का दखल देना ठीक नहीं है।
वनमंत्री उमंग सिंघार के पत्र को सामने आने के बाद अब कैबिनेट मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने दिग्विजय सिंह पर हमला बोला है। सज्जन ने कहा कि जब काम एक फोन पर हो सकता है तो उसके लिए पत्र लिखने की क्या जरूरत है? सज्जन सिंह ने भड़कते हुए कहा कि दिग्विजय सिंह के कार्यकाल में जो काम अधूरे रह गए थे वे उन्हें पूरा करवाना चाहते हैं। जबकि उन्हें पत्र लिखने के बजाए फोन पर निर्देश देना चाहिए। पत्र लिखना विपक्ष का काम है।
इस पत्र से मचा हंगामा
कमल नाथ अच्छा काम कर रहे, दिग्गी अड़ंगा लगा रहे
गौरतलब है कि रविवार को वन मंत्री उमंग सिंघार ने दिग्विजय के पत्र को लिखकर आपत्ति जताई थी। उन्होंने कहा था कि दिग्विजय पर्दे के पीछे से सरकार चला रहे हैं तो उन्हें पत्र लिखने की क्या जरूरत है। मध्यप्रदेश की सरकार कौन चला रहा है, यह जनता भी जानती और सरकार के मंत्री और विधायक भी जानते हैं। मुख्यमंत्री अच्छा काम कर रहे हैं, निवेश लाने की दिशा में काम हो रहा है।

बसपा-सपा और निर्दलीयों को साधकर रखो
कर्नाटक संकट पर कमलनाथ बेहद सतर्क हैं, सरकार को समर्थन दे रहे सपा, बसपा एवं निर्दलीय विधायक नाराज ना हों इसलिए उन्होंने मंत्रियों से कहा कि भविष्य में किसी विधायक की ओर से यह शिकायत नहीं आनी चाहिए कि मंत्री उनकी बातें नहीं सुनते। कम से कम सरकार को समर्थन दे रहे सपा, बसपा एवं निर्दलीय विधायकों को तो किसी तरह की शिकायत नहीं होनी चाहिए। सपा, बसपा एवं निर्दलीय विधायकों की नाराजगी की खबरों के बीच मुख्यमंत्री कमलनाथ ने शुक्रवार को आनन फानन में अपने मंत्रिमंडल की अनौपचारिक बैठक बुलाकर यह बातें कहीं।
सीएम ने वर्तमान राजनीतिक हालातों का जिक्र करते हुए कहा कि सभी को सतर्क एवं सावधान रहने की जरूरत है। जिन विधायकों को समर्थ से यह सरकार चल रही है हमारी जवाबदारी है कि उनको कोई परेशानी व शिकायत न हो। यह मंत्रियों का पहला कर्तव्य होना चाहिए। बाद में मुख्यमंत्री कमलनाथ से निर्दलीय विधायक सुरेंद्र सिंह शेरा भैया एवं बसपा विधायकों ने मुलाकात की। मुख्यमंत्री ने उन्हें आश्वस्त किया कि भविष्य में उन्हें किसी मंत्री से कोई शिकायत नहीं होगी। सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री ने विधायकों से धैर्य रखने को कहा। उन्होंने आश्वस्त किया कि मंत्रिमंडल विस्तार में उनका ध्यान रखा जाएगा।

दो माह बाद औकात दिखा देंगे
विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और पूर्व मंत्री गोपाल भार्गव ने अधिकारियों को खुली धमकी दे दी। गुना से भाजपा के उम्मीदवार के.पी. यादव के नामांकन कार्यक्रम में शामिल हुए गोपाल भार्गव सभा को सम्बोधित करते हुए अधिकारियों पर हमलावर रहे। भार्गव ने कहा जब हमारी सरकार थी तो सुबह से गुलदस्ता लेकर आते थे, मालाएं लेकर आते थे। अब कोई नहीं आता। इसके बाद भार्गव ने अधिकारियों को धमकाते हुए कहा कि मैं इनसे साफ कह देना चाहता हूं कि 2 महीने बाद हम फिर यही मिलेंगे और आपको आपकी औकात दिखाएंगे। उन्होंने वहां मौजूद जनप्रतिनिधियों से कहा कि एक-एक नाम लिखकर रखना, हम चुन-चुनकर इन्हें ऊंगलियों पर नचाएंगे। माला इतनी की कमर झुक जाए।

…और गोपाल भार्गव की झलकी पीड़ा
राजनीतिक दल वंशवाद को लेकर वैसे तो मुखर होते है पर चुनाव आते ही उनका एक ही ऐजेंडा होता है अपने पत्नी- बेटे और बहु के लिए एक अदद टिकट जुगाड़ना। मध्य प्रदेश में विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव के बेटे अभिषेक भार्गव को भी भाजपा हाईकमान से टिकट नहीं मिलने पर पीड़ा झलक आई और वे बोले टिकट नहीं मिला तो बेटे का करियर समाप्त हो जाएगा। हालांकि, सोशल मीडिया के माध्यम से लोकसभा चुनाव के लिए उन्होंने अपनी दावेदारी वापस ले ली है। उन्होंने यही भी कहा कि पार्टी का निर्णय सर्वोपरि होगा। दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वंशवाद को लेकार किए गए ब्लॉग के बाद अभिषेक भार्गव ने लोकसभा चुनाव में टिकट के लिए अपनी दावेदारी वापस ले ली। अभिषेक ने फेसबुक पर लिखा, ‘आदरणीय मोदी जी और आडवाणी जी के वंशवाद के विरूद्ध दिए गए बयान के बाद स्वयं में अपराधबोध महसूस कर रहा हूं। इतने बड़े संकल्प को लेकर पार्टी राष्ट्रहित में एक युद्ध लड़ रही है और सिर्फ अपने व्यक्तिगत स्वार्थ के लिए उस संकल्प की सिद्धि के रास्ते मे रुकावट बनूं, यह भारतीय जनता पार्टी का कार्यकर्ता होने के नाते मेरा स्वाभिमान मुझे इजाजत नहीं देता’।
इसके बाद एक समाचार माध्यम से बातचीत में गोपाल भार्गव का दर्द छलका। उन्होंने कहा कि मेरा बेटा कई साल से पार्टी के लिए कार्य कर रहा है, लेकिन अब बेटे के करियर के लिए कुछ नहीं बचा है। गोपाल भार्गव ने यह भी कहा कि राजनीति में परिवार के किसी एक ही सदस्य को रहना चाहिए। और पार्टी का जो भी निर्णय होगा वो सर्वमान्य होगा। ज्ञात हो कि ऐसी खबरें हैं कि बुंदेलखंड की तीनों सीटो दमोह, सागर, खजुराहो से अभिषेक भार्गव का नाम केंद्रीय चुनाव समिति को भेजा गया है। और टिकट बंटवारे के लिए चुनाव समिति में मंथन चल रहा है। इसी बीच अभिषेक भार्गव का यह बयान आ गया है। वहीं अभिषेक भार्गव के इस बयान के बाद कांग्रेस की भी प्रतिक्रिया सामने आई है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुरेश पचौरी का मानना है कि टिकट मांगने का अधिकार सबको है। अभिषेक का टिकट मांगना कोई आपत्तिजनक नहीं। हालांकि उन्होंने कहा कि अब इसका निर्णय भाजपा को लेना है।

बाइक रैली फ्लॉप होने से शाह खफा
भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह उमरिया की बाइक रैली फ्लॉप होने से खफा हैं। उन्होंने इसे संगठन की लापरवाही मानते हुए दिल्ली से भाजपा के महामंत्री अनिल जैन और प्रदेश प्रभारी विनय सहस्त्रबुद्धे को भोपाल भेजा है।
इसके बाद रविवार को भाजपा कार्यालय में संगठन मंत्रियों और भाजपा के पदाधिकारियों की बैठक हुई है। सहस्त्रबुद्धे ने लोकसभा चुनाव के दौरान संगठन की गतिविधियों को काफी गंभीरता से लेने की उपस्थित पदाधिकारियों को चेतावनी दी है। प्रदेश चुनाव प्रभारी स्वतंत्र देव सिंह ने भी संभागीय बैठकों में पदाधिकारियों की उपस्थिति को लेकर नाराजी जताई।
भाजपा के महामंत्री अनिल जैन ने प्रदेश के जिला अध्यक्ष और संगठन मंत्रियों को कहा है कि वह हर बैठक में अनिवार्य रूप से उपस्थित रहें। लोकसभा के चुनावी कार्यक्रमों में किसी किस्म की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। वर्तमान स्थिति को देखते हुए प्रभारी संगठन मंत्री विनय सहस्त्रबुद्धे और भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री अनिल जैन संभाग स्तर का दौरा करेंगे। लोकसभा चुनाव की तैयारियों में किसी किस्म की कोई कोताही ना हो इसके लिए प्रयास करेंगे।

कमल नाथ का सुशासन
मुख्यमंत्री कमल नाथ एक्शन मोड में हैं। एक बैठक में कमलनाथ ने कहा कि मेरे कार्यकाल में चाहे आईएएस हो, आईपीएस हो, अन्य कोई अफसर हो या पार्टी को कोई नेता हो जो गड़बड़ करेगा उसे घर बैठाने में मुझे देर नहीं लगेगी। नाथ ने पार्टी की गुटबाजी पर भी गुस्सा जाहिर किया। नाथ ने कहा कि कार्यकर्ता पूरे मन से पार्टी के लिए कार्य करें। चुनाव कांग्रेस, प्रदेश और देश के लिए महत्वपूर्ण है। इसलिए सब यह ध्यान रखे की गुटबाजी भोपाल से लेकर दिल्ली तक बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
इधर, जनता के हित में कैसे तेजी से कार्य किये जाएं इसके लिए मुख्यमंत्री अफसरों को ट्रेनिंग देंगे। वे आईजी,डीआईजी और पुलिस अधीक्षकों के साथ प्रदेश की कानून व्यवस्था को लेकर एक मैराथन बैठक करेंगे। उधर, कलेक्टर कमिश्नरों के साथ मैराथन बैठक कर विभागीय योजनाओं के क्रियान्वयन और वचन पत्र पर हुए काम की समीक्षा के साथ काम में गति लाने के लिए अफसरों को निर्देशित करेंगे। इतना ही नहीं मुख्यमंत्री कमलनाथ और सुशासन एवं नीति विश्लेषण स्कूल के विशेषज्ञ प्रदेश के मंत्रियों को विभागीय कामकाज और अफसरों से काम लेने के तौर-तरीके बताएंगे।

सुर्खियों में आनंदीबेन
मध्यप्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल का मोदी प्रेम गाहे-बगाहे जाग ही जाता है और वे भूल जाती है कि वे एक संवैधानिक पद पर बैठी हैं। आनंदीबेन अपने एक बयान को लेकर एक बार फिर सुर्खियों में हैं। सोशल मीडिया में एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें राज्यपाल आनंदीबेन पटेल लोकसभा चुनाव में पीएम मोदी का ध्यान रखने की बात करती हुई नजर आ रही हैं। इस वीडियो के वायरल होने के बाद से राजनीति में हड़कंप मचा हुआ है। कांग्रेस ने आनंदी बेन को हिदायत देते हुए कहा है कि अगर उन्हें बीजेपी का कार्यकर्ता बनकर काम करना है तो वे अपना इस्तीफा देकर लोकसभा चुनाव लड़ें। प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल दो दिवसीय दौरे पर विंध्य पहुंचीं और शनिवार को उन्होंने गुढ़ में सोलर प्लांट का निरीक्षण किया। इस बीच उन्होंने ग्रामीणों से चर्चा की, लेकिन जब गांव वालों ने राज्यपाल से सोलर प्लांट में स्थानीय युवाओं को रोजगार दिए जाने की बात कही तो आनंदी बेन ने वहां मौजूद अधिकारियों को एक लिस्ट बनाने को कहा और जाते-जाते ग्रामीणों से कहा कि ‘मोदी साहब का ध्यान रखो।’
इस बीच वहां पर पूर्व मंत्री एवं बीजेपी विधायक राजेंद्र शुक्ला व केपी त्रिपाठी भी मौजूद रहे। हालांकि यह पहला मौका नहीं था जब आनंदीबेन ने इस तरह का बयान दिया हो इससे पहले भी वे चित्रकूट के दौरे के समय सतना एयरपोर्ट पर बीजेपी पदाधिकारियों को जीत का मंत्र देती नजर आई थीं, उस बीच काफी विवाद भी हुआ था। वहीं विंध्य दौरे में राज्यपाल के बयान के बाद कांग्रेस ने उनका इस्तीफा मांगा है कांग्रेस के सहकारिता मंत्री गोविंद सिंह ने कहा है कि ‘राज्यपाल बीजेपी की कार्यकर्ता की तरह काम कर रही हैं। राज्यपाल को अपने पद की गरिमा का ध्यान नहीं है। उन्हें बीजेपी की कार्यकर्ता बनकर ही काम करना है तो पद से इस्तीफ़ा दें और जाकर लोकसभा चुनाव लड़ें।’ उन्होंने कहा कि पहले भी राज्यपाल ने विधानसभा में अभिभाषण के दौरान बीजेपी की प्रति निष्ठा दिखाई थी। कांग्रेस के क़र्ज़माफ़ी के बिन्दु को पढ़ा ही नहीं और बिना भाषण में लिखे बीजेपी के नारे को पढ़ दिया। इसके बाद कांग्रेस नेता गोविंद ने कहा कि आनंदी बेन पटेल को इस्तीफा दे देना चाहिए।

मंत्री के बंगले पर कब्ज़ा और पीडब्ल्यूडी का ताला तोडना
मध्य प्रदेश के दमोह जिले के पथरिया सीट से बसपा विधायक रामबाई की दबंगई के चर्चे पिछले एक माह से जमकर हो रहे हैं। अब विधायक की दबंगई का नजारा भोपाल में देखने को मिला है। जहां रामबाई ने मंत्री कमलेश्वर पटेल को आवंटित बंगले में जबरन अपना ताला लगा दिया। इस बात की खबर जैसे ही पीडब्ल्यूडी विभाग के अधिकारियों को लगी उन्होंने बंगले जाकर विधायक का ताला तोड़ा और नया ताला लगा दिया। इस दौरान मंत्री कमलेश्वर पटेल ने कहा कि इसमें इतना विवाद नहीं होना चाहिए कुछ लोग जानबूझकर बंगले का विवाद खड़ा कर रहें हैं। मीडिया से चर्चा के दौरान उन्होने कहा कि रामबाई पहली बार की विधायक है उन्हे उनकी सीनियारिटी के हिसाब से बंगला आवंटित होगा।
इस दौरान पीडब्ल्यूडी मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने इस मामले में अधिकारियों को जिम्मदारा ठहराया । उन्होने कहा कि हमारी विधायक ने अगर वहां समान रख दिया है तो उन्हे अधिकारी ने जानबूझकर परेशान कर रहे थे। इसे लेकर उन्होने अधिकारियों से फोन पर बात भी की है।

गले मिले सिंधिया-शिवराज
मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और कांग्रेस सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया गले मिले। सोमवार रात सिंधिया अचानक शिवराज के बंगले पहुंचे। दोनों नेताओं के बीच करीब आधा घंटा चर्चा चली। अचानक हुई इस मुलाकात के कारण राजनीतिक गलियारों में चर्चा का दौर शुरू हो गया है। हालाकि सिंधिया ने इसे सौजन्य भेंट करार दिया। सिंधिया ने मीडिया से कहा कि हमारे मन में कोई कड़वाहट नहीं है। गौरतलब है कि विधानसभा चुनाव के पूर्व भाजपा ने शिवराज और महाराज की तुलना करते हुए विज्ञापन जारी किये थे। इसमें सिंधिया को महाराज निरूपित कर नीचा दिखाने की कोशिश की गई थी। लेकिन सोमवार को हुई मुलाकात किसी और दिशा की ओर इशारा कर रही है।

कलेक्टर – डिप्टि कलेक्टर की बातचीत
मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव के दौरान अधिकारियों पर भाजपा के पक्ष में काम करने के जोरदार आरोप लगे थे, इसी कडी मे सीएम कमलनाथ ने उस समय कहा भी था कि अधिकारियो को याद रखना चाहिये कि दस के बाद ग्यारह तारीख भी आती है। अब चुनाव के डेढ़ महीने बाद एक ऐसा ही मामला सामने आया है। जानकारी के अनुसार सोशल मीडिया में दो महिला अधिकारियों के बीच व्हाट्सएप पर हुई बातचीत का स्क्रीनशॉट वायरल हुआ है। प्रदेश भर मे सोशल मीडीया प्लैटफार्म पर जमकर वायरल हुई इस चैट के मुताबिक शहडोल कलेक्टर अपनी डिप्टी कलेक्टर से चुनाव के दौरान कांग्रेस को हराने और भाजपा को जिताने की बात कह रही है। हालांकि इस चैट के वायरल होने के बाद डिप्टी कलेक्टर पूजा तिवारी ने कोतवाली थाने में तीन दिन पहले एफआईआर दर्ज कराई है। बताया जा रहा है कि चुनाव के बाद पिछले दिनों एक व्हाट्सएप चैट सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है, इसे शहडोल कलेक्टर अनुभा श्रीवास्तव और डिप्टी कलेक्टर पूजा तिवारी के बीच हुई बातचीत का स्क्रीनशॉट बताया जा रहा है। इस बातचीत में कलेक्टर अपनी डिप्टी कलेक्टर से चुनाव को लेकर बात कर रही है, और कांग्रेस को हराने और भाजपा की सरकार बनने पर डिप्टी कलेक्टर को एसडीएम का चार्ज मिलने की बात कर रही है।
वायरल स्क्रीन शॉट में नजर आ रही बातचीत मे डिप्टी कलेक्टर कि और से लिखा गया है कि मैम दो सेक्टर में सिचुएशन कण्ट्रोल है, बट जैतपुर की नहीं हो पा रही है। कांग्रेस लीड बना रही है एन्ड उमा धुर्वे के समर्थक काफी हैं। इसके जवात मे कलेक्टर लिखती है कि मुझे कांग्रेस क्लीन स्वीप चाहिए। मैं आरओ डेहरिया को फ़ोन कर देती हूँ। पूजा तुम्हे एसडीएम का चार्ज लेना है तो जैतपुर में बीजेपी को विन कराओ। इसके जवाब मे डिप्टी कलेक्टर ने लिखा कि ओके मैम मैं मैनेज करती हूँ, बट कोई इन्क्वायरी तो नहीं होगी। जिसपर कलेक्टर ने लिखा कि मैं हूँ मेहनत कर रही हो तो बीजेपी गवर्नमेंट बनते ही तुम्हे एसडीएम का चार्ज मिलेगा। वही पुरे मामले मे सोशल मीडिया पर वायरल हुए इस मैसेज के बाद डिप्टी कलेक्टर पूजा तिवारी ने कोतवाली थाने में एफआईआर दर्ज करवाई है। जिनकी शिकायत पर पुलिस ने अज्ञात के खिलाफ आईटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी है।

क्या विधायकों पर भी हैं, सायबर अटैक का खतरा
मैं विधानसभा से उप सचिव ए.के श्रीवास्तव बोल रहा हूँ, अपना बैंक अकाउंट नंबर और एटीएम की डिटेल सेंड करो’। प्रदेश में कांग्रेस विधायकों के पास पहुंचे ऐसे ही फ़ोन के बाद खलबली मची हुई है। बताया गया है कि अज्ञात शातिर द्वारा यह फ़ोन खुद को विधानसभा के उप सचिव ए.के श्रीवास्तव बता कर किया जा रहा था। विधायकों के पास पहुंचे इस अनजान कॉल के खिलाफ कांग्रेस विधायकों ने शिकायत की है। मामले मे जानकारी के अनुसार मध्य प्रदेश के कांग्रेस विधायक सज्जन सिंह वर्मा, आरिफ मसूद सहित अन्य विधायकों के पास विधानसभा के उप सचिव ए.के श्रीवास्तव के नाम से फर्जी फ़ोन कॉल पहुंचे। इस (7602847828) नंबर से आये फोन पर दुसरी ओर से अज्ञात आरोपी ने खुद को विधानसभा का उप सचिव ए.के श्रीवास्तव बताकर विधायको से उनके आधार नंबर, बैंक खाता नम्बर, एटीएम कार्ड की डिटेल्स को 09664555555 नम्बर पर सेंड करने को कहा। हालांकि सदेंह होने पर विधायकों ने जानकारी शेयर नहीं की। बताया गया है कि विधायकों के पास यह अनजान व्यक्ति का फोन साढे चार बजे के आसपास आया था। इसके बाद कांग्रेस विधायकों ने विधानसभा के प्रमुख सचिव एपी सिंह को इस फर्जी कॉलर के संबंध में शिकायत की है।

गौर ने दी अकील को जीत की अग्रिम बधाई
वरिष्ठ भाजपा नेता बाबूलाल गौर से मिलने भोपाल उत्तर विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के प्रत्याशी आरिफ अकील पहुंचे। अपने अलग ही अंदाज के लिये जाने जाने वाले गौर ने मुलाकात के दौरान आरिफ अकील को चूनावी रिजल्ट आने से पहले ही जीत की बधाई भी दे डाली। जानकारी के अनुसार मतदान के बाद फुर्सत के पल में आरिफ अकील बाबूलाल गौर से मिलने पहुंचे, इस दौरान उन्होंने मीडिया को बताया कि मैं गौर साहब से आशीर्वाद लेने आया था। इस दोरान दोनों नेताओ के बीच काफी देर तक बातचीत चलती रही। बाबूलाल गौर ने अकील से कहा “आपकी पार्टी ने हमारी बहुत मदद की, नहीं तो टिकट नहीं मिलती, लेकिन आख़िरकार हमारी बहु को टिकट मिल गया”, इसके जवाब में अकील ने कहा कि “आप हमारी पार्टी में आ जाते तो आपको टिकट मिल जाता लेकिन अपने मना कर दिया”। इस दोरान बाबूलाल गोर ने अपने बेबाक अंदाज होशंगाबाद सीट पर कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ रहे सरताज सिंह का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि “सरताज को टिकट नहीं दिया तो उन्होंने बहुत नुकसान किया, हमदर्दी का वोट अलग ही होता है”। गोरतलब है कि आरिफ अकील और बाबूलाल गौर राजधानी कि राजनीती के दो कद्दावर नेता है और दोनों एक दूसरे के विरोधी पार्टियों से सम्बन्ध रखते हैं, लेकिन दोनो नेताओ के एक दुसरे से काफी मधुर संबध है, जिसकी राजनैतिक गलियारो मे भी आये दिन चर्चाऐ होती रहती है। कांग्रेसी होने के बाद भी आरिफ अकील के हर गैर राजनैतिक कार्यक्रम मे बाबूलाल गोर कि उपस्थिती सभी को हैरान करने वाली रहती है।

शशि के लोकगीत
मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस एक-दूसरे पर तरह-तरह से हमले कर रहे हैं। ऐसे में भारतीय प्रशासनिक सेवा की पूर्व महिला अधिकारी डॉ. शशि कर्णावत कांग्रेस के लिए अपने ही अंदाज में प्रचार कर रही हैं। वह लोकगीतों के जरिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर हमले बोल रही हैं। डॉ. शशि पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे और शिवराज सरकार ने उन्हें बर्खास्त कर दिया था। आरएसएस से करीबी नाता रखने वाले परिवार की सदस्य डॉ. शशि के तेवर बगावती हो गए, उनका शिवराज सरकार से टकराव चला। बर्खास्त होने के बाद उन्होंने कांग्रेस का दामन थामा, कांग्रेस ने उन्हें महासचिव पद की जिम्मेदारी सौंपी है।
डॉ. शशि ने बुंदेलखंडी बोली में लोकगीत तैयार किए हैं और उनके जरिए वे मुख्यमंत्री चौहान पर सीधे हमले बोल रही हैं। उनका कहना है कि वह बुंदेलखंड की बेटी हैं और इसीलिए अपनी ही बोली में लोकगीत तैयार किए हैं। उन्होंने कहा, `प्रदेश में बीते 15 साल से मामा का राज चल रहा है, शिवराज सिंह चौहान नाम के मामा हैं, वे तो कलयुग के कंस हैं, कंस ने इस धरती पर दूसरा अवतार लिया है। ये ऐसे नेता हैं जिनके राज में किसानों को गोली मारी जाती है, आत्महत्या को विवश किया जाता है, कपड़े उतरवाकर किसानों को थाने में बंद रखा जाता है। बुंदेलखंड़ी बोली में रचे गए गीतों में किसानों की बदहाली, नर्मदा में जारी अवैध खनन, डंपर को लेकर शिवराज पर हमले बोले गए हैं। डॉ. शशि कर्णावत महिलाओं पर अत्याचार के बढ़े मामलों को लेकर भी सरकार पर हमले बोल रही हैं।

सोशल मीडिया की चुनावी घमासान
मध्य प्रदेश में हो रहे विधानसभा चुनाव को देखते हुए प्रमुख राजनीतिक पार्टियां और उनके नेता जहां जमीनी स्तर पर सक्रिय हो चुके हैं तो वहीं विरोधियों के बीच सोशल वीडियो वार भी देखने को मिल रहा है। दरअल एक वीडियो में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को दुशासन बताया गया है जो कि द्रोपदी का चीरहरण कर रहे हैं। इससे तिलमिलाए भाजपा उपाध्यक्ष रामेश्वर शर्मा ने कांग्रेसियों पर निशाना साधा और कह दिया कि कांग्रेस के मन में जो चलता रहता है वही वो दूसरों के चरित्र में उतारते हैं। सच बात तो यह है कि भाजपा महिलाओं का सम्मान करती है। रामेश्वर शर्मा का यह कहना था कि कांग्रेस और अन्य विरोधियों ने कहना शुरु कर दिया कि महिलाओं का सम्मान ही था कि जिस भाजपा नेत्री ने प्रदेश में भाजपा की सरकार बनवाई उसे ही बाहर का रास्ता दिखा दिया। इस तरह भाजपा को पुरुष प्रधान पार्टी बताते हुए विपक्ष ने मौजूदा केंद्रीय मंत्री एवं पू्र्व मुख्यमंत्री उमा भारती के प्रसंग को याद दिलाने का काम भी जोर-शोर से शुरु कर दिया। इससे भाजपा इस लड़ाई में पिछड़ती नजर आ रही है।

अकबर से छीनो राज्यसभा
मी टू की जद में आये एमजे अकबर की राज्यसभा की सीट पर भाजपाई नेताओं की लार टपकने लगी है,पार्टी का एक धड़ा उनसे RS सदस्यता का इस्तीफा लेने का दबाब बना रहा है,क्योकि अकबर का भाजपा या उसके लोगों से कभी कोई भावनात्मक रिश्ता नहीं रहा है,इसलिए अंदरखाने में उन्हें निपटाने का खेल शुरू हो चूका है,क्यूंकि वह एमपी से राज्यसभा गए हैं लिहाजा जोर-आजमाइश भी यहां के ही लोग कर रहे हैं,जाहिर सी बात है इसका सीधा लाभ उन्हें जो मिलना है. ये नेता मीडिया के सामने आने को तैयार नहीं हैं। लेकिन वे यह साफ कह रहे हैं कि वे पार्टी नेतृत्व के सामने अपनी बात रखेंगे। भाजपा में शामिल होने के बाद अकबर को 2016 में राज्यसभा भेजा गया था। अकबर के अलावा, मोदी मंत्रिमंडल के सदस्य धर्मेंद्र प्रधान भी मध्य प्रदेश से ही राज्यसभा सदस्य हैं।

महिलाएं कर रही नैतिक मूल्यों से समझौते
एक तरफ जहां महिलाएं मी-टू कैंपेन के तहत अपने खिलाफ हुई यौन शोषण की घटनाओं पर खुलकर बोल रही हैं। वहीं दूसरी तरफ इंदौर से विधायक ऊषा ठाकुर का कहना है कि महिलाएं तरक्की के लिए शॉर्टकट अपनाती हैं। वे आगे बढ़ने के लिए नैतिक मूल्यों से समझौता करती हैं। इसलिए वे समस्यायों में जा फंसती हैं। उन्होंने कहा कि जीवन मूल्यों से समझौता कर पाई गई सफलता का कोई अर्थ नहीं है।

…जब सूखी रोटी देख मंत्री बोले नाटक छोडो
वृद्धावस्था पेंशन की समस्याओं को लेकर बुजुर्ग महिलाओं ने मध्य प्रदेश के सामाजिक न्याय विभाग मंत्री गोपाल भार्गव का बंगला घेर लिया। बंगले के स्टाफ से बहस के बाद वे बंगले में पहुंच गई। मंत्री से चर्चा के दौरान बुजुर्गों ने उन्हें सूखी रोटियां दिखाई, जिस पर मंत्री भार्गव नाराज हो गए। मंत्री ने कहा कि इस तरह के नाटक मत करना। यही सब करना है तो हम किसी की नहीं सुनेंगे।
अंतरराष्ट्रीय वृद्ध दिवस पर पेंशन की समस्याओं को लेकर बुजुर्ग महिलाएं मंत्री भार्गव के बंगले पर पहुंची थी। एक घंटे तक बंगले का घेराव करने के बाद सभी महिलाएं बंगले के अंदर आ गईं। मंत्री ने नाराजगी के बाद गैस पीडि़त निराश्रित पेंशन भोगी संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष बालकृष्ण नामदेव को समस्याओं का निराकरण का आश्वासन जरूर दिया। लेकिन, यह भी स्पष्ट कह दिया कि इन बुजुर्ग महिलाओं को लेकर मत आना।
छह माह से नहीं मिली पेंशन
बंगले पर हंगामा बढ़ता देख मंत्री भार्गव ने बुजुर्ग महिलाओं से मुलाकात की। बुजुर्ग महिला ने कहा कि छह महीने से पेंशन नहीं मिली। हमारी पेंशन मिलनी चाहिए। 500, 1000 नहीं, हमें 2000 चाहिए?

…जब शिवराज का आग्रह मोदी ने अनसुना किया
बात भोपाल के कार्यकर्ता महाकुंभ की है जिसमें भाग लेने के लिए आए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसमें जितने कार्यकर्ताओं को लाने की बात शिवराज और उनके साथीगण कर रहे थे,जब उसके 10 फ़ीसदी कार्यकर्ता भी आयोजन स्थल पर नहीं दिखे,तब यह देख कर मोदी खफा हो गए ।
उन्होंने भोपाल में खाना भी नहीं खाया। यहां तक ‎कि उन्होंने चाय भी नहीं पी, जिसके कारण शिवराज और साथियों के चेहरे पर निराशा साफ़ देखी गई। वहीं इसको लेकर अटकलों का दौर भी शुरू हो गया है। प्रधानमंत्री मोदी के लिए आयोजकों ने गुजराती खिचड़ी, खांडवी और ढोकले की व्यवस्था की थी। इसके साथ ही पांच फ्लेवर की चाय का इंतजाम किया था। प्रधानमंत्री मोदी सीधे मंच पर पहुंचे और उनका भाषण खत्म होने के बाद वह मंच से उतरकर सीधे रवाना हो गए।

यशोधरा का भाजपा में दम घुट रहा
भोपाल के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स के नामकरण पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया के बीच टकराव शुरू हो गया हैं। दोनों में टकराहट पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई के निधन के बाद एम्स का नाम अटल जी के नाम पर रखने की सीएम की घोषणा के साथ शुरू हो गया है। प्रदेश की खेल युवा कल्याण मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर याद दिलाया है ‎कि राजमाता विजयाराजे सिंधिया के नाम पर ऐम्स का नाम रखने की सहमति 20 जनवरी 2004 को बन गई थी। एम्स का शिलान्यास करने व‎रिष्ठ भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी और वर्तमान केंद्रीय मंत्री सुषमा स्वराज तथा तत्कालीन मुख्यमंत्री उमा भारती ने एम्स की शिलान्यास अवसर पर राजमाता सिंधिया के नाम पर एम्स का नाम रखने के लिए सहमति व्यक्त की थी। यशोधरा राजे सिंधिया ने एम्स का नाम राजमाता विजयाराजे सिंधिया के नाम पर करने की मांग की है। उन्होंने मुख्यमंत्री को यह भी याद दिलाया कि 2004 के भूमि पूजन के समय जो शिलालेख तैयार हुआ था, उसमें भी विजयाराजे सिंधिया का नाम दर्ज है। विधानसभा चुनाव को लेकर अब राजमाता सिंधिया और अटल बिहारी वाजपेई के नाम पर एक नई राजनीति मध्यप्रदेश में शुरू हो गई है।

Psc रिकॉर्ड और घोटाले की जाँच
व्यापम घोटाले के आरोपी डॉक्टर जगदीश सागर की डायरी के पन्ने सामने आने के बाद भी पीएससी में हुई गड़बड़ियों की जांच संभव नहीं है। क्योंकि मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग उत्तर पुस्तिकाओं, परीक्षा के आवेदन पत्र, मूल्यांकन से जुड़े रिकॉर्ड सिर्फ 3 से 6 माह तक तक ही संभाल कर रखता है। इसके बाद दस्तावेज नष्ट कर देता है।
जांच एजेंसी ने 2013 में डॉक्टर जगदीश सागर की डायरी छापे के दौरान जप्त की थी। इसमें 2011 की परीक्षाओं के परीक्षार्थियों को राज्यस्तरीय सेवाओं के लिए नियुक्त किया गया था। जिसमें पैसे लेकर उनकी नियुक्ति कराने का उल्लेख डायरी में था। घोटाला सामने आने के बात भी पीएससी घोटाले की जांच संभव नहीं है। क्योंकि उससे संबंधित रिकॉर्ड अब कार्यालय में नहीं होने से उनकी जांच संभव नहीं है।
पिछले कई वर्षों से मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग की परीक्षाओं को लेकर अनियमितताओं के कई आरोप लगते रहे है। रिश्वत लेकर अथवा सिफारिश के अनुसार यहां पर नियुक्तियां होने की बात कई बार सामने आई है। किंतु अब इसमें इतना विलंब हो चुका है कि इस पर जांच संभव ही नहीं है। मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग इतनी जल्दी रिकॉर्ड क्यों नष्ट कर देता है। यह भी बड़ा प्रश्न चिह्न है। जबकि इस संबंध में न्यायालयों में भी लोग याचिकाएं दायर करते हैं। किंतु रिकॉर्ड नहीं होने के कारण युवाओं को परीक्षा देने और प्रतिभा होने के बाद भी नौकरी नहीं मिलती है। रिश्वत देने वाले अथवा सिफारिश कराने वाले को आसानी से नौकरी मिल जाती हैं।

सत्यव्रत का राजनीति से सन्यास
कांग्रेस के पूर्व राज्यसभा सांसद और प्रवक्ता सत्यव्रत चतुर्वेदी ने विगत दिवस छतरपुर में सक्रिय राजनीति से संन्यास लेने की घोषणा कर दी हैं। उन्होंने अभिनंदन समारोह में कहा कि वह चुनाव भी नहीं लड़ेंगे ना ही सत्ता और संगठन की राजनीति करेंगे। वह कोई पद भी स्वीकार नहीं करेंगे।
नागरिक अभिनंदन समारोह में उन्होंने कहा कि एक सत्यव्रत के भरोसे मत रहिए। गांव-गांव में सत्यव्रत पैदा कर दीजिए। उन्होंने कहा कि एक व्यक्ति के भरोसे बुंदेलखंड को न्याय नहीं मिलेगा । उन्होंने यह भी कहा कि वह 65 साल की उम्र में राजनीति से सन्यास लेने की घोषणा पहले ही कर चुके थे, उसी के अनुरूप यह निर्णय किया है। मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने भी 2019 का चुनाव लड़ने से इंकार कर दिया है । जिसको लेकर बुंदेलखंड क्षेत्र में चर्चाओं का दौर चल पड़ा है। कहीं-कहीं यह कहा जा रहा है कि सत्यव्रत चतुर्वेदी और उमा भारती मिलकर बुंदेलखंड के समग्र विकास को लेकर कोई नई खिचड़ी पका रहे हैं।

बाल विवाह पर रोक से शुरू हुआ लव जिहाद
पीएम मोदी की नसीहत के बावजूद भाजपा के नेताओं में बेतुके बयान देने की होड़ लगी हुई है। मध्य प्रदेश के भाजपा विधायक गोपाल परमार ने एक कार्यक्रम में कहा कि बाल विवाह पर जबसे रोक लगी है, तभी से लव जिहाद का बुखार चालू हो गया है। उन्होंने बाल विवाह के फायदे गिनाते हुए कहा कि जब से सरकार ने विवाह के लिए 18 साल की उम्र निर्धारित की है, लड़कियां भाग कर शादी करने लगी हैं।
आगर मालवा से भाजपा विधायक गोपाल परमार ने आजीविका और कौशल विकास दिवस कार्यक्रम में महिलाओं को संबोधित करते हुए कहा पहले हमारे बड़े-बुजुर्ग संबंध (शादी) तय कर देते थे। भले ही उनके बचपन में ही विवाह कर दिए जाते थे, लेकिन वह संबंध देर तक चलता था। उसकी जड़ें ज्यादा गहरी होती थीं। उन्होंने कहा सरकार ने जब से 18 साल का नियम बनाया है, लड़कियां भागने लगीं हैं। लव जिहाद का बुखार चालू हो गया। हमें पता ही नहीं होता कि हमारी छोरी क्या कर रही है। वह हमें बता कर जाती है कि कोचिंग क्लास जा रही है, लेकिन वह वास्तव में वहां जा रही है, इसका ध्यान कौन रखेगा, बताओ। अगर वह किसी लड़के के साथ भाग गई तो आपकी इज्जत का कबाड़ा।

नन्दकुमार – भाजपा और सरताज 
उपचुनाव की हालिया हार से एक बार फिर से प्रदेश भाजपा में बदलाव की अफवाहें सरगर्म हैं। आने वाले विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा में संगठन का चेहरा कौन होगा इसे लेकर कयास लगाए जा रहे हैं, यह जरूर है की इसका फैसला संघ की सहमति से ही होगा। संघ की हरी-झंडी के बाद ही प्रदेश में नई टीम के साथ कई जिलों में नए अध्यक्ष चुने जाएंगे। उधर,वाजपेयी कैबिनेट में शामिल रहे पूर्व मंत्री सरताज सिंह ने भ्रष्टाचार को लेकर यह कहते हुए की उनसे भी रिश्वत की रकम मांगी गई पूरी सरकार और पार्टी को सकते में डाल दिया है,इस बीच  भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान ने नसीहत दी है। चौहान ने कहा कि सरताज को कोई शिकायत है तो वे उचित फोरम में अपनी बात रख सकते हैं। प्रदेश अध्यक्ष ने पूर्व मंत्री सरताज सिंह को सार्वजनिक रुप से बयानबाजी करने से बचने की सलाह भी दी है। उनका मानना है कि अगर मतभेद है तो उसे पार्टी फोरम पर सुलझाया जा सकता है। सार्वजनिक रुप से बयानबाजी से पार्टी को नुकसान उठाना पड सकता है।

वास्तुदोष का भय,नए कक्ष की तलाश
आयुष और कुटीर एवं ग्रामोद्योग राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) जालम सिंह पटेल अब नए कमरे की तलाश में हैं। उन्हें अपना पुराना कमरा रास नहीं आ रहा है। सूत्रों की माने तो मंत्री श्री पटेल को ज्योतिषी ने अपने वर्तमान कमरे को लेकर वास्तुदोष का भय दिखा दिया है। इसीलिए वे अनहोनी के डर से इस कमरे को खाली करने की तैयारी कर रहे हैं। मंत्री के निर्देश पर उनके स्टाफ ने सामान्य प्रशासन विभाग से उन्हें नया कक्ष आवंटित करने को कहा गया है। जीएडी अब मंत्री जी के लिए मंत्रालय में नया कक्ष तलाश रहा है। मालूम हो कि जालम सिंह पटेल ने गत 3 फरवरी को राजभवन में मंत्री पद की शपथ ली। उसी दिन उन्हें मंत्रालय के ग्राउंड फलोर पर कक्ष क्रमांक 82 आवंटित किया गया था। उन्होंने गत 7 फरवरी को इसी कक्ष में पूजा पाठ कर मंत्री पद का कार्य भार ग्रहण किया था।

आनंदी के रोड शो की चर्चा
मध्य प्रदेश की नवागत राज्यपाल आनंदीबेन पटेल का एमपी में रोड शो चर्चा में है,वह अपने परिवार के 14 सदस्यों के साथ अहमदाबाद से चार्टर बस में सवार होकर उज्जैन पहुंची। उनका मध्य प्रदेश सीमा में जगह-जगह स्वागत हुआ। उन्होंने आम जनता से मिलकर अभिवादन भी किया। नवनियुक्त राज्यपाल ने उज्जैन तक कोई भी सरकारी तामझाम को स्वीकार नहीं किया। यह अलग बात है कि मध्य प्रदेश शासन ने उनके मध्य प्रदेश की सीमा में प्रवेश करते ही, उनकी सुरक्षा और उनके स्वागत के सारे इंतजामात कराए।
आनंदीबेन पटेल का झाबुआ जिले के पिटोल से मध्यप्रदेश में दोपहर 12 बजे आगमन हुआ। कलेक्टर आशीष सक्सेना और एसपी महेश चंद्र जैन ने उनकी आगवानी की। प्रतीक के तौर पर उन्हें तीर कमान भेंट किया। जिला प्रशासन ने उनसे राजभवन के वाहन में बैठने की गुहार लगाई। उन्होंने इंकार कर दिया। इसके बाद जगह-जगह भाजपा कार्यकर्ताओं ने उनका स्वागत किया। उज्जैन पहुंचने के बाद महाकाल मंदिर में उनके स्वागत की तैयारियां व्यापक स्तर पर की गई रेड कार्पेट बिछाया गया। उन्होंने बाबा महाकाल के दर्शन करके 15 मिनट तक परिवार के साथ पूजा-अर्चना की, उसके बाद वह राजभवन के वाहन पर सवार होकर भोपाल आई। मध्य प्रदेश के किसी भी राज्यपाल का शपथ ग्रहण के पूर्व इस तरह का रोड शो नहीं हुआ। जितनी सहजता, सरलता के साथ उन्होंने अपना पदभार ग्रहण किया। इसको लेकर वह चर्चाओं में हैं।

श्रीमंत कहा तो गंगाजल पिलाकर कराई शुद्धि
मध्यप्रदेश के मंत्री जयभानसिंह पवैया ने अशोकनगर जिले में भाजयुमो के कार्यक्रम में मोर्चा के प्रदेशाध्यक्ष अभिलाष पाण्डेय और जिलाध्यक्ष रविन्द्र लोधी द्वारा जूनियर सिंधिया को श्रीमंत कहने पर डांट लगाई और दोनों नेताओं को मंच पर ही गंगाजल पिलाया। साथ ही भविष्य में कभी भी इस प्रकार के सामंतवादी शब्द का प्रयोग न करने की शपथ दिलाई। पवैया भाजयुमो के अशोकनगर युवा सम्मेलन में अतिथि के रूप में आये थे। पवैया द्वारा किये गए इस कार्य से एक बात तो जाहिर होती है कि सांसद को श्रीमंत और महाराज जैसे शब्दों से सम्बोधित करना उन्हें पसंद नहीं हैं। पूर्व में भी पवैया द्वारा सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए गए थे कि शिलापत्तिका पर और भूमिपुजन के दौरान श्रीमंत शब्द नहीं लिखा दिखना चाहिए। इसके बाद हुए भूमिपूजन के कार्यक्रमों में शिलापत्तिकाओं में श्रीमंत शब्द अंकित करने से सरकारी नुमाइंदे बचते रहे।

महिला रेंजरों की भर्ती पर दो मंत्रियों में तकरार
महिला रेंजरों की भर्ती के लिए एमपी के वन महकमे द्वारा निकाले गए विज्ञापन में सीने के माप को लेकर विवाद शुरू हो गया है। इस मामले में प्रदेश के दो मंत्री आमने-सामने आ गए है। महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती अर्चना चिटनिस ने इसे गलत बताया है। वहीं वन मंत्री गौरीशंकर शैजवार ने कहा कि जो सबके लिए नियम है वहीं लागू कर किए गए है। मालूम हो कि वन विभाग ने पीएससी के माध्यम से महिला रेंजरों सहित अन्य पदों के लिए भर्ती निकाली है। इसमें पुरुषों के साथ महिलाओं के लिए भी फिटनेस टेस्ट के मापदंड दिए गए है। इसमें पुरुषों के लिए सीने की माप के मानक के साभ में महिलाओं के लिए भी इसी तरह के मानक दिए गए है। इस बारे में श्रीमती चिटनिस ने टवीट कर कहा कि ये बेहद आपत्तिजनक है। इस बारे में पता अभी पता चला है। वे इस बारे में वनमंत्री से बात करेंगी। उधर भोपाल की पूर्व महापौर एवं कांग्रेस की वरिष्ट नेत्री विभा पटेल ने भी इसे महिलाओं का अपमान बताया है। उन्होंने इस मामले दोषियों के खिलाफ तत्काल सख्त कार्रवाई की मांग की है।

मंत्रियों के रिश्तेदारों के बीच लेन-देन थाने पहुंचा
राज्य की शिवराज सरकार के दो मंत्रियों के रिश्तेदार आपस में उलझ रहे हैं वह भी पैसों के लेनदेन को लेकर मामला इतना बढ़ा की थाने पंहुच गया,विवाद बढ़ता देख पुलिस ने इसे खत्म करने का प्रयास किया तब जाकर मामला शांत हुआ। जानकारी के अनुसार, प्रदेश के दो मंत्री राजेन्द्र शुक्ल ( खनिज मंत्री ) और रामपाल सिंह (लोक निर्माण मंत्री) के रिश्तेदारों विनोद कुमार शुक्ल (बड़े भाई) और वीरेन्द्र सिंह सिमरिया (करीबी रिश्तेदार ) के बीच व्यवसायिक रुपयों के लेनदेन को लेकर विवाद हो गया।हालांकि विवाद कई दिनों से चल रहा था और अब थाने तक पहुंच गया। विवाद शांत हो पाता इसके पहले ही मंत्री रामपाल के रिश्तेदार वीरेन्द्र सिंह ने मंत्री राजेन्द्र के भाई का वायब्रेटर रोलर (कीमत लगभग 25-30 लाख) तोड़ दिया। जिससे विवाद और बढ़ गया । मामले में अब राजनीति गरमाने लगी है। हालांकि इस मामले से अपने आप को दूर करते हुए मंत्री रामपाल ने साफ कहा है उन्हें इस बारे में कुछ जानकारी नहीं है। इस मामले में शुक्ला ने थाने में शिकायती आवेदन देने के साथ ही एमपीआरडीसी के अधिकारियों को इसकी जानकारी दी है। वहीं पीडब्ल्यूडी मंत्री के रिश्तेदार की ओर से सुरेन्द्र पटेल ने भी पुलिस में शिकायत की है।आवेदन पर पुलिस जांच कर रही है।

नकली खाद और बीज की चर्चा
मध्यप्रदेश में पिछले दिनों बालाघाट के सांसद बोधसिंह भगत और राज्य के कृषि मंत्री गौरीशंकर बिसेन के बीच का विवाद सुर्खियों में रहा है। इससे मध्यप्रदेश का कृषि विभाग भी चर्चाओं में रहा। दरअसल, पिछले 2 सालों में मध्य प्रदेश मैं नकली बीज के मामले में 28 कंपनियों के खिलाफ मामले दर्ज हुए हैं। 85 मामलों में नकली बीज बेचने वाली कंपनियों के लाइसेंस निरस्त किए गए हैं। 126 मामलों में जांच के बाद जुर्माना और लाइसेंस निलंबन के आदेश दिए गए हैं। मध्यप्रदेश में नकली बीज बेचने की शिकायतें लगातार मिलती रही है। इसकी जांच भी समय-समय पर होती रही है। कृषि विभाग द्वारा लगातार कार्रवाई करने के बाद भी मध्यप्रदेश में नकली बीज और खाद का मामला थम नहीं रहा है। जिसके कारण किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है।
सांसद बोधसिंह भगत ने वारासिवनी स्थित अपने फार्महाउस के लिए धान का जो बीज यशोदा हाइब्रिड बीज कंपनी से खरीदा था। वह नकली निकला था। सांसद की शिकायत पर कृषि विभाग के अधिकारियों ने इस पर कार्यवाही की। इस कंपनी का लाइसेंस बिना जांच रिपोर्ट आए निरस्त कर दिया गया था। इस कंपनी के बीज की जब जांच रिपोर्ट आई तो इसमें बीज सही पाया गया। संयुक्त संचालक ने जो लाइसेंस निरस्त किया था उस आदेश को को संशोधित कर दिया गया। इसको लेकर सांसद बोधसिंह भगत और मंत्री गौरी शंकर बिसेन के बीच विवाद बढ़ा था। मलाजखंड की सभा में सार्वजनिक रूप से यह विवाद सामने भी आया। नकली खाद नकली बीज और नकली दवाइयों का शिकार किसान हो रहा है। कई मामलों में सहकारी समितियों की भी संलिप्तता सामने आई। सांसद और मंत्री के विवाद से यह मामला अब केंद्र तक पहुंच गया है। प्रदेश पार्टी संगठन भी इस मामले को लेकर होने वाले नुकसान का आंकलन कर रहा है। किसान आंदोलन के दौरान पार्टी को नकली खाद ,बीज को लेकर जो नुकसान उठाना पड़ सकता है ।इसका आकलन अब संगठन कर रहा है।

किसान आंदोलन
मंदसौर गोली कांड के बाद प्रदेश का माहौल बड़ी तेजी से बदला शिवराज के उपवास के बावजूद प्रदेश सरकार की किसान हितैषी छवि को बड़ा धक्का
लगा है। प्रदेश में किसान आंदोलन के बाद के परिदृश्य में जहां एक ओर कांग्रेस अपनी वापसी की संभावनाएं तलाशने में जुटी हुई है, वहीं सत्तारुढ़ भाजपा किसानों के गुस्से को शांत करने के लिए हरसंभव प्रयास में भिड़ गई है। इसी कड़ी में वह जून अंत सं जुलाई के शुरू तक किसान संदेश यात्रा निकाल रही है। इस दौरान पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का सत्याग्रह प्रदेश कांग्रेस के लिए संजीवनी का काम कर गया है,मंदसौर में चली गोली और 6 किसानों की मौत के बाद प्रदेश कांग्रेस नेताओं ने प्रदेश सरकार को घेरने के लिए काफी तेजी दिखाई है। सिंधिया के टेंट में कूलर, एसी नहीं होने के साथ ही पलंग पर सोना और मटके का पानी पीने की बातें भी प्रदेश में सुर्खियों में रही। इसके अलावा गांधी विचारक सुब्बाराव का भी आना देश भर में कांग्रेस की गांधीवादी विचारधारा को लेकर नई चर्चा की शुरूआत कर गया।

मुकाबले को तैयार
मध्यप्रदेश में बीते दिनों कांग्रेस के प्रदर्शन,विधानसभा के अंदर के संग्राम कांग्रेस द्वारा नेता प्रतिपक्ष का चयन कर लेने और सीएम तथा नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह की राज्यपाल के अभिभाषण पर तकरार के मामले ही प्रमुख रहे। कांग्रस ने पूरी ताकत के साथ भोपाल में बड़ा कार्यक्रम कर एकजुटता का परिचय दिया है। उसने विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष का चयन भी कर लिया जिस पर फिर से अजय सिंह राहुल की वापसी हो गई है। पार्टी के बड़े नेताओं का एक मंच पर इस तरह साथ आकर सरकार विरोधी प्रदर्शन कर विधानसभा का घेराव करना प्रशंसा के लायक है। पार्टी अब जनता को यह भरोसा दिलाने का प्रयास कर रही है कि वह उसके लिए चौकीदार की भूमिका में काम पूरी मुस्तैदी से करेगी। इस बात का लोगों को एहसास कराने खुद दिगिवजय आगे आए और उन्होंने सभा मंच से साफ किया कि कहीं कोई सेटिंग नहीं है। वह और उनके साथ राज्य सरकार से मुकाबले के लिए तैयार हैं।
दिखाई वचनबद्वता
विधानसभा में राज्यपाल के अभिभाषण पर हुई चर्चा के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने
साफ किया है कि वह रेत के अवैध उत्खनन करने वालों को छोडेंगे नहीं उन्होंने इस काम में लगे वाहनों को राजसात करने का कानून इसी सत्र में बनाने का भरोसा दिया है। इसके ठीक बाद सरकार ने सागर के महापौर से जो कि भाजपा के ही सदस्य हैं, उनसे भ्रष्टाचार के माामले में फंसे होने पर वित्तीय और प्रशासनिक अधिकार वापस लेकर अपने कहे हुए वाक्यों के प्रति वचनबद्वता दिखाई है। इसी दौरान सरकार की ओर से अगले साल का बजट भी पेश किया गया। जिसे प्रेक्षक चुनाव पूर्व बजट कह रहे हैं। जिसमें सभी को साधने की कोशिश की गई है।

भागवत का आकर्षण
मध्यप्रदेश में पिछले दिनों आरएसएस के सरसंघचालक मोहनराव भागवत की यात्रा का आकर्षण रहा तो आईएसआई का नेटवर्क उजागर होने की गूंज देश में सुनाई दी. भागवत मप्र के आदिवासी बहुल बैतूल जिले के हिन्दू सम्मेलन में शिरकत करने आए थे. वह बैतूल जेल के उस कमरे तक पहुंचे जहां कभी संघ के दूसरे सरसंघचालक गुरू गोलवरकर ने महात्मा गांधी की हत्या के बाद तीन महीने का समय काटा था.
भागवत का पुरानी भोपाल रियासत के इलाके में करीब सप्ताह भर का प्रवास रहा . वह भोपाल,बैतूल व होशंगाबाद में ठहरे. उन्होंने साफगोई से कहा कि हिन्दुस्तान में रहने के कारण सबकी राष्ट्रीयता एक ही यानि हिंदू है. इसलिए भारत के मुसलमानों की राष्ट्रीयता भी हिंदू ही है. भागवत ने कट्टरता बढऩे पर चिंता जाहिर कर लोगों को पांच संकल्प दिलाए हैं. उन्होंने रोजगार देने वाली शिक्षा के प्रबंधकीय तरीके विकसित करने पर जोर दिया है. उनके प्रवास पर राजनीतिक प्रेक्षकों की विशेष नजर रही. लेकिन वह राजनीतिक मेल-मुलाकातों से दूर ही रहे.उन्होंने जनता-जनार्दन से श्रम और श्रमिकों दोनों के सम्मान की रक्षा की अपील कर यह संदेश भी दिया कि कोई काम छोटा या बड़ा नहीं होता है. हां काम भलीभांति और मन लगाकर करने की नीयत होना चाहिए.
सावधान-खबरदार
वहीं शान्त तासीर वाले मध्यप्रदेश में आईएसआई का नेटवर्क पकड़े जाने से लोग भौंचक्के हैं. उन्हें ये समझ नहीं आ रहा कि आखिर ये सब कैसे और क्यों इतने दिनों से चल रहा था. इस नेटवर्क ने नेताओं तक अपराधियों की आसान होती जा रही पहुंच की ओर भी इशारा किया है. नेताओं का अब इस बात की समझदारी बरतनी पड़ेगी कि उनके साथ आ रहे लोगों की प्रकृत्ति क्या है. सत्ताधारी दल के नेताओं के बीच एैसे लोगों की बढ़ती पहुंच चिंताजनक है.

मंत्री के कारोबार का मामला छाया रहा
भाजपा भ्रष्टाचार और गड़बडिय़ों से मुक्त सुशासन देने की बात कर रही है,लेकिन इसमें वह कितनी तप कर निकलती है. इसे अभी देखा जा रहा है. इसी बीच मध्यप्रदेश में इस सप्ताह प्रमुख रूप से कटनी में करीब छह माह की पुलिस कप्तानी करने के बाद वहां से अचानक स्थानांतरित कर छिंदवाड़ा भेजे गए गौरव तिवारी का मामला ही छाया रहा है. जनता के बीच इस तबादले के बाद ये धारणा रही कि यह कार्रवाई हवाला कारोबारियों के दबाव के चलते की गई है.
अलबत्ता ये बात और है कि गृह मंत्री भूपेंद्र सिंह उनके तबादले को एक सामान्य प्रशासनिक व्यवस्था के अंतर्गत हुआ बता रहे हैं. हालांकि पुलिस प्रमुख ऋषि कुमार शुक्ला उन्हें भोपाल से लेकर जबलपुर तक महकमे का गौरव बताते रहे,पर वे अपने गौरव का हवाला कारोबारियों के दबाव की वजह से किए गए तबादले को नहीं रोक सके.
उनके तबादले के बाद जिस प्रकार से लोग कटनी में विरोध स्वरूप सडक़ों पर खड़े हुए वह भी प्रदेश के राजनीतिक नेतृत्व को नहीं हिला सका. हां कटनी में एक्सिस बैंक से जुड़ी जो कार्रवाई पुलिस और फिर उसकी जांच सीआईडी को देने की बात की गई है,उसके बीच इस पूरे प्रकरण की मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रवर्तन निदेशालय से जांच की बात कही है. जिससे अब ये उम्मीद जगी है कि इस मामले की सही तौर पर जांच हो सकेगी. जिससे यह भी जाना जा सकेगा कि आखिरकार राज्य के प्रदेश भाजपाध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान के बेटे और शिवराज के मंत्री संजय पाठक के बीच किस प्रकार के व्यवसायिक रिश्ते है.