कोर्ट में अमित शाह ने माया कोडनानी का बचाव किया कहा विधानसभा में 8.30 बजे मौजूद थीं

अहमदाबाद, साल 2002 में गुजरात के नरोदा गाम दंगे मामले में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने अपने बयान दर्ज कराये। शाह सोमवार को गवाही देने अहमदाबाद की स्पेशल एसआईटी कोर्ट पहुंचे। इस दौरान कोर्ट में अमित शाह ने माया कोडनानी के बचाव में बयान दिया। शाह ने कोर्ट को बताया कि माया कोडनानी उस दिन राज्य विधानसभा में 8.30 बजे मौजूद थीं। इसके बाद 9.30 से 9.45 बजे मैं सिविल अस्पताल पहुंचा और मैं वहां माया कोडनानी से मिला। शाह बोले- मैं 28 फरवरी को सुबह 7.15 बजे अपने घर से विधानसभा के लिए निकला था। सदन की कार्यवाही सुबह 8.30 बजे शुरू होनी थी। वहां अध्यक्ष के साथ विधानसभा के सभी सदस्य सदन में मौजूद थे। माया कोडनानी भी विधानसभा में हाजिर थी। उन्होंने बताया कि गोधरा ट्रेन कांड में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि दी गई थी। विधानसभा अध्यक्ष के साथ बाकी सदस्य सदन में मौजूद थे।
वकीलों के सवालों का शाह ने दिया जवाब
माया कोडनानी के वकील अमित पटेल ने शाह से पूछा
प्रश्न- आपका नाम?
जवाब- अमित शाह
प्रश्न- आपका पता?
जवाब- अथलतेज, अहमदाबाद
प्रश्न- उस दिन कहां थे?
जवाब- घर से विधानसभा के लिए सुबह 7.15 बजे निकला
प्रश्न-कितने बजे शुरू हुई कार्यवाही?
जवाब-8.30 बजे
प्रश्न- कैसे गए थे?
जवाब- गाड़ी से
प्रश्न- गाड़ी में कौन था?
जवाब- मेरा ड्राइवर
प्रश्न- विधानसभा में कौन था?
जवाब- विधानसभा अध्यक्ष और सदस्य
प्रश्न-क्या करना था ख़ास?
जवाब- कार्यवाही पहले से तय थी, मृत लोगों को श्रद्धांजलि दी, 20-25 मिनट बाद कार्यवाही स्थगित। मायाबेन वहां विधानसभा में थीं
प्रश्न- इसके बाद आप कहां गए और क्यों?
जवाब- मेरे पास सोला सिविल अस्पताल से कॉल आ रही थी। वो मेरा विधानसभा क्षेत्र है, इसलिए गया।
प्रश्न- आप सोला सिविल अस्पताल कितने बजे पहुंचे?
जवाब- सुबह 9.30 से 9.45 के बीच
प्रश्न-तब सिविल अस्पताल के क्या हालात थे? उसके बाद आप कहां गए?
जवाब- वहां अफऱातफऱी का माहौल था, परिजन थे, पोस्टमॉर्टम हो रहा था, कानूनी कार्रवाई हो रही थी।
प्रश्न- आप कहां गए फिर?
जवाब- पोस्टमॉर्टम की जगह गया, फिर शिनाख़्त की जगह।
प्रश्न- और कोई व्यक्ति जिसे आप जानते हों, वहां आया हो?
जवाब- कई लोग थे- नाटूभाई वाघेला।
प्रश्न- कोई विधायक जिसे आप जानते हों?
जवाब- मायाबेन कोडनानी वहां आई थीं, वहां काफ़ी नारेबाज़ी हो रही थी।
प्रश्न- वहां फिर क्या हुआ?
जवाब- वहां काफ़ी नारेबाज़ी हो रही थी, पुलिस मुझे अपने घेरे में बाहर ले गई।
प्रश्न- फिर क्या हुआ?
जवाब- मेरी गाड़ी थोड़ी दूर थी, पुलिस की गाड़ी में मुझे बिठाकर वहां ले जाया गया। इतने में मायाबेन को भी उसी जीप में बिठाकर वहां से दूर ले जाया गया।
प्रश्न- कितने बजे थे आप?
जवाब- सुबह के 11 या 11.15 तक था वहां।
सरकारी वकील सुरेश शाह ने अमित शाह से पूछा
सवाल- आप और मायाबेन सरकार में मंत्री के तौर पर साथ काम करते रहे थे?
जवाब- जी
सवाल- आप लोगों के लिए अलग पार्किंग की व्यवस्था विधानसभा में होती है?
जवाब- जी
सवाल- उसी तरह विधानसभा जाने का रास्ता भी अलग होता है क्या?
जवाब- जी, मैंने पार्किंग नहीं देखी, मुझे गाड़ी चलानी नहीं आती। ड्राइवर चलाता है।
सवाल- 27 तारीख़ को विधानसभा के सत्र में आपको घटना की जानकारी कब मिली?
जवाब- विधानसभा में जब गृह मंत्री ने घोषणा की, तब- 11.30 बजे के आसपास
सवाल- 27 को विश्व हिन्दू परिषद ने गुजरात बंद का ऐलान किया था?
जवाब- जी हां
सवाल- 28 फरवरी को गोधरा से शव सुबह तीन से चार बजे आ गए थे?
जवाब- जी हां
सवाल- 28 फरवरी को आप सोला सिविल गए थे?
जवाब- जी हां
सवाल- विधानसभा की कार्यवाही 8.40 को ख़त्म हुई?
जवाब- सही वक्त नहीं पता, 15 या दस मिनट सत्र चला था।
सवाल- आप विधानसभा से कहीं और गए या अस्पताल?
जवाब- मैं सीधे सिविल अस्पताल गया था।
सवाल- आप 9.30 को मायाबेन को मिले?
जवाब- मैं 9.30 पर वहां नहीं था
सवाल- 10.30 पर माया बेन घर गईं?
जवाब- नहीं पता
सवाल- लोगों में गुस्सा था इसलिए पुलिस आपको और माया बेन को कॉर्डन करके ले गई।
जवाब- मुझे लेकर गई।
सवाल- आपको पुलिस ने घेरे में ले जाकर गोटा चौराहे पर छोड़ा?
जवाब- ये ठीक से याद नहीं मगर मेरी गाड़ी पर छोड़ा।
सवाल- आप गए तो जीप में माया बेन बैठी थीं?
जवाब- हां वो बैठी थीं।
सवाल- माया बेन फिर कहां गईं?
जवाब- मुझे पता नहीं।
सवाल- विधानसभा से सिविल के बीच माया बेन कहां गईं, वो आपको पता नहीं है?
जवाब- नहीं पता।
सवाल- आप नरौदा गाम गए थे?
जवाब- मैं वहां नहीं गया, वहां से गुजऱा।
सवाल- विधानसभा से नरौदा गांव का अंतर क्या है?
जवाब- मुझे नहीं पता।
सवाल- गोधरा के बाद हुए दंगों के बाद सुप्रीम कोर्ट ने एसआईटी बनाई, आप जानते हैं?
जवाब- जी
सवाल- एसआईटी ने आपको नोटिस दिया कि आपको इस बारे में कुछ कहना है या जानकारी है तो आप कह सकते हैं?
जवाब- हां
सवाल- आपने खुद से एसआइटी में कोई पक्ष नहीं रखा
जवाब- नहीं, कोई हलफऩामा नहीं दिया था
सवाल- नरौदा गांव और नरौदा पटिया केस में माया बेन की गिरफ़्तारी हुई, आप जानते हैं?
जवाब- हां (बचाव पक्ष ने इस पर ऐतराज किया)
सवाल- नरौदा पटिया केस में मायाबेन को सज़ा हुई आप जानते हैं?
जवाब- हां
सवाल- नरौदा पटिया केस में आपने गवाही नहीं दी है?
जवाब- जी हां, मुझे इसके पहले कभी पूछा नहीं गया, कोई समन नहीं मिला था
सवाल- आपसे उस वक्तत माया बेन ने संपर्क किया था, गवाही की बात की थी?
जवाब- माया बेन ने संपर्क किया था, लेकिन एसआइटी ने उस वक्त न समन दिया न पूछताछ की तकलीफ़ की कि मैं माया बेन के साथ था या नहीं।
सवाल- माया बेन आपके साथ सिविल अस्पताल में थीं और आप गवाही आज पहली बार दे रहे हैं?
जवाब- जी हां
सवाल- माया बेन और आप एक ही पक्ष के हैं, इसलिए आप उन्हें बचाने के लिए ये कर रहे हैं?
जवाब- ये सच नहीं है।
चार महीने में पूरी करनी है सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने तीन सप्ताह पहले विशेष एसआईटी अदालत से कहा कि वह मामले की सुनवाई चार महीने के भीतर पूरी करे। तत्कालीन प्रधान न्यायमूर्ति जेएस खेहर की अध्यक्षता वाली पीठ ने निचली अदालत से कहा कि वह दो महीने के भीतर गवाहों का बयान दर्ज करने का काम पूरा करे। नरोदा गाम मामला 2002 में हुए नौ बड़े सांप्रदायिक दंगों के मामलों में से एक है जिनकी जांच सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त विशेष जांच दल ने की है।
गोधरा अग्निकांड के विरोध स्वरूप हुए थे दंगे
गोधरा ट्रेन अग्निकांड के एक दिन बाद 28 फरवरी, 2002 को नरोदा गाम में 11 मुसलमानों को मार डाला गया था। इस मामले में कुल 82 लोगों के खिलाफ सुनवाई हो रही है। कोडनानी को नरौदा पाटिया दंगा मामले में दोषी करार देते हुए 28 साल कैद की सजा सुनायी गयी है।

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