व्यापमं घोटाले की जांच पर उठे सवाल, एसटीएफ ने जिन्हें माना गुनहगार उन्हें सीबीआई ने बख्शा

भोपाल, लाखों युवाओं का भविष्य बर्वाद करने के साथ ही उन्हें मौत के मुंह में धकेलने और अरबों रूपये के व्यापमं महाघोटाले की सीबीआई जांच में ही घोटाला किए जाने के आरोप एक बार फिर लगने लगे है। जांच एजेंसी की कार्यवाही के दौरान एसटीएफ द्वारा पकड़े गये आरोपियों की जमानत के साथ ही सीबीआई द्वारा उन्हें आरोपी न बनाये जाने, महाघोटाले के मास्टरमाइंड की लगातार जमानत होने के साथ ही अन्य विन्दुओं को लेकर विपक्षी दल और आरटीआई एक्टिविस्ट इस जांच पर सवालिया निशान लगा रहे है।
– एसटीएफ ने बनाया आरोपी सीबीआई ने नहीं माना गुनाहगार
एसटीएफ की नजरों में महाघोटाले के मास्टरमाइंड में से एक पूर्व परीक्षानियंत्रक पंकज त्रिवेदी को जांच एजेंसी ने बीते दिनों पेश की गई चार्जशीट में आरोपी ही नहीं बनाया। वहीं पूर्व में जांच कर रही एसटीएफ टीम ने माना था घोटाले के मुख्य सूत्र धार पंकज त्रिवेदी है और उसके साथ सिस्टम एनालिस्ट नितिन महिन्द्रा ने स्ट्रांग रूम में ओएमआर शीट में हेराफेरी कर फर्जी मुन्नाभाईयों को पास कराया था। इसके उत्तर सीबीआई को उसी पंकज त्रिवेदी के खिलाफ अभी तक की जांच में कोई साक्ष्य नहीं मिले।
– विपक्षी दलों ने जताई आपत्ति
व्यापमं महाघोटाले में बीते दिनों मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को भी सीबीआई ने क्लीनचिट दे दी जिसे लेकर राजनैतिक हल्को में फिर भूचाल आ गया। कांग्रेस ने एक बार फिर सीबीआई पर दबाव के चलते कार्यवाही किए जाने का आरोप लगाते हुए कहा कि कौन दोषी है और कौन नहीं इसका फैसला अदालत को करना है जबकि व्यापमं घोटाले में रसूखदारों के लिए सारे फैसले सीबीआई कर रही है, सीबीआई की कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिन्ह लगाना है।
– आरटीआई एक्टिविस्ट जायेगे कोर्ट
महाघोटाले के व्हिसलोअर कहे जाने वाले आरटीआई एक्टिविस्ट प्रशांत पाण्डे ने कहा कि जांच एजेंसी को टैपरिंग के साक्ष्य नहीं मिले लेकिन जांच टीमों के पास प्राप्त डाटा उपकरणों में से इमेज बाहर कैसे आ गयी। प्रशांत पाण्डे ने कहा कि फैसला कोर्ट को करना है और अगर जरूरत पड़ी तो वो ऊपरी अदालत में जाऐगे।
– मास्टर माइंडों को मिली जमानत
महाघोटाले के सूत्रधार कहे जाने वाले पंकज त्रिवेदी, नितिन महिन्द्रा, अजय सेन और सीके मिश्रा लंबे समय तक जेल में रहे और सीबीआई जांच शुरू होने के थोड़े समय बाद ही सभी मुख्यसूत्रधारों की जमानते होने लगी और सभी प्रकरणों से जमानत पाकर वो बाहर आ गये। इसके बाद अभी तक जांच एजेंसी द्वारा इनके खिलाफ कोई बड़ी कार्यवाही नहीं की गई। बल्कि पंकज त्रिवेदी को तो जांच एजेंसी ने बीते दिनों पेश चार्जशीट में आरोपी ही नहीं बनाया।
– सीबीआई ने जताई आपत्ति कोर्ट ने दी जमानत
बीते दिनों जांच एजेंसी ने पीएमटी 2013 में 88 आरोपियों के खिलाफ पूरक चालान पेश किया था। इस दौरान 6 आरोपियों की जमानत याचिका कोर्ट में लगाई गई थी। कोर्ट ने रात तक जमानत याचिका पर सुनवाई की और सीबीआई की ओर से आपत्ति जताने के बाद भी कोर्ट ने 6 आरोपियों को जमानत देने के आदेश जारी कर दिए।
– एसटीएफ, सीबीआई में कौन सही कौन गलत, उठ रहे सवाल
महाघोटाले में एसटीएफ जांच के दौरान आरोपियों की मौतों का सिलसिला लगातार जारी था, वहीं छात्र-छात्राओं द्वारा उसकी गिरफ्तारी को भी लेकर कई सवाल उठे थे। एसटीएफ पर भी विपक्षी दलों ने चूजएण्डपिक के साथ ही रसूखदारों के दबाव में काम करने के आरोप लगाये थे। इसके बाद सीबीआई जांच शुरू होने पर मौतों का सिलसिला थम गया लेकिन आरोपी जहां जेलों से बाहर आने लगे वहीं जांच एजेंसी द्वारा एसटीएफ जांच के दायरे में आने वाले कई सफेदपोश और असरदार लोगों के खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया गया। जिसे लेकर अब जांच एजेंसी की कार्यप्रणाली पर भी सवालिया निशान उठने लगे है, साथ ही यह सवाल भी खड़ा हो गया कि एसटीएफ और सीबीआई में किसकी जांच सही थी।

सीबीआई यानि ‘कंप्रोमाइज ब्यूरो ऑफ इंस्वेटिगेशन’
नई दिल्ली,कांग्रेस ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) पर ‘गद्दार’ होने का आरोप लगाया है। मुख्य विपक्षी पार्टी ने कहा कि व्यापमं घोटाले में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को बचाने के लिए सीबीआई ने सबूतों के साथ छेड़छाड़ की है। अब कांग्रेस सच्चाई सामने के लिए निचली अदालत में याचिका दायर करेगी। कांग्रेस प्रवक्ता एवं वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने पार्टी मुख्यालय में एक प्रेस कांफ्रेंस में इस मामले में चौहान को क्लीन चिट देने के लिए सीबीआई की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि वह ‘कंप्रोमाइज ब्यूरो आफ इंस्वेटिगेशन ‘यानी समझौता करने वाली एजेंसी बन गई है।
जिस देश में जांच एजेंसी ही निष्पक्ष जांच न करे और कानून के शासन की अवहेलना करने लगे उसमें लोकतंत्र का क्या हाल होगा। यह सिर्फ राजनीतिक दलों के लिए नहीं बल्कि सबके लिए खतरनाक है। सिब्बल ने कहा कि सीबीआई का कहना है कि उसने उस हार्ड डिस्क को 18 जुलाई 2013 को जब्त किया जिसमें व्यापमं से जुड़े आंकड़े थे, जबकि उससे पहले 17 जुलाई 2013 को हार्ड डिस्क को खोलने के लिए इसके विशेषज्ञ प्रशान्त पांडे की सेवाएं महानिरीक्षक के कार्यालय में ली गईं थीं। इसका मतलब हार्ड डिस्क पहले ही जब्त की जा चुकी थी। उन्होंने बताया कि पांडे ने हार्ड डिस्क के पूरे आंकड़े एक पेन ड्राइव में ले लिए थे। यह पेन ड्राइव अब कांग्रेस के पास है। सिब्बल ने दावा किया कि पेन ड्राइव और सीबीआई के हार्ड डिस्क के आंकडों में फर्क है।

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