किसानों की मांग के समर्थन में राजभवन घेराव पर निकले कांग्रेसी पुलिस से पिटे,लांठियां भांजी गई,आंसू गैस के गोले छोड़े गए

भोपाल, नए कृषि कानून के खिलाफ कांग्रेस ने आज भोपाल में प्रदर्शन कर राजभवन के घेराव की कोशिश की। जैसे ही कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं ने राजभवन की ओर बढ़ना चाहा उनकी और पुलिस की झड़प हो गई, पुलिस ने जमकर लाठियां भांजी। साथ ही आंसू गैस के गोले छोड़कर भीड़ को तितर-बितर करने की कोशिश की गई। इधर,पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के नेतृत्व में कांग्रेस नेताओं व कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन किया। भोपाल में जवाहर चौक से कांग्रेस नेता और कार्यकर्ता कृषि कानून को वापस लेने के लिए राजभवन का घेराव करने निकले थे। जिन पर पुलिस ने पहले वाटर कैनन से पानी की बौझार कर तितर-बितर करने की कोशिश की, लेकिन बैरीगेट तोड़कर आगे बढ़े कांग्रेस कार्यकर्ताओं पर पुलिस ने पहले जमकर लाठियां भांजी और फिर आंसू गैस के गोलों की बौछार कर दी। पुलिस की लाठी चार्ज के दौरान कांग्रेस के कई कार्यकर्ताओं को चोटे भी आई। वहीं कांग्रेस नेताओं को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। इसके पहले पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा, केंद्र ने किसानों के लिए काले कानून बनाएं है। मैंने अपने समय में एमएसपी के लिए केंद्र सरकार से लड़ाई लड़ी थी। क्या दिल्ली में बैठे किसानों में बुद्धि नहीं है, कि वे क्या कर रहे हैं? मंडियों को बड़े-बड़े उद्योगपति अपनी चपेट में ले लेगा। उन्होंने कहा कि किसान उद्योगपतियों का बंधुआ मजदूर बन जाएगा। हम एकत्रित देश के सभी किसानों के लिए हुए है। एक समय वह था जब हमारे देश में अनाज का आयात होता था, वह भी एक भारत था। इंदिरा गांधी, पंडित जवाहरलाल नेहरू, लाल बहादुर शास्त्री ने सबसे ज्यादा प्राथमिकता हमारे कृषि क्षेत्र को ही दी और उसी के कारण आज हमारा देश अनाज का निर्यात करता है। आयात करने वाला देश निर्यात करने लगा ,यह सब कैसे हुआ इसके लिए कांग्रेस की सरकारों ने कई क्रांतिकारी निर्णय लिए। हमने ना सिर्फ बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया, कोयला खदानों का राष्ट्रीयकरण किया बल्कि इसके साथ-साथ सबसे बड़ा कदम उठाते हुए कृषि क्षेत्र का भी राष्ट्रीयकरण किया, उसी समय से समर्थन मूल्य शुरू हुआ। उसके पहले समर्थन मूल्य का कोई नाम नहीं जानता था। उसके बाद एग्रीकल्चर प्राइस कमीशन बनी और एफसीआई की स्थापना हुई। एफसीआई समर्थन मूल्य में खरीदेगा, यह निर्णय उस समय की कांग्रेस सरकार ने लिया। हमने निर्णय लिया कि अपने देश में अनाज का एक ऐसा बफर स्टाक बनाएंगे, जिसमें कभी अकाल पड़ जाए तो भुखमरी ना हो।
हमारे प्रदेश के किसान तो गुजारे की खेती करते थे और आज भी करते हैं। वे अपनी फसल बेचकर आज भी साल भर का गुजारा करते हैं। आज भी मध्य प्रदेश में 20 प्रतिशत किसानों को ही समर्थन मूल्य का लाभ मिलता है। मैंने लड़ाई लड़ी थी जब मैं मुख्यमंत्री था, मेरी सरकार थी कि समर्थन मूल्य में खरीदी की जाये। मोदी जी की सरकार ने कोटा फिक्स किया था कि मध्यप्रदेश इससे ज्यादा नहीं खरीदेगा , यदि खरीदेगा तो वो अपनी जेब से खरीदे।
मैंने मोदी सरकार से बहुत बड़ी लड़ाई लड़ी, यह प्रमाण के रूप में रिकार्ड में आज भी मौजूद है। हमें समर्थन मूल्य से वंचित रखने का काम किया गया।
इन तीन काले कानूनो के द्वारा उद्योगपतियों को मंडी का दर्जा दिया जाएगा, वह किसान के पास जाएंगे मनमाने दाम पर किसानों से उत्पाद खरीदेंगे, किसान तो मजबूर है, उसकी आवश्यकता है।समर्थन मूल्य भी इन काले कानूनो से खत्म हो जाएगा। क्या किसान बड़े-बड़े उद्योगपतियों से लड़ सकेगा? कांटेक्ट फार्मिंग से किसान बंधुआ मजदूर बन जाएगा।खेती करने वाला किसान मजदूर बन जाएगा।तीसरा काला कानून जमाखोरी व कालाबाजारी को बढ़ावा देगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *