कांग्रेस के बागी विधायकों में 3 दिग्विजय और 1 सिंधिया का करीबी, इनमें से 2 हैं कमलनाथ से नाराज, मंत्री जायसवाल बोले सरकार के साथ पर अन्य विकल्प खुले

भोपाल/नई दिल्ली, कांग्रेस का आरोप है कि कमलनाथ सरकार को अस्थिर करने को लेकर भाजपा ने 10 विधायकों को पाला बदलने के लिए 35 करोड़ रुपए का ऑफर दिया था। हालांकि, दिग्विजय सिंह ने दावा किया कि इनमें से 6 विधायकों को भाजपा के कब्जे से मुक्त करा लिया गया है। अब सिर्फ 4 विधायक ही भाजपा के पास हैं। सोमवार सुबह से मध्यप्रदेश में शुरू हुआ सियासी ड्रामा थमने का नाम नहीं ले रहा है। दिग्विजय सिंह के आरोप के बाद भाजपा नेताओं ने 17 विधायकों का समर्थन होने का दावा किया और उनमें से तथाकथित तौर पर 10 विधायकों को दिल्ली बुला लिया। मंगलवार देर रात से भाजपा पर दिल्ली में विधायकों को बंधक बनाने के आरोप लगाती कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने दिल्ली पहुंचकर दावा किया कि उनके 10 में से 6 विधायक वापस आ गए हैं। हालांकि 4 विधायक अभी भी भाजपा के कब्जे में हैं । इस बीच कांग्रेस के तराना से विधायक महेश परमार ने भी आरोप लगाया है कि उन्हें खुद पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 35 करोड़ रुपए और मंत्री बनाने का प्रस्ताव दिया था। फोन पर दो बार संपर्क किया गया था।
-ये विधायक भाजपा के संपर्क में थे
कांग्रेस के आरोपों के अनुसार निर्दलीय विधायक सुरेन्द्रसिंह शेरा, बसपा विधायक रामबाई, सपा विधायक राजेश शुक्ला, कांग्रेस विधायक एंदलसिंह कंसाना, बिसाहूलाल सिंह, हरदीपसिंह डंग, रणवीर जाटव, कमलेश जाटव, गिरिराज दंडोतिया समेत -10 विधायक हैं। इनमें से 6 विधायकों के वापस लौटने का दावा है।
चार्टर्ड प्लेन से चार विधायक आए भोपाल
कांग्रेस के चार विधायक भोपाल पहुंच गए हैं। मंत्री जीतू पटवारी चार्टर्ड प्लेन से उन्हें लेकर भोपाल पहुंचे। आरोप है कि भाजपा ने इन चारों विधायकों को बंधक बनाकर रखा था। विधायकों के स्टेट हैंगर पहुंचने से पहले भारी पुलिस बल तैनात कर दिया गया था। विधायक राजेश शुक्ला, संजीव सिंह कुशवाह, एंदल सिंह कंसाना को लेकर जीतू पटवारी और तरुण भनोत भोपाल पहुंचे।
चार विधायक अब भी लापता
कांग्रेस के चार विधायक अब भी लापता हैं। उनके बैंगलुरू में होने की सूचना मिल रही है। इनमें हरदीप सिंह डंग, बिसाहूलाल सिंह, सुरेंद्र सिंह शेरा शामिल हैं।
-यह राज्यसभा में जाने की लड़ाई है: उमंग सिंघार
सियासी ड्रामे के बीच वन मंत्री उमंग सिंघार ने ट्वीट कर लिखा है कि माननीय कमलनाथ जी की सरकार पूर्ण रूप से सुरक्षित है। यह राज्यसभा में जाने की लड़ाई है, बाकी आप सब समझदार हैं। सिंघार ने अपने ट्वीट में किसी भी नेता का नाम नहीं लिखा है। लेकिन कयास लगाए जा रहे हैं कि उन्होंने इशारों-इशारों में पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह पर हमला किया है। क्योंकि कांग्रेस में अभी राज्यसभा जाने के लिए दो ही लोग प्रबल दावेदार हैं। एक दिग्विजय सिंह और दूसरे ज्योतिरादित्य सिंधिया।
नई सरकार को समर्थन का विकल्प खुला: जायसवाल
खनिज मंत्री प्रदीप जायसवाल ने भाजपा को समर्थन देने के बारे में विकल्प खुला रखने की बात कही है। उन्होंने कहा कि वह कमलनाथ के साथ हैं। लेकिन अगर सरकार गिरती है तो वह नई सरकार में शामिल होने का विकल्प खुला रखेंगे।
सिंधिया की शांति
सबसे बड़ा सवाल ज्योतिरादित्य सिंधिया की शांति पर उठ रहे हैं। सरकार के संकट में होने के बाद भी अभी तक उन्होंने सामने आकर कोई सक्रियता दिखाने की कोशिश नहीं की है। उनके खेमे के तीन मंत्री भी पूरे घटनाक्रम से दूरी बनाए हुए हैं। हालांकि तीन मंत्रियों ने आपस में मुलाकात जरूर की है। लेकिन इसमें क्या बात हुई है…इसको लेकर कुछ भी स्पष्ट नहीं हुआ है।
सिंधिया समर्थक मंत्रियों ने अलग से की बैठक
मुख्यमंत्री निवास में सीएम कमलनाथ ने मंत्रियों के साथ चर्चा की, लेकिन बैठक में सिंधिया समर्थक मंत्री नदारद रहे। सीएम हाउस में बैठक होने से पहले सिंधिया समर्थक मंत्रियों राजस्व मंत्री गोविंद सिंह राजपूत, खाद्य मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर, स्वास्थ्य मंत्री तुलसी सिलावट नहीं पहुंचे यह बैठक राजस्व मंत्री के निवास पर हुई।
कांग्रेस ने दी फ्लोर टेस्ट की चुनौती
मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भाजपा को फ्लोर टेस्ट की चुनौती देते हुए कहा कि हिम्मत हो तो दिल्ली-बैंगलुरु से भोपाल आकर फ्लोर टेस्ट कराएं। हम भी तैयार हैं। यदि भाजपा ने तोडफ़ोड़ को ही अपनी नीति बना दिया है तो भाजपा के विधायक भी हमारे संपर्क में हैं। हम फ्लोर टेस्ट के लिए तैयार हैं।
असंतोष का परिणाम: तन्खा
राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा ने कहा कि सरकार को इस विद्रोह की जानकारी पहले से थी और यह सब कुछ असंतोष के कारण हो रहा है। यदि पार्टी मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अलग-अलग बना देती तो ऐसे हालात नहीं होते।

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