संवैधानिक बाध्यता के बाद मप्र के दो मंत्रियों सिलावट और राजपूत को देना पड़ा इस्तीफा

भोपाल, तुलसी सिलावट और गोविंद सिंह राजपूत को मंत्री का पद अंतत: छोडऩा पड़ा। दोनों का बुधवार को इस्तीफा मंजूर हो गया। नियम के अनुसार, वे बिना विधायक बने 21 अक्टूबर तक ही मंत्री पद पर रह सकते थे। मंत्री पद जाने के साथ ही उन्हें मिलने वाली सभी सुविधाएं छिन गई हैं। दरअसल, सिलावट और राजपूत ने कांग्रेस और विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देने के बाद 21 अप्रैल को भाजपा की सरकार में कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ ली थी। नियम यह है कि गैर विधायक अधिकतम 6 माह तक ही मंत्री रह सकते हैं।
मध्य प्रदेश विधानसभा की 28 सीटों के लिए उपचुनाव में मुख्यधारा की राजनीतिक पार्टियों के साथ-साथ कई क्षेत्रीय दल और निर्दलीय उम्मीदवार भी चुनाव मैदान में किस्मत आजमा रहे हैं। इस बीच प्रदेश के दो मंत्री तुलसी सिलावट और गोविंद राजपूत ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को अपना इस्तीफा सौंप दिया है। ऐसे में मुख्यमंत्री ने दोनों नेताओं के इस्तीफे स्वीकारते हुए राजभवन भेज दिए। बता दें कि दोनों ही नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुये थे। साथ ही इस बार के उपचुनाव भी लड़ रहे हैं।
10 नवंबर को मतगणना के साथ भविष्य तय होगा
मंत्री पद छोडऩे के बाद बुधवार को चुनाव-प्रचार में निकले सिलावट ने कहा कि मेरे मंत्री पद को बुधवार को 6 महीने हो रहे हैं। मैंने मंगलवार को ही इस्तीफा दे दिया। पद मेरे लिए महत्वपूर्ण नहीं है। मेरे लिए सेवा, मप्र का विकास और प्रगति महत्वपूर्ण है। मैंने पहले भी कांग्रेस छोड़ी, विधायक और मंत्री पद छोड़ा, अभी भी इस्तीफा दे दिया। त्याग-समर्पण मेरी भावना है। मेरा क्षेत्र पहले है, इसलिए कुर्बानी करना मेरे लिए जरूरी है। मेरे क्षेत्रवासियों की सेवा करना ज्यादा जरूरी है। मंत्री पद महत्वपूर्ण है, लेकिन सेवा बिना मंत्री पद के भी की जा सकती है।
ये है नियम
नियमों के अनुसार, कोई भी ऐसा व्यक्ति 6 माह से ज्यादा समय के लिए मंत्री नहीं रह सकता है, जो विधानसभा का सदस्य न हो। इस हिसाब से 21 अक्टूबर को दोनों मंत्रियों की यह समय-सीमा समाप्त हो जाएगी। इस समय-सीमा में उपचुनाव की प्रक्रिया भी पूरी नहीं होगी। गोविंद सिंह राजपूत सुरखी और तुलसी सिलावट सांवेर से अपनी परंपरागत सीटों से उप चुनाव लड़ रहे हैं। सिंधिया के समर्थन में 10 मार्च को 22 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया था, जिसके कारण कमलनाथ सरकार गिर गई थी और चौथी बार शिवराज सिंह चौहान ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। शिवराज ने 28 दिन बाद 21 अप्रैल को मंत्रिमंडल का गठन किया था, इसमें सिंधिया खेमे के तुलसीराम सिलावट और गोविंद सिंह राजपूत को कैबिनेट मंत्री के तौर पर शपथ दिलाई गई थी।
ये सुविधाएं तत्काल छिन गई
मंत्री पद जाते ही सिलावट से 1000 किलोमीटर का डीजल/पेट्रोल, 15 हजार रुपए मकान किराया। 3000 सत्कार भत्ता। मानदेय के बतौर 13 हजार 500 रुपए (मंत्री) और 7500 अलग। (इसमें कुछ राशि अलग-अलग भत्तों की बढ़ी हुई लागू है।) ड्राइवर, गनमैन। वेतन, मंत्री को मिलने वाले 8 तरह के भत्ते और मानदेय। ओएसडी, पीए।

 

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