MP में दो साल तक नहीं खुलेंगे आयुष कॉलेज,15 से 20 हजार आयुष डॉक्टरों को बनी रहेगी नौकरी की दिक्कत

भोपाल,प्रदेश में 15 से 20 हजार आयुष डॉक्टर बेराजगार घूम रहे हैं, इसीलिए अब प्रदेश में अगले दो साल तक एक भी (आयुर्वेद, होम्योपैथी, यूनानी व सिद्घा) आयुष कॉलेज नहीं खुलेगा। आयुष मंत्रालय के अफसरों ने कहा कि पहले से ही काफी आयुष कॉलेज खुले हुए हैं। जितने डॉक्टर पढ़ाई कर तैयार हो रहे हैं। उतनों को रोजगार नहीं मिल पा रहा है। लिहाजा, नए कॉलेज खोलने की जगह पहले से खुले कॉलेजों की गुणवत्ता में सुधार लाना है, जिससे अच्छे डॉक्टर तैयार हो सकें। केंद्रीय आयुष मंत्रालय ने मध्यप्रदेश समेत सभी राज्यों से कहा है कि वे नए कॉलेज खोलने के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) जारी न करें। 2019-20 और 2020-21 के लिए यह नियम लागू होगा।दरअसल, निजी आयुष कॉलेजों में पर्याप्त मरीज नहीं आने की शिकायतें मंत्रालय को मिल रही थीं। मरीज नहीं मिलने पर छात्र क्लीनिकल (चिकित्सकीय) कार्य नहीं सीख पाते। दूसरी शिकायत फैकल्टी मेंबर पर्याप्त नहीं होने की मिल रही थी।
सीसीआईएम व सीसीएच की टीम के दौरे में कई बार ऐसी शिकायतें मिल चुकी हैं कि दौरे के वक्त फैकल्टी की भर्ती कर ली जाती है और निरीक्षण के बाद फैकल्टी कम कर दिए जाते हैं। मध्यप्रदेश आयुर्वेद के 12 निजी और 7 सरकारी, होम्योपैथी के 28 निजी और 1 सरकारी, यूनानी के 3 और सरकारी 1 तथा प्राकृतिक चिकित्सा के दो निजी कॉलेज संचालित है। इतने कॉलेजों में पर्याप्त संख्या में डॉक्टर तैयार हो रहे लेकिन उन्हें नौकरी नहीं मिल पा रही है। इस बारे में आयुष मेडिकल एसोसिएशन के प्रवक्ता डॉ. राकेश पांडेय का कहना है कि अब दो साल तक नए आयुष कॉलेज खोलने पर पाबंदी लगा ही दी है तो शीघ्र ही एनएचएम योजनांतर्गत ज्यादा से ज्यादा आयुष डॉक्टरों के पदों पर त्वरित नियुक्तियां होनी चाहिए। इसका फायदा यह होगा कि एमबीबीएस डॉक्टरों की कमी आयुष डॉक्टरों से पूरी की जा सकेगी।

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