छत्तीसगढ़ में भूपेश ने ली CM की शपथ, सिंहदेव और ताम्रध्वज ने भी ली शपथ

रायपुर,राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने आज भूपेश बघेल बघेल को छत्तीसगढ़ के तीसरे मुख्यमंत्री के पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई.इस अवसर पर देश की नामी राजनितिक हस्तियां मौजूद थी. बघेल के साथ ही मुख्यमंत्री पद की दौड़ में रहे टीएस सिंहदेव ने भी शपथ ली. बघेल के शपथ ग्रहण समारोह में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी के अलावा पूर्व प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह, पुडुचेरी के सीएम वी नारायण स्वामी, मलिकार्जुन खड़गे,अशोक गेहलोत,सचिन पायलट,भूपेंदर सिंह हुड्डा,फारुख अब्दुल्ला,शरद पवार,प्रफुल पटेल,दिनेश त्रिवेदी,शरद यादव, तेजस्वी यादव, एमके स्टलीन, कनिमोझी, बाबूलाल मरांडी हेमंत सुरेन और नवजोत सिंह सिद्धू ने शिरकत की। निवर्तमान मुख्यमंत्री रमन सिंह भी शपथ ग्रहण समारोह में उपस्थित रहें। साथ ही मंच पर बघेल का पूरा परिवार भी मौजूद रहा।
बघेल का जन्म 23 अगस्त 1961 को राजधानी रायपुर में हुआ। उनके पिता नंदकुमार बघेल दुर्ग जिले के पाटन क्षेत्र के प्रगतिशील कृषक हैं। भूपेश बघेल तत्कालीन अविभाजित मध्यप्रदेश की विधानसभा के लिए पहली बार वर्ष 1993 में विधायक निर्वाचित हुए। इसके बाद उन्होंने वर्ष 1998, वर्ष 2003 और वर्ष 2013 में भी विधायक के रूप में क्रमशः मध्यप्रदेश और राज्य बनने के बाद छत्तीसगढ़ की विधानसभा में पाटन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। बघेल पांचवी बार इस वर्ष 2018 में छत्तीसगढ़ विधानसभा से विधायक निर्वाचित हुए। साहित्य पठन योग और खेल.कूद की गतिविधियों में उनकी विशेष अभिरूचि है। उन्होंने 19 जुलाई 2000 को रायपुर और 30 अगस्त 2000 को बिलासपुर में विशाल स्वाभिमान रैलियों का सफलतापूर्वक आयोजन किया। रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग और सेलूद में छत्तीसगढ़ मनवाकुर्मी समाज द्वारा आयोजित वृहद सामूहिक विवाह समारोहों के सफल आयोजन में भी उन्होंने महत्वपूर्ण योगदान दिया।
बघेल तत्कालीन अविभाजित मध्यप्रदेश सरकार में वर्ष 1998 में मुख्यमंत्री से सम्बद्ध राज्य मंत्री और जनशिकायत निवारण विभाग के स्वतंत्र प्रभार के राज्य मंत्री के रूप में वर्ष 1999 में परिवहन विभाग के मंत्री के रूप में और वर्ष 2000 में छत्तीसगढ़ राज्य के गठन के बाद छत्तीसगढ़ शासन के राजस्व पुनर्वास राहत कार्य और लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभागों के मंत्री के रूप में जनता को अपनी उल्लेखनीय सेवाएं दी। बघेल वर्ष 2013 में छत्तीसगढ़ विधानसभा की कार्यमंत्रणा समिति और वर्ष 2014.15 में लोकलेखा समिति के सदस्य रह चुके हैं। भूपेश बघेल को ऐसे वक्त में नेतृत्व की जिम्मेदारी मिली, जब राज्य में कांग्रेस के बड़े नेताओं का अभाव था। झीरम घाटी में अपने बड़े नेताओं की मौत के बाद बघेल ने कांग्रेस को नेतृत्व संकट से निकाला। एक समय बीजेपी की बी टीम कही जाने वाले अजीत जोगी और उनके बेटे अजीत जोगी तक को उन्होंने पार्टी के बाहर का रास्ता दिखा कर अपने रुख से स्पष्ट कर दिया था कि वह कांग्रेस को मजबूत करने में किसी तरह का समझौता नहीं करेंगे।
विधानसभा चुनाव से पहले बघेल ने प्रदेश के कई हिस्सों में पदयात्रा की, कार्यकर्ताओं को जोड़ा, कांर्यकर्ताओं में जान फूंकी और रमन सरकार के खिलाफ में हवा बनाकर कांग्रेस कार्यकर्ताओं में जोश भरा। जब एक वक्त लग रहा था कि रमन सिंह सरकार आसान से सत्ता से बाहर नहीं हो पाएगी, ऐसी स्थिति में उन्होंने सरकार के खिलाफ लगातार आवाज बुलंद कर कार्यकर्ताओं में जोश भरा।
चुनाव से पहले बीजेपी के मंत्री राजेश मूणत से जुड़ी एक कथित सेक्स सीडी के मामले में भूपेश बघेल को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेजा गया, तब उन्होंने जमानत लेने से इनकार कर दिया। 1 नवंबर 2000 में छत्तीसगढ़ राज्य का गठन होने के बाद अजीत जोगी वहां पहले मुख्यमंत्री बने थे। वह 9 नवंबर 2000 से 6 दिसंबर 2003 तक छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री पद पर रहे। इसके बाद बीजेपी के रमन सिंह 7 दिसंबर 2003 को राज्य के दूसरे मुख्यमंत्री बने और लगातार तीन बार इस पद पर बने रहे।

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