मप्र में मंत्रिमंडल का गठन 14 अप्रैल के बाद ही किया जायेगा, अभी पूरा फोकस कोराना पर ही होगा

भोपाल, मध्य प्रदेश की सत्ता पर शिवराज सिंह चौहान काबिज होने में कामयाब हो गए हैं, लेकिन मंत्री बनने की चाहत रखने वाले विधायकों और नेताओं को करीब एक महीने तक इंतजार करना पड़ सकता है। देश में कोरोना के बढ़ते खतरों को देखते हुए 14 अप्रैल तक पूरी तरह से लॉकडाउन है। ऐसे में शिवराज का कैबिनेट गठन लॉकडाउन खत्म होने के बाद ही संभव है। उधर, मंत्री बनने की आस लगाए बैठे नेताओं में बेचैनी बढ़ रही है।
कोरोना संक्रमण के मामले मध्य प्रदेश में भी तेजी से आ रहे हैं। राज्य में अब तक कोरोना वायरस से 14 लोग पीडि़त हैं और कोरोना पीडि़त महिला की मौत हो गई है। मध्य प्रदेश में कोरोना से यह पहली मौत हुई है। इसके अलावा सूबे में जिस तरह से कोरोना संक्रमण के मामले पिछले दो दिनों में सामने आए हैं। इससे शिवराज सरकार की चिंता बढ़ गई। ऐसे में शिवराज सरकार की पहली प्रथामिकता कोरोना वायरस को हराना है न कि मंत्रिमंडल का गठन और विस्तार।
पूरा फोकस महामारी पर
शिवराज सिंह चौहान ने मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद अपनी पहली प्रतिक्रिया में कहा था,मेरे और भाजपा की सरकार के सामने फिलहाल मध्य प्रदेश में सबसे बड़ी चुनौती कोरोना वायरस को फैलने से कैसे रोका जाए, ये है। मुख्यमंत्री शिवराज ने कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए प्रशासन द्वारा किए जा रहे प्रयासों को लेकर बुधवार को वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिए सूबे के तमाम आला अधिकारियों से संवाद किया और विशेष पैकेज की घोषणा की है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इसी के संकेत भी दे दिए हैं कि लॉकडाउन खत्म होने के बाद ही कैबिनेट गठन और मंत्रिमंडल का विस्तार किया जाएगा। उन्होंने भाजपा विधायकों को पहले ही कह रखा है कि सभी अपने-अपने घरों और विधानसभा क्षेत्र में रहें। अब तो 14 अप्रैल तक लॉकडाउन भी है।
कैबिनेट में संतुलन बड़ी चुनौती
बता दें कि मध्य प्रदेश विधानसभा में कुल 230 सीटें हैं। इस हिसाब से सरकार में मुख्यमंत्री सहित ज्यादा से ज्यादा 35 विधायक मंत्री बन सकते हैं। शिवराज की नई सरकार में सामाजिक समीकरण और क्षेत्रीय संतुलन साधने की कवायद होगी। क्षेत्रीय स्तर पर प्रदेश के सभी संभागों से मंत्री बनाने के साथ सामाजिक समीकरण के स्तर पर क्षत्रिय, ब्राह्मण, पिछड़े, अनुसूचित जाति और आदिवासी समाज का प्रतिनिधित्व दिए जाने की संभावना है।
शिवराज सरकार में कितने बागी बनेंगे मंत्री
कमलनाथ सरकार के छह मंत्रियों समेत 22 विधायकों के इस्तीफा देने से ही मध्य प्रदेश में शिवराज को सरकार बनाने का अवसर मिला। इनमें प्रभुराम चौधरी, तुलसी सिलावट, इमरती देवी, गोविंद सिंह राजपूत, प्रद्युम्न सिंह तोमर और महेंद्र सिंह सिसोदिया मंत्री थे, जिन्होंने इस्तीफा देकर भाजपा की सरकार तो बनवा दी। ऐसे में अब किए गए वादों को पूरा करने की बारी शिवराज सरकार और बीजेपी की है। इस लिहाज से शिवराज सरकार में भी इनका मंत्री बनना पूरी तरह से तय है। इसके अलावा कांग्रेस से बगावत करने वाले बिसाहूलाल सिंह, ऐंदल सिंह कंसाना, हरदीपसिंह डंग और राज्यवर्धन सिंह भी मंत्री पद के दावेदारों में शामिल हैं। इन नेताओं ने कमलनाथ सरकार से बगावत ही इसीलिए किया था, क्योंकि कमलनाथ ने इन्हें मंत्री नहीं बनाया था। ऐसे में इन्हें साधकर रखने के लिए शिवराज मंत्री पद का इनाम दे सकते हैं। हालांकि शिवराज कैबिनेट में मंत्रियों के चयन प्रक्रिया में ज्योतिरादित्य सिंधिया की अहम भूमिका होगी। बागियों में उन्हें ही मंत्री बनाया जाएगा, जिन पर सिंधिया मुहर लगाएंगे। ऐसे में अब देखना है कि 22 में से कितने नेताओं को मंत्री बनाया जाता है।
भाजपा से मंत्री पद के प्रमुख दावेदार
मध्य प्रदेश में 15 महीनों से सत्ता से दूर भाजपा में भी मंत्री पद के दावेदारों की फेहरिस्त अच्छी खासी लंबी है। कमलनाथ सरकार गिराने में बेहद अहम भूमिका निभाने वाले नरोत्तम मिश्रा का मंत्री बनना तय है। इसके अलावा पिछली शिवराज सरकार में मंत्री रहे नेताओं भी दौड़ में माने जा रहे हैं। नेता प्रतिपक्ष रहे गोपाल भार्गव, पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह, अरविंद सिंह भदौरिया, राजेंद्र शुक्ला, विश्वास सारंग, संजय पाठक, कमल पटेल, विजय शाह, हरिशंकर खटीक, गौरीशंकर बिसेन, अजय विश्नोई जैसे भाजपा के कई विधायक हैं, जिनके मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने के पूरी संभावना है।
निर्दलीय भी मंत्री बनने को बेताब
शिवराज सिंह चौहान को सपा, बसपा और निर्दलीय विधायकों का भी समर्थन हासिल है। यही वजह है कि निर्दलीय विधायकों ने भी मंत्री पद के लिए अपने-अपने समीकरण सेट करने शुरू कर दिए हैं। प्रदीप जायसवाल तो पहले ही बीजेपी सरकार में शामिल होने की बात कहकर माहौल गर्मा रखा है। बसपा और सपा के सदस्य भी दावेदारी में पीछे नहीं हैं। इसके अलावा अन्य निर्दलीय विधायक भी जुगाड़ लगाने में जुट गए हैं, जिनमें ठाकुर सुरेंद्र सिंह नवल सिंह (शेरा भैया) भी शामिल हैं।
इनका कहना है
कोरोना वायरस को हराना राज्य सरकार की एक मात्र प्राथमिकता है। कोरोना वायरस को फैलने से कैसे रोका जाए , फिलहाल यही हमारी चिंता का विषय है । मंत्रिमंडल का गठन या विस्तार भी लॉक डाउन खत्म होने के बाद ही होगा।
शिवराज सिंह चौहान

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