अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा

अयोध्या, यूपी के अयोध्या में रामजन्म भूमि पर आज भगवान राम के बालस्वरूप की भव्य मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा की गई। प्रकार राम मंदिर में प्रभू श्रीराम बाल स्वरूप की मनमोहक छवि के साथ विराजमान हुए । करीब पांच सौ साल के बाद ये अवसर आया जब रामलला अपने भव्य महल में विराजमान हुए है। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होने के बाद सियावर रामचंद्र की जय और जय श्री राम के जयकारे लगे।प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नवनिर्मित श्री राम जन्मभूमि मंदिर में श्री राम लला के प्राण प्रतिष्ठा (प्रतिष्ठा) समारोह में भाग लिया।
एकत्र जनसमूह को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि सदियों के बाद आखिरकार हमारे राम आ गए हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने इस अवसर पर कहा, “सदियों के धैर्य, अनगिनत बलिदान, त्याग और तपस्या के बाद, हमारे भगवान राम यहां हैं।” प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘गर्भ गृह’ (आंतरिक गर्भगृह) के अंदर ईश्वरीय चेतना का अनुभव शब्दों में नहीं किया जा सकता है और उनका शरीर ऊर्जा से स्पंदित है और मन प्राण प्रतिष्ठा के क्षण के लिए समर्पित है। “हमारे राम लला अब तंबू में नहीं रहेंगे। यह दिव्य मंदिर अब उनका घर होगा”, प्रधानमंत्री ने विश्वास और श्रद्धा व्यक्त करते हुए कहा कि आज की घटनाओं को देश और दुनिया भर के राम भक्तों द्वारा अनुभव किया जा सकता है। श्री मोदी ने कहा, “यह क्षण अलौकिक और पवित्र है, वातावरण, पर्यावरण और ऊर्जा हम पर भगवान राम के आशीर्वाद का प्रतीक है।” उन्होंने रेखांकित किया कि 22 जनवरी की सुबह का सूरज अपने साथ एक नई आभा लेकर आया है। प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि 22 जनवरी, 2024 केवल कैलेंडर की एक तारीख नहीं है, यह एक नए ‘काल चक्र’ का उद्गम है।” राम मंदिर के भूमि पूजन के बाद से प्रतिदिन पूरे देश में उमंग और उत्साह बढ़ता ही जा रहा था। निर्माण कार्य देख, देशवासियों में हर दिन एक नया विश्वास पैदा हो रहा था और विकास कार्यों की प्रगति से नागरिकों में नई ऊर्जा का संचार हुआ। आज हमें सदियों के उस धैर्य की धरोहर मिली है, आज हमें श्रीराम का मंदिर मिला है। प्रधानमंत्री ने कहा, ”आज हमें सदियों के धैर्य की विरासत मिली है, आज हमें श्री राम का मंदिर मिला है।” उन्होंने जोर देकर कहा कि गुलामी की मानसिकता को तोड़कर उठ खड़ा हो रहा राष्ट्र, अतीत के हर दंश से हौसला लेकर, ऐसे ही नव इतिहास का सृजन करता है। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने कहा कि आज की तारीख की चर्चा आज से एक हजार साल बाद की जाएगी और यह भगवान राम का आशीर्वाद है कि हम इस महत्वपूर्ण अवसर के साक्षी हैं। प्रधानमंत्री ने कहा, “दिन, दिशाएं, आकाश और हर चीज आज दिव्यता से भरी हुई है”, उन्होंने कहा कि यह कोई ये समय, सामान्य समय नहीं है। ये काल के चक्र पर सर्वकालिक स्याही से अंकित हो रहीं अमिट स्मृति रेखाएँ हैं।
श्री राम के हर कार्य में पवनपुत्र हनुमान की उपस्थिति की चर्चा कहते हुए प्रधानमंत्री ने श्री हनुमान और हनुमान गढ़ी को नमन किया। उन्होंने लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न और माता जानकी को भी प्रणाम किया। उन्होंने इस घटना पर दिव्य संस्थाओं की उपस्थिति को स्वीकार किया। प्रधानमंत्री ने आज का दिन देखने में हुई देरी के लिए प्रभु श्री राम से माफी मांगी और कहा कि आज वह कमी पूरी हो गई है, प्रभु राम निश्चित रूप से हमें क्षमा करेंगे।
प्रधानमंत्री ने कहा, ”आज का अवसर उत्सव का क्षण तो है ही, लेकिन इसके साथ ही ये क्षण भारतीय समाज की परिपक्वता के बोध का क्षण भी है। हमारे लिए ये अवसर सिर्फ विजय का नहीं, विनय का भी है। प्रधानमंत्री ने इतिहास की गुत्थियां समझाते हुए कहा, दुनिया का इतिहास साक्षी है कि कई राष्ट्र अपने ही इतिहास में उलझ जाते हैं। लेकिन हमारे देश ने इतिहास की इस गांठ को जिस गंभीरता और भावुकता के साथ खोला है, वो ये बताती है कि हमारा भविष्य हमारे अतीत से बहुत सुंदर होने जा रहा है।” प्रधानमंत्री ने विनाश करने वालों को याद करते हुए कहा कि ऐसे लोगों को हमारे सामाजिक भाव की पवित्रता का एहसास नहीं है। उन्होंने कहा, “रामलला के इस मंदिर का निर्माण भारतीय समाज की शांति, धैर्य, आपसी सद्भाव और समन्वय का भी प्रतीक है। हम देख रहे हैं, ये निर्माण किसी आग को नहीं, बल्कि ऊर्जा को जन्म दे रहा है। राम मंदिर समाज के हर वर्ग को एक उज्जवल भविष्य के पथ पर बढ़ने की प्रेरणा लेकर आया है।”, उन्होंने कहा, “राम आग नहीं है, राम ऊर्जा हैं। राम विवाद नहीं, राम समाधान हैं। राम सिर्फ हमारे नहीं हैं, राम तो सबके हैं। राम वर्तमान ही नहीं, राम अनंतकाल हैं।

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