24 अक्टूबर को दिल्ली आ रहे वॉट्सएप के सीईओ क्रिस डेनियल्स,मोदी से मुलाकात के आसार

नई दिल्ली,दुनिया का सबसे बड़ा सोशल मैसजिंग एप वॉट्सएप के सीईओ क्रिस डेनियल्स इस महीने के अंत में भारत आ रहे हैं। वह यहां एनक्रिप्टेड डेटा शेयरिंग सहित तमाम मुद्दों पर सरकारी अधिकारियों से चर्चा करने वाले है। वॉट्सएप के डेलिगेशन में कंपनी की ग्लोबल पॉलिसी हेड क्रिस्टीन टर्नर भी हो सकती हैं। सूत्रों ने बताया कि वॉट्सएप का डेलिगेशन 24 अक्टूबर को दिल्ली आएगा। वह एनक्रिप्टेड डेटा की शेयरिंग और ऑनलाइन पेमेंट के मामले में कोई समाधान निकालने के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय और मिनिस्ट्री ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इंफॉर्मेशन टेक्नॉलजी के अधिकारियों के साथ चर्चा करेगा।
सूत्रों ने बताया कि वॉट्सएप को मैसेज के सोर्स का पता लगाने की मांग पर जवाब देना है, जो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर किसी भी तरह के फेक न्यूज या हेट स्पीच फैलाने वाले तत्वों पर रोक लगाने में कारगर होगा। करीब दो महीने पहले वॉट्सएप के प्लेटफॉर्म से फैले फेक न्यूज के चलते देशभर में मॉब लिंचिंग की कई घटनाएं सामने आई थीं। जिसके बाद मोदी सरकार के दबाव के बाद कंपनी ने बाद में मैसेजिंग प्लेटफॉर्म पर आपत्तिजनक मैसेज और तस्वीरों से जुड़ी शिकायतों को देखने के लिए ग्रीवांस ऑफिसर की नियुक्ति की थी। हालांकि अभी तक अमेरिकी कंपनी प्राइवेसी और सिक्यॉरिटी पॉलिसी का हवाला देते हुए मैसेज सोर्स की जानकारी देने से मना कर रही है। भारत सरकार और वॉट्सएप के बीच इसी मुद्दे पर तकरार जारी है। सरकारी सूत्रों ने बताया कि पीएमओ में साइबर सिक्यॉरिटी के चीफ गुलशन राय ने कंपनी से ‘मैसेज पेयर’ से जुड़े सॉल्यूशन डिवेलप करने का आग्रह किया था, जो साइबर जांच में मददगार होगा।
वॉट्सएप डेलिगेशन उस समय में भारत आ रहा है,जब केंद्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट में कंपनी पर हलफनामा देना है। एक याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि वॉट्सएप अपने प्लैटफॉर्म पर फैले अफवाहों को रोकने के मामले में भारतीय एजेंसियों से सहयोग नहीं कर रही। सुप्रीम कोर्ट ने पहले इसपर केंद्र से जवाब मांगा था। डेनियल्स दूसरी बार भारत आ रहे हैं। वह इसी साल अगस्त में पहली बार यहां आए थे। उस वक्त देश में सोशल मीडिया के जरिए फैल रही फेक न्यूज को लेकर बहस चल रही थी। उन्होंने तब कई सरकारी अधिकारियों सहित आईटी मिनिस्टर रवि शंकर प्रसाद से मुलाकात की थी। वॉट्सएप उन शुरुआती विदेशी कंपनियों में से है, जिसने भारत में पेमेंट्स डेटा को स्टोर करने वाले आरबीआई के आदेश से सहमति जताई थी। सरकारी सूत्रों ने बताया कि मास्टरकार्ड और वीजा सहित सभी ऑनलाइन पेमेंट कंपनियों ने आरबीआई को अपने डेटा लोकलाइजेशन का प्लान सौंप दिया है। देश में ही डेटा स्टोरेज के लिए आरबीआई की तरफ से दी गई डेडलाइन इस सोमवार को समाप्त हो गई।

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