रियल एस्टेट में विदेशी निवेशकों के लिए भारत पहली पसंद, पिछले साल आया 6 अरब डॉलर का निवेश

नई दिल्ली, देश के रियल एस्टेट सेक्टर क्षेत्र में पिछले साल इस क्षेत्र में 27 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ करीब 6 अरब डॉलर (45 हजार करोड़ रुपए) का निवेश किया गया। इसका खुलासा रियल एस्टेट कंसल्टिंग फर्म सीबीआरई साउथ एशिया के घरेलू उद्योग में निवेश के रुझानों से जुड़ी एक रिपोर्ट से हुआ है। कंसल्टिंग फर्म ने इस सेक्टर में फंड इनफ्लो का ब्रेकअप भी जारी किया।रिपोर्ट में बताया गया है कि निवेश गतिविधियों में ‘ऑफिस सेक्टर’ और ‘डेवलपमेंट साइट्स/लैंड’ का वर्चस्व रहा, जिनमें से प्रत्येक में लगभग 40% फंड्स का इनफ्लो हुआ। इनके बाद होटलों में 11% निवेश किया गया। ‘डिवलपमेंट साइट्स/लैंड’ में 2018 के मुकाबले 2019 में 5% अधिक निवेश देखा गया। होटल सेगमेंट में कुल निवेश में 2018 की तुलना में 10% की बढ़ोतरी हुई।
सीबीआरई के भारत, दक्षिण पूर्व एशिया, पश्चिम एशिया और अफ्रीका के लिए लिए चेयरमैन और सीईओ अंशुमन मैगजीन का कहना है कि रियल एस्टेट सेक्टर में स्‍वस्‍थ निवेश गतिविधियां इसके प्रदर्शन और पुन बहाली का सबूत हैं। ज्यादा संगठित, पारदर्शी और लाभदायक होने के साथ यह उद्योग वैश्विक और घरेलू खिलाड़ियों से लगातार निवेश आकर्षित करता रहेगा। बाजार में तरलता बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों ने भी निवेशकों के आत्मविश्वास में बढ़ोतरी के लिहाज से बढ़िया काम किया है।
इस रिपोर्ट में बताया गया है कि इस सेक्टर को वर्ष 2018 में कुल 4.8 अरब डॉलर का निवेश मिला था। शहर-वार निवेश गतिविधियों में मुंबई, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर, बेंगलुरु और हैदराबाद) अग्रणी रहे। सभी प्रमुख सेगमेंट्स में निवेश गतिविधियों में ज्यादातर विदेशी दिग्‍गजों की मुख्य भूमिका रही, जिन्होंने 65% का बड़ा योगदान दिया।
विभिन्न रियल एस्टेट परियोजनाओं में घरेलू खिलाड़ियों द्वारा किया गया कुल निवेश 35% रहा। सीबीआरई के कैपिटल मार्केटस डिवीजन के एमडी और सह प्रमुख निखिल भाटिया का कहना है कि ऑफिस, रिटेल, वेयरहाउसिंग और हॉस्पिटैलिटी में अवसरों की तलाश कर रहे संस्थागत निवेशकों के लिए भारत एक मजबूत क्षेत्रीय हब के रूप में उभरा है। यह जमीनी चरण में काम में ली जा रही बड़ी विदेशी पूंजी से रेखांकित हुआ है। हम उम्मीद करते हैं कि सरकार द्वारा कोविड-19 से जुड़ी परिस्थितियों को बढ़िया ढंग से संभालने के चलते भारत इस क्षेत्र में तुलनात्मक रूप से बेहतर जगह पर होगा।

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