मुंबई,दक्षिण मुंबई के भिंडी बाजार में जेजे जंक्शन के पास स्थित हुसैनी इमारत ढह जाने से अब तक 34 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 15 लोग घायल हुए हैं। बचाव कार्य में लगे छह दमकलकर्मी भी घायल हुए हैं। 117 वर्ष पुरानी यह छह मंजिला इमारत गुरुवार सुबह अचानक गिर गई।
इस हादसे में अब तक 34 लोगों की मौत हो चुकी है। एनडीआरएफ ने 13 लोगों को बचाए जाने की बात कही है। बचाव कार्य पूरी रात चलता रहा। राज्यपाल सी विद्यासागर राव ने हुसैनी इमारत के ढहने पर गहरा दुख प्रकट किया है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मृतकों के परिजनों के लिए पांच लाख रुपये मुआवजे और घायलों के उपचार का खर्च उठाने का ऐलान किया है। अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृहनिर्माण) ने हादसे की जांच का आदेश दिया है। जैसे-जैसे मलबा हटाया गया, मृतकों की संख्या भी बढ़ने लगी। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और गृहनिर्माण मंत्री प्रकाश मेहता ने घटनास्थल पर पहुंच कर बचाव कार्यों का निरीक्षण किया। पिछले कुछ समय से वर्षा की मार झेल करे मुंबई में इस दौरान बारिश नहीं होने से बचाव कार्य में कोई दिक्कत नहीं आई है। यह इमारत जेजे अस्पताल के पास ही में स्थित थी। इस लिए हादसे में घायल होने वाले लोगों को तुरंत उपचार उपलब्ध कराया जा सका। मरने वालों में ज्यादातर मजदूर थे।
इसी इमारत में छोटे बच्चों का प्ले ग्रुप भी संचालित किया जा रहा था। उसमें दो घंटे बाद बच्चों को आना था। इसलिए उनकी जान बच गई। अगर हादसा दो घंटे बाद हुआ होता, तो बच्चे भी हादसे की चपेट में आ जाते। एक स्थानीय नागरिक ने बताया आसपास के तमाम बच्चे वहीं पढ़ने जाते थे। अल्लाह का शुक्र है कि वे बच गए। दरअसल, भिंडी बाजार पुनर्विकास के तहत इस पूरे इलाके को क्लस्टर रिडिवेलपमेंट में विकसित करने की शुरुआत हुई है। इसका जिम्मा सैफी बुरहानी अपलिफमेंट ट्रस्ट (एसबीयूटी) के पास है। हुसैनी इमारत सेस श्रेणी में होने के चलते इसकी मरम्मत का काम मुख्य तौर पर म्हाडा का था। म्हाडा के अधिकारी ने बताया, ‘चूंकि हमने पुनर्विकास के लिए मंजूरी दे दी है, इसलिए जिम्मेदारी बिल्डर की होती है। सामान्य मामलों में हम इमारत का निरीक्षण कर उसकी मरम्मत की प्रक्रिया आगे बढ़ाते हैं।’
पुनर्विकास के तहत इमारत के सात परिवारों ने ट्रांजिट कैंप में शरण ले ली थी, लेकिन कुछ परिवार इमारत में बचे रहे। वही हादसे का शिकार हुए। म्हाडा के रिपेयर बोर्ड के मुख्य अधिकारी सुमंत भागे ने हुसैनी इमारत हादसे के लिए सैफी बुरहानी अपलिफ्टमेंट ट्रस्ट को जिम्मेदार ठहराया। म्हाडा ने इमारत की मरम्मत करने या इसे तोड़ने के बारे में भेजे दो नोटिसों के बावजूद उसने कोई कदम नहीं उठाया। इमारत खाली कराने में एसबीयूटी भी असफल रहा। एसबीयूटी प्रतिनिधि ने हादसे पर दुख जताते हुए कहा गया है कि संबंधित एजेंसियों की मदद की जा रही है। म्हाडा ने भी इमारत को जर्जर होने के चलते दो नोटिस पहले ही जारी किए थे, लेकिन कुछ लोगों ने घर खाली नहीं किए।