आयकर विभाग ने मप्र/छग रीजन को टैक्स वसूली का 29 हजार करोड़ का दिया टारगेट

भोपाल, मप्र-छग रीजन को करीब 29 हजार करोड़ रुपए की आयकर वसूली का टॉरगेट सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेस ने दिया है। अभी नौ महीने का समय बाकी है इस दौरान 28,973 करोड़ रुपए की वसूली विभाग के लिए मुश्किल लग रही है। पांच साल के दौरान रीजन का करीब 14 हजार करोड़ रुपए वसूली का टॉरगेट बढ़ गया। पिछले साल विभाग आर्थिक मंदी और नोटबंदी के फेर में सारे जतन के बाद बमुश्किल 21,773 करोड़ रुपए ही टैक्स वसूली कर पाया था जबकि टॉरगेट 22,173 करोड़ रुपए का मिला था। मप्र-छग में विभाग के मुखिया प्रधान मुख्य आयकर आयुक्त एके चौहान का कहना है कि हमने इसे चुनौती की तरह लिया है और लक्ष्य हासिल करने के लिए हरसंभव प्रयास करेंगे। उन्होंने बताया कि दोनों राज्यों में कर संग्रहण और करदाताओं का दायरा बढ़ाने के लिए विशेष अभियान भी शुरू किए जा रहे हैं।टैक्स वसूली के लिए 32 सूत्री कार्यक्रम लागू किया जा रहा है। इस साल करदाताओं की संख्या 37 लाख से बढ़ाकर 50 लाख करने की मुहिम शुरू की गई है। ‘प्रिवेंटिव ग्रेवांस सेल” और ‘फ्री लीगल सेल” को प्रभावी ढंग से शुरू किया जा रहा है। करदाताओं की सुविधाएं बढ़ाई जाएंगी। कम से कम 10 लाख नए करदाताओं को विभाग से जोड़ा जाएगा।
विभागीय सूत्रों का दावा है कि यह पहला मौका है जब सीबीडीटी ने मप्र-छग को 24.42 प्रतिशत बढ़ोतरी के साथ टैक्स वसूली का टॉरगेट सौंपा है। पिछले वर्षों में सीबीडीटी अमूमन तुलनात्मक रूप से दस से पंद्रह फीसदी राजस्व वृद्धि का टॉरगेट देता रहा है लेकिन इस बार विभाग को पिछले साल की तुलना में सीधे 8 हजार करोड़ रुपए ज्यादा वसूली करने का फरमान दिया गया है। भारी-भरकम राशि को लेकर जिला और रेंज में बैठे विभागीय अफसर भी भौंचक हैं उन्हें चिंता सता रही है कि जब पिछले साल 22 हजार करोड़ का आंकड़ा नहीं छू पाए तो आगामी 9 महीने में 29 हजार करोड़ कैसे जुट पाएंगे। वर्ष 2017-18 में सीबीडीटी ने 19,237 करोड़ रुपए वसूलने का लक्ष्य दिया जबकि पिछले वित्त वर्ष 2018-19 में यह राशि बढ़ाकर 22,173 करोड़ कर दी गई लेकिन विभाग टॉरगेट हासिल नहीं कर पाया कुल 21,773 करोड़ रुपए की टैक्स वसूली ही हो पाई। करीब चार करोड़ रुपए पीछे रहे।मप्र-छग में पिछले पांच साल के आंकड़े देखें तो 2015-16 में टैक्स वसूली के लिए 14 हजार 700 करोड़ का लक्ष्य मिला था। इसके एक साल बाद यह राशि बढ़ाकर 17 हजार 850 करोड़ कर दी गई।

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