वॉशिंगटन,दुनिया के नक्शे से निकल कर अचानक एक मुल्क सुर्खियों में आ गया है। बहुत मुमकिन है कि यह देश साल 2018 की सबसे बड़ी राजनीतिक घटना की मेजबानी का गवाह बन जाए। यह देश है मंगोलिया। खबर है कि उत्तर कोरिया के तानाशाह मार्शल किम जोंग उन और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मुलाकात मंगोलिया में हो सकती है। इस सिलसिले में कोरियाई राजदूत और अमेरिकी अधिकारियों ने मंगोलियन राष्ट्रपति के चीफ ऑफ स्टाफ से मुलाकात भी की है। इतनी बड़ी दुनिया में 10 बाई 10 की कोई एक ऐसी जगह तय नहीं हो पा रही है, जहां ट्रंप की किम से मुलाकात हो सके। दुनिया पर मंडराए तीसरे विश्वयुद्ध के खतरे को खत्म करने के लिए इन दोनों नेताओं की मुलाकात मई के आखिर या जून के शुरूआती हफ्ते में होनी है। मगर ट्रंप को उत्तर कोरिया से परहेज़ है और किम को अमेरिका से। वहीं दक्षिण कोरिया, जापान, रूस और चीन पर दोनों मुल्कों की सुरक्षा एजेंसियों को ऐतराज़ है। लिहाज़ा यूरोपीय देश स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम पर चर्चा की गई। स्वीडन से दोनों देशों के रिश्ते भी ठीक हैं। मगर यहां भी एक दिक्कत है। अमेरिकी राष्ट्रपति तो अपने एयरफोर्स-वन विमान से स्वीडन पहुंच जाएंगे। इसमें तो बहुत सी खूबियां हैं। इस पर तो मिसाइल हमले का भी असर नहीं होता। मगर किम का अधिकारिक प्लेन जिसे ‘एयर फोर्स उन’ कहते हैं, वह तो इस काबिल भी नहीं कि बिना दोबारा तेल भरे 3200 किलोमीटर से ऊपर का सफर तय कर सके। इसमें शक़ नहीं है कि किम ने 13 हज़ार किलोमीटर तक मार करने वाली मिसाइलें तैयार कर ली हैं। परमाणु बमों का ज़खीरा बना लिया है। मगर आज के ज़माने में भी किम बाबा आदम के ज़माने का विमान इस्तेमाल करता है और किम का यह प्लेन एक बार में महज़ 2000 मील के दायरे तक ही उड़ान भर सकता है। इससे आगे जाने के लिए विमान में दोबार तेल भरना पड़ता है। अब एक तो किम को प्लेन से डर और दूसरा सुरक्षा का भी खतरा, ऐसे में 2000 मील यानी 3200 किलोमीटर के दायरे में ही किसी ऐसी जगह को फाइनल करना पड़ेगा, जहां किम और ट्रंप की मुलाकात हो सके। उत्तर कोरिया के 3200 किलोमीटर के दायरे में जो देश आते हैं, उनमें चीन, जापान, रूस, ताइवान, दक्षिण कोरिया और मंगोलिया शामिल हैं। चीन और रूस में अमेरिका नहीं मिलना चाहेगा और दक्षिण कोरिया और जापान में किम को अपनी सुरक्षा का खतरा है। ताइवान पर किम को भरोसा नहीं है। तब मंगोलिया ही ऐसा देश बचता है, जहां मौजूदा वक्त की यह सबसे बड़ी राजनीति मुलाकात हो सकती है। बड़ी बात यह है कि मंगोलिया से दोनों देशों के रिश्ते भी ठीक हैं। हालांकि मंगोलिया को बड़ी मुलाकातों का तजुर्बा थोड़ा कम है।