अमेरिकी ओपन में रोजर फेडरर से नागल ने एक सेट जीत कर जीता लोगों का दिल

नई दिल्ली,दुनिया के महानतम खिलाड़ियों में शुमार रोजर फेडरर से अमेरिकी ओपन में एक सेट जीतने वाले सुमित नागल के इस प्रदर्शन ने भारतीय टेनिस को सुर्खियों में ला दिया है और अब इसकी दशा और दिशा पर बहस हो रही है । भारत के इकलौते ओलंपिक व्यक्तिगत स्वर्ण पदक विजेता निशानेबाज अभिनव बिंद्रा और भारत के पूर्व नंबर एक खिलाड़ी सोमदेव देववर्मन ने ट्विटर पर इस पर अपनी राय व्यक्त की है। बिंद्रा ने कहा कि नागल ने दिखा दिया है कि भारत भविष्य में ग्रैंडस्लैम चैम्पियन पैदा कर सकता है लेकिन अभी काफी काम करना होगा। नागल भले ही अमेरिकी ओपन के पहले ही दौर में हार गए लेकिन दिग्गज स्विस खिलाड़ी फेडरर से एक सेट जीतकर उन्होंने उम्मीदें जगाई है। जर्मनी में अभ्यास करने वाले नागल ने अप्रैल से जून तक चैलेंजर सर्किट में आठ टूर्नामेंट खेलकर पांच के सेमीफाइनल में प्रवेश किया। वह यूरोप में लगातार चैलेंजर स्तर के टूर्नामेंट खेल रहे हैं। भारत में 2019 सत्र की शुरूआत से अभी तक महज एक चैलेंजर टूर्नामेंट हुआ है और बाकी सत्र में भी एक पुणे में होगा । यही वजह है कि भारतीयों की रैंकिंग बेहतर नहीं हो पाती। उन्हें विदेश में खेलना पड़ता है जो हर किसी के लिये मुमकिन नहीं । भारत का सिर्फ एक खिलाड़ी शीर्ष 100 (प्रजनेश गुणेश्वरन 88वीं रैंकिंग) में है ।
दिग्गज टेनिस खिलाड़ी महेश भूपति ने नागल की जमकर तारीफ की है। वर्ष 2003 के बाद ऐसा पहली बार हुआ, जब फेडरर पहले ही दौर में पहला सेट हार गये हों। भूपति ने कहा, ‘नागल ने विश्व के महान खिलाड़ी के खिलाफ गजब का धैर्य दिखाया और उनके सामने डटे रहे।’ उन्होंने कहा, ‘इस साल नागल ने जो सुधार किया है, उस पर उसे और उसकी कोचिंग टीम को गर्व होना चाहिए।’ नागल से पहले केवल रोहन बोपन्ना ने 2006 और सोमदेव देववर्मन ने 2013 में फेडरर का सामना किया था पर दोनो ही हार गये थे। फेडरर ने भी मैच के बाद नागल की जमकर प्रशंसा की थी।
बचपन में जिस रोजर फेडरर के स्टाइल को कॉपी करते थे, उन्हीं को पहले सेट में हराना वाकई किसी सुखद अनुभूति से कम नहीं। 22 वर्षीय सुमित हरियाणा के झज्जर जिले के छोटे से गांव जैतपुर से हैं। सेना की शिक्षा कोर से हवलदार के रूप में सेवानिवृत्त पिता सुरेश नागल को छोड़कर परिवार में किसी को भी खेलों में जरा सी भी दिलचस्पी नहीं। बस फिर क्या था फौजी पिता ने बेटे को टेनिस खिलाड़ी बनाने की ठानी और परिवार समेत दिल्ली के नांगलोई में आकर रहने लगे। 16 अगस्त 1997 को जन्में सुमित की उम्र उस वक्त आठ वर्ष रही होगी।
भूपति ने दिया आकार
अपोलो टायर टैलेंट सर्च प्रतियोगिता में सुमित चुन लिए गए। दो साल तक उन्होंने स्पॉन्सर किया। इसके बाद सुमित का वक्त तब पलटा जब उनकी जिंदगी में दिग्गज टेनिस खिलाड़ी भूपति की एंट्री हुई। भूपित की एकेडमी में उन्होंने ट्रेनिंग ली। सुमित, महेश भूपति को अपना मेंटोर मानते हैं। सुमित कहते हैं- ‘भूपति मेरे मेंटोर हैं और हमेशा रहेंगे। मैं करीब 10 साल का था, तब उनकी एकेडमी में पहली बार गया था। उन्होंने मेरे खेल को निखारा। उन्होंने ही मुझे स्पॉन्सर भी किया था।’
1998 के बाद दोहराया इतिहास
नागल 2015 में जूनियर ग्रैंडस्लैम खिताब जीतने वाली छठे भारतीय बने थे, उन्होंने वियतनाम के नाम हाओंग लि के साथ मिलकर विम्बलडन में लड़कों के वर्ग का युगल खिताब जीता था। जब अंतिम क्वॉलिफाइंग दौर में ब्राजील के जोआओ मेनेजेस के खिलाफ एक सेट गंवाने के बाद वापसी करते हुए दो घंटे 27 मिनट में 5-7 6-4 6-3 से जीत हासिल की तब वह प्रजनेश के बाद यूएस ओपन मुख्य ड्रॉ 2019 में खेलने वाले दूसरे भारतीय खिलाड़ी बन गए, 1998 के बाद पहली बार ग्रैंडस्लैम में भारत के दो खिलाड़ियों ने भाग लिया, इससे पहले महेश भूपति और लिएंडर पेस विम्बलडन में खेले थे

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