राज्यों के बीच दशकों पुराने सीमा विवाद रातों-रात नहीं हो सकते हल

गुवाहाटी,असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि राज्यों के बीच दशकों पुराने सीमा विवाद का रातोंरात समाधान नहीं हो सकता क्योंकि यह बहुत जटिल मुद्दा है। उन्होंने मीडिया से कहा कि असम अन्य राज्यों के साथ भी बातचीत कर रहा है। उन्होंने पिछली कांग्रेस सरकारों को नए राज्यों का निर्माण करते समय स्पष्ट रूप से सीमांकन नहीं करने के लिए दोषी ठहराया। दिल्ली के चार दिवसीय दौरे पर आए सरमा ने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की।
सरमा ने कहा, “मिजोरम 1870 में अंग्रेजों द्वारा जारी अधिसूचना के आधार पर इनर लाइन फॉरेस्ट की मांग कर रहा है। असम की स्थिति यह है कि यह एक संवैधानिक सीमा है और मिजोरम ऐतिहासिक सीमा के बारे में पूछ रहा है। असम अपनी संवैधानिक सीमा की रक्षा कर रहा है।”
हालांकि, उन्होंने कहा कि अब तक दोनों राज्यों के बीच के मुद्दे को सुलझा लिया गया है। उन्होंने कहा, “हमने फिलहाल इस मुद्दे पर चर्चा की है और इसे सुलझा लिया है। मैं मिजोरम के मुख्यमंत्री के संपर्क में हूं और दिन में कम से कम दो बार उनसे बात करता हूं।”
सरमा ने कहा कि “पिछले कई दशकों से हमारी सीमाओं” से संबंधित समस्याएं थीं। पिछले सितंबर में, दोनों राज्यों के बीच “अविश्वास और मतभेद” बढ़े, जिसके परिणामस्वरूप यह हिंसक घटना हुई, लेकिन अब स्थिति शांतिपूर्ण है।”
सरमा ने पूर्वोत्तर के राज्यों के बीच सीमा विवाद के लिए कांग्रेस को दोषी ठहराया क्योंकि दशकों तक देश पर शासन करने वाली पार्टी ने सीमाओं का सीमांकन नहीं किया।
असम के मुख्यमंत्री ने कहा “कांग्रेस कभी भी एक संयुक्त उत्तर-पूर्व नहीं चाहती थी, इसलिए उसने हमें अपनी सीमाओं के लिए लड़ने के लिए छोड़ दिया। राज्यों के निर्माण के समय इसे बेहतर किया जा सकता था। समय के साथ अविश्वास बढ़ता गया लेकिन अब हम हैं इसे हल करने की कोशिश कर रहे हैं।”
सरमा ने कहा कि पूर्वोत्तर राज्य एक-दूसरे से अलग हैं, लेकिन उनमें समानताएं भी हैं, इसलिए विवादों को सुलझाने के लिए, हमें अपनी समानताओं को देखने की जरूरत है।

 

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