भोपाल, प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि निजी क्षेत्र में 70 प्रतिशत स्थानीय बेरोजगारों को रोजगार उपलब्ध कराना होगा। जल्दी ही इस आशय का कानून लाया जाएगा। मुख्यमंत्री ने यह आश्वासन आज राज्य विधानसभा में प्रश्नोत्तरकाल की कार्यवाही के दौरान दिया। उन्होंने कहा कि सरकार विपक्षी सदस्यों की भावना से सहमत है और यह हमारे लिए चिंता का विषय भी है कि कैसे प्रदेश के बच्चों को ज्यादा से ज्यादा रोजगार मिल सके। उन्होंने स्मरण कराया कि प्रदेश में हमारी सरकार बनते ही सबसे पहले हमने इसी मुददे पर बात की थी, जिसको लेकर उत्तरप्रदेश और बिहार के लोग नाराज हो गए थे और हमारे इस निर्णय की आलोचना भी हुई थी। उन्होंने कहा कि सभी प्रदेशों में स्थानीय बेरोजगारों को रोजगार देने में प्राथमिकता दी जाती है तो फिर हमारे यहां ऐसा क्यों नहीं हो सकता। उन्होंने सदन को आश्वस्त किया कि बहुत जल्द ही ऐसा कानून लाया जाएगा। सर्वप्रथम यह प्रश्न उठाते हुए भाजपा विधायक यशपाल सिंह सिसादिया द्वारा एमपीपीएससी की परीक्षा में बैठने वाले बाहरी उम्मीदवारों की उम्र बढाने का विरोध किया और प्रदेश के बेरोजगारों के साथ अन्याय होने की बात कही। उन्होंने कहा कि कतिपय आला अधिकाकारियों द्वारा षडयंत्र पूर्वक अपने करीबियों को लाभ पहुंचाने के लिए सरकार को गुमराह कर बाहरी उम्मीदवारों की उम्र 27 से बढाकर 40 साल कर दी गई है। उन्होंने इस निर्णय का विरोध किया।
प्रश्न के उत्तर में सामान्य प्रशासन मंत्री गोविंद सिंह ने कहा कि माननीनय सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार एवं हमारे संविधान के अनुसार देश के नागरिकों के साथ भेदभाव नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के बेरोजगारों के हित संरक्षण के लिए सरकार ने एक अलग से नियम जोडा है। इसके तक मप्र के निवासी को ही पंजीयन का अधिकार दिया गया है। इस नियम से प्रदेश के बेरोजगारों को नौकरी में ज्यादा लाभ मिलेगा। इसके साथ ही श्री सिंह ने विपक्ष से भी इस मामले में राय देने को कहा ताकि प्रदेश के बेरोजगारों को ज्यादा लाभ मिल सके। उन्होंने सदन को भरोसा दिलाया कि आरक्षण मामले को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष भी रखेंगे। सरकार के जवाब से असंतुष्ठ नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि आपकी मंशा से जाहिर नहीं हो रहा है कि आप राज्य के हितों की रक्षा करेंगे। उन्होंने सवाल किया सात महीने की सरकार ने सात लोगों को भी अगर रोजगार दिया हो तो नाम बताएं। उन्होंने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि जवाब दे पाखंड नहीं चलेगा। प्रतिउत्तत में श्री सिंह बताया कि आपकी सरकार ने जो सहकारिता विभाग से छह सौ से ज्यादा कंप्यूटर ऑपरेटरों को नौकरी से निकाल दिया था हमने उन लोगों को फिर से नौकरी पर रखा है। इसी बीच सदन में शोरशराबा शुरु हो गया तो विपक्ष के नेता ने कहा कि आप इस तरह से हमारी आवाज को दबा नहीं सकते। मंत्रीगण पद की गरिमा का पालन नहीं कर रहे हैं।