भोपाल,प्रदेश के चार प्रमुख शहरों भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर सहित सभी प्रमुख नगरीय क्षेत्रों के भीतर संचालित डेयरियां शहर से बाहर होंगी। डेयरी संचालकों को तीन महीने का समय दिया गया है। राज्य सरकार डेयरी संचालकों को तीस साल की लीज पर भूखंड देगी और भूखंड आवंटन के तीन माह के अंदर वहां निर्माण कर डेयरियों को शिफ्ट किया जाएगा। इसके लिए सरकार ने नए नियम तय कर दिए हैं। एनजीटी के निर्देश के बाद सभी नगरीय निकायों के नगरीय क्षेत्रों में स्थित डेयरियों को नगरीय क्षेत्र से बाहर करने के लिए सरकार ने नियम बनाए हैं। डेयरियों को शहर से बाहर करने राजस्व विभाग कलेक्टर के जरिए नगरीय विकास एवं आवास विभाग को गांवों में नि:शुल्क जमीन देगा। नगरीय विकास विभाग इस जमीन को विकसित कर आवंटित करेगा। विकास कार्य में आने वाले खर्च की राशि डेयरी संचालकों से वसूल की जाएगी। डेयरी संचालकों को नगरीय प्रशासन विभाग तीस वर्ष की अवधि पर पट्टे आवंटित करेगी। भूखंड आवंटन के बाद शहर के भीतर से हटेंगी डेयरी- नगरीय निकाय डेयरियों की फोटोग्राफी, वीडियोग्राफी कराएगा और डेयरी संचालक के पशुओं को नगरीय क्षेत्रों से बाहर कराने के निर्देश देगा।
तीन माह के भीतर आवंटित स्थल पर निर्माण पूरा कराने के बाद वर्तमान स्थल पर डेयरी संचालन नहीं हो सकेगा। ऐसा करने वालों के पशुओं की जब्ती की जाएगी। डेयरी के लिए जो भूखंड आवंटित किए जाएंगे। उनके पट्टे आवंटन पर मुद्रांक तथा पंजीयन शुल्क से छूट दी जाएगी। केवल पट्टे की प्रीमियम राशि पर मुद्रांक और पंजीयन शुल्क लिया जाएगा। जो भूखंड दिया जाएगा उसके बाजार मूल्य के दस प्रतिशत प्रीमियम के रूप में तथा निर्धारित प्रीमियम का 7.5 प्रतिशत भूभाटक के रूप में लिया जाएगा। विकास कार्य का शुल्क भी आवंंटियों से वसूल किया जाएगा। पट्टा उन्हें ही मिलेगा जो 14 दिसंबर 2015 के पहले से नगरीय क्षेत्र में डेयरी संचालित कर रहे होंगे। इसके लिए गुमाश्ता, सर्विस टैक्स पंजीयन, पैनकार्ड, दुग्ध सहकारी समिति का पंजीकरण प्रमाणपत्र, सम्पत्ति कर या किराए की रसीद देना होगा। प्रतिबंध का उल्लंघन हुआ तो पट्टा आवंटन निरस्त कर दिया जाएगा। पट्टा मिलने के तीन माह में निर्माण पूरा कराना होगा। इसके लिए अनुबंध भी करना होगा।