राहुल के फार्म हाउस से किराये और प्रॉपर्टी डील पर रार भाजपा ने पूछा दस सालों में आय 55 लाख से 9 करोड़ कैसे हुई

नई दिल्ली, भाजपा ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पर आय से अधिक संपत्ति का आरोप लगाया है। बीजेपी ने सवाल उठाते हुए कहा कि 2004 में राहुल गांधी ने अपने नामांकन पत्र में 55 लाख की संपत्ति जाहिर की थी, जो 2014 में बढ़कर 9 करोड़ रुपये कैसे हो गई? बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा,आखिर यह बड़ा इजाफा कैसे हो गया, जबकि उनकी कमाई का एकमात्र साधन सांसदी ही है और वह कोई डॉक्टर या वकील जैसे प्रफेशनल नहीं हैं। यही नहीं बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने कथित तौर पर लैंड डील, फार्म हाउस से किराये और एक प्रॉपर्टी डील पर सवाल खड़े करते हुए कांग्रेस और राहुल गांधी को मानहानि केस करने की भी चुनौती दी। बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने दिल्ली के महरौली में स्थित एक फार्म हाउस को लेकर दावा करते हुए कहा, यह लगभग 5 एकड़ का है। इसके मालिक हैं, राहुल और प्रियंका गांधी। इसका नाम इंदिरा फार्म हाउस है। इस 2013 में फाइनैंशल टेक्नॉलाजी इंडिया लिमिटेड नाम की कंपनी को रेंट पर दिया गया था। इस प्रति महीने 7 लाख में किराया दिया गया था। पहली बार इसके लिए 40 लाख रुपये अडवांस में लिए गए। यह रकम इंटरेस्ट फ्री थी। आखिर ऐसा कैसे हो सकता है कि कोई अडवांस पैसे दे दे और ब्याज भी न ले।
बीजेपी ने फार्म हाउस को कथित तौर पर किराए पर लेनी वाली कंपनी एफआईटीएल को नैशनल स्पॉट एक्सचेंज लिमिटेड की सहायक कंपनी बताते हुए कहा कि यह कंपनी 2013 में एक बड़ा स्कैम कर चुकी है। संबित पात्रा ने दावा किया कि इसी फार्म हाउस को 2007-08 से 2012-13 तक3 करोड़ कमाए गए। लेकिन, यहां कोई रहता नहीं था,लेकिन रहते दोनों भाई बहन ही थे। राहुल गांधी ने अपने एफिडेविट में इस फार्म हाउस की कीमत 9 लाख जाहिर की है, लेकिन उससे किराया करोड़ों में कमाया गया। संबित पात्रा ने गुरुग्राम में एक प्रॉपर्टी डील को लेकर गंभीर आरोप आरोप लगाते हुए कहा,अक्टूबर 2010 में राहुल गांधी दो कमर्शल प्रॉपर्टी खरीदते हैं।एक कीमत की 1.44 करोड़ और दूसरी 5.36 करोड़ की है। यह खरीद गुरुग्राम में सिग्नेचर टावर्स-2 में की गई। इसका प्रोपराइटर यूनिटेक है। प्रॉपर्टी 7 करोड़ की है, लेकिन अग्रीमेंट में सिर्फ 4 करोड़ दिए गए हैं। जो 4 करोड़ दिए हैं, वह फाइनैंशल 2010-11 से 2014-15 तक इस पर इंटरेस्ट भी लेते हैं। क्या यह ब्याज कमाने के लिए दी गई रकम थी या फिर संपत्ति खरीदने के लिए दी गई। दोनों काम एक साथ नहीं हो सकते।’

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