लंदन,पिछले 6 साल से जारी एक शोध में सामने आया कि स्टैटिन दवाइयां हर स्थिति में याददाश्त को क्षति नहीं पहुंचाती हैं। हालांकि कुछ उपभोक्ता ने तो यह दावा किया था कि कोलेस्ट्रॉल कम करने वाली दवाओं के सेवन के कारण उन्हें स्मृति हानि यानी मेमरी लॉस की समस्या का सामना करना पड़ रहा है। इन दवाइयों का उपयोग 1990 के दशक में व्यापक रूप से किया गया और इसी दौरान इस तरह का केस सामने आए हैं। बता दें कि स्टैटिन दवाइयों को हार्ट डिजीज और कोलेस्टॉल को कंट्रोल करने के लिए तैयार किया गया था। साथ ही हार्ट के मरीजों के लिए ये दवाइयां काफी प्रभावी रही हैं। लेकिन वहीं कुछ केस में इन शिकायतों के साथ सामने आए कि स्टैटिन दवाइयों को लेने से कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल करने में तो मरीजों को मदद मिल रही है लेकिन उनमें से कुछ को मेमरी लॉस, रीजनिंग और ऑरिऐंटेशन में दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है।
हालांकि इस तरह की शिकायत के बाद दिल की बीमारियों से ग्रसित अन्य मरीजों ने इन दवाओं को लेने से परहेज करना शुरू कर दिया, जिससे उनकी हार्ट संबंधी बीमारी की स्थिति और गंभीर हो गई। फिलहाल, यह स्टडी हाल ही अमेरिकन जर्नल ऑफ कार्डियॉलजी में प्रकाशित की गई। इसमें उस क्लेम के बारे में भी बताया गया, जिसमें कहा गया था कि स्टैटिन के नियमित सेवन से स्मृति पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। हालांकि इस स्टडी में यह बात भी देखने को मिली कि इन दवाइयों के नियमित सेवन के कारण कई मरीज दिमागी बीमारी डिमेंशिया की चपेट में आने से बचे हैं। यानी एक ही समस्या के लिए दी जानेवाली दवाई ने अलग-अलग मरीजों पर बीमारी को नियंत्रित करने का काम तो किया लेकिन इसके साइड इफेक्ट्स अलग-अलग लोगों पर अलग-अलग रहे। बता दें कि स्टडी से जुड़ा यह निष्कर्ष 1,000 से अधिक वयस्कों के डेटा के विश्लेषण के आधार पर निकाला गया है। इस दौरान शोधकर्ताओं ने छह साल से अधिक समय तक इस स्टडी पर काम किया और लगातार डेटा एनालिसिस किया। इस दौरान मरीजों के विभिन्न टेस्ट्स और एमआरआई या ब्रेन स्कैनिंग का उपयोग करके उनके दिमाग और शरीर में होने वाले बदलावों की जांच की गई।