पांच बार भूमिपूजन पर अब तक नहीं खुल सकीं 6 कोयला खदानें

छिंदवाड़ा,जिले का पेंच और कन्हान कोयलांचल जीवनदान को तरस रहा है। बंद होती कोयला खदान के बावजूद भी अब तक यहां एक भी नई खदानें नही खोली गई है जबकि पिछले एक दशक में नई खदानें खोलने के लिए पांच बार भूमिपूजन हो चुके है। वेकोलि ने खदानों को लेकर सर्वे कराने के बाद ही नई खदानें खोलने का फैसला लिया था।कोयले का अकूत भंडार होने के बावजूद भी अब तक खदानों के मामले अटके पड़े है।
कोयलांचल में पिछले एक दशक से खदानां के नाम पर जमकर राजनीति हो रही है। लेकिन इस राजनीति में लोकहित का लक्ष्य पूरा नही हो पाया है। कोयला को लेकर बदलती केन्द्र सरकार की नीतियों के कारण अकूत भंडार का मालिक होने के बावजूद कोयलांचल कोयला खदानों को तरस रहा है। खदानों के निजीकरण की नीति में यहां चार निजी क्षेत्रों को भी कोल ब्लॉक दिए गए है। किन्तु ऐसी खदानें जिनका भूमिपूजन हो चुका है। उन्हें शुरू करने का नाम भी वेकोलि नही ले रहा है। वेकोलि कोयलांचल क्षेत्र में सर्वे कर धनकशा, जमुनिया पठार, शारदा, हर्राडोल भाकरा, टेढ़ी ईमली जैसे बड़े प्रोजेक्ट बनाए थे इनके सर्वे के नाम पर ही करोड़ का खर्चा वेकोलि ने कर दिया। इतना ही नही भूअर्जन के लिए भी करोड़ों की राशि जमीन के मालिकों को दी जा चुकी है। फिर भी खदानें शुरू हेन का अता-पता नही है। पिछले दिनों वेकोलि ने छिंदवाड़ा के एक बड़े होटल में वेकोलि की बड़ी बैठक बुलाई थी। इस बैठक में केन्þद के कोयला मंत्री पीयूष गोयल,प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सहित वेकोलि के सीएमडी और वरिष्ठ अधिकारी छिंदवाड़ा आने वाले थे। इस बैठक में एक नही एक साथ चार खदानें खोलने की फिर नए सिरे से घोषणा होने वाली थी वेकोलि स्वयं अधिकारिक रूप से इन खदानें को खोलने की अधिकारिक स्वीकृति जारी करने वाला था लेकिन किसी वजह से यह बैठक टल गई और फिर दोबारा यह बैठक नही हो पाई जबकि वेकोलि अपने संचालक मंडल की बैठक में छिंदवाड़ा में चार नई खदानें खोलने की मंजूरी दे चुका था। इन चारों खदानों ने धनकशा, जमुनिया पठार, शारदा, हर्राडोल शामिल है। इन खदानों में इतना कोयला है कि खदानों का संचालन 30 साल तक किया जा सकता है।
पहले भी हो चुके है भूमिपूजन-
वेकोलि जिन चार नई खदानों को खोलने के लिए नए सिरे से कार्यवाही कर रहा है उन खदाने के भूमिपूजन पहले भी हो चुके है। पेंच क्षेत्र के सबसे बड़ी माने जाने वाली धनकशा खद ान का भूमिपूजन सन् 2009 में तात्कालीन कोयला राज्य मंत्री संतोष बगरोलिया और केन्द्रीय मंत्री कमलनाथ ने किया था। इस खदान के लिए लगभग 8सौ 49 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण भी किया जा चुका है।किन्तु खदान अब तक शुरू नही हुई है।
जमुनिया पठार खदान-
जमुनिया पठार खदान पेंच क्षेत्र की दूसरी बड़ी खदान बन सकती है। वेकोलि के सर्वे के मुताबिक इस खदान में 22मिलियन टन कोयले का भंडार है। इस खदान का भूमिपूजन सन् 2015 में केन्द्रीय कोयला मंत्री पीयूष गोयल ने ही किया था। किन्तु अब तक यहां खदान शुरू नही हो पाई है। खदान का मोहरा बनाने का कार्य अब भी चल रहा है।
शारदा प्रोजेक्ट-
जिले के कन्हान कोयलांचल में शारदा प्रोजेक्ट सबसे बड़ा है। मौजूदा खदानों के दस गुना ज्यादा उत्पादन करने की क्षमता इस खदान में है। वेकोलि के सर्वे के मुताबिक इस खदान में लगभग 75 मिलियन टन कोयले का भंडार है। किन्तु सर्वे के 13साल बाद भी वेकोलि से शुरू नही कर पाया है। इस खदान की शुरूआत का भूमिपूजन मुख्यमंत्री रहते हुए खुद उमा भारती ने किया था।
हर्राडोल खदान-
कन्हान कोयलांचल की ही हर्राडोल खदान का सर्वे वेकोलि ने बहुत पहले किया था इस खदान में भी कोयले का अकूत भंडार है लगभग 30 साल तक यह खदान चलाई जा सकती है। लेकिन वेकोलि ने सर्वे के बाद अब तक कोई कार्यवाही नही की है। इस प्रोजेक्ट को शुरू करने के लिए भी सन् 2006 में केन्द्रीय मंत्री कमलनाथ ने भूमिपूजन किया था। 12साल बीतने के बाद भी यह खदान शुरू नही हो पाई है।यही हाल भाकरा और टेढ़ी ईमली प्रोजेक्ट के भी है।

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