सामूहिक बलात्कार की शिकार बच्ची को अस्पताल में दो हफ्ते और रहना होगा,सेहत सुधरी

इंदौर,मध्य प्रदेश के मंदसौर में सामूहिक बलात्कार और लोमहर्षक घटना की शिकार सात वर्षीय स्कूली छात्रा की सेहत में सुधार हो रहा है। इंदौर के शासकीय महाराजा यशवंतराव चिकित्सालय (एमवायएच) में सर्जरी के बाद पहले के मुकाबले मासूम के स्वास्थ्य में लगातार सुधार देखा जा रहा है। चिकित्सकों के अनुसार बच्ची पूरी तरह होश में है। एमवाय अस्पताल के एक आला अधिकारी ने बच्ची की सेहत के बारे में मेडिकल बुलेटिन जारी करते हुए शनिवार को यह जानकारी दी। पीड़ित बच्ची मंदसौर से करीब 200 किलोमीटर दूर इंदौर के एमवाय अस्पताल में 27 जून की रात से भर्ती है। एमवाय अस्पताल के अधीक्षक वीएस पाल ने बच्ची के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी देते हुए बताया, ‘बच्ची की हालत खतरे से बाहर है। उसकी सेहत में लगातार सुधार हो रहा है।
उन्होंने बताया कि पीड़ित बच्ची की सेहत पर एमवाय अस्पताल के विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम बराबर नजर रख रही है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के निर्देशों पर निजी क्षेत्र के दो बाल शल्य चिकित्सकों की सलाह भी ली जा रही है, ताकि बच्ची के इलाज में कोई कोर-कसर न रहे। एमवाय अस्पताल के अधीक्षक ने बताया कि हमने बच्ची को अर्द्ध ठोस आहार देना शुरू कर दिया है। बच्ची पूरी तरह होश में है और अपने माता-पिता से बात भी कर रही है। उन्होंने एक सवाल पर कहा कि बच्ची के माता-पिता ने उनके सामने मरीज को किसी अन्य अस्पताल में स्थानांतरित करने की न तो कोई मांग रखी है, न ही एमवाय अस्पताल प्रशासन उसे किसी अन्य अस्पताल में भेजने की फिलहाल कोई जरूरत महसूस कर रहा है।
अस्पताल अधीक्षक पाल ने कहा कि बच्ची के माता-पिता एमवायएच में अपनी संतान के इलाज से संतुष्ट हैं। उन्होंने बताया कि सर्जरी के बाद बच्ची के घाव भर रहे हैं और उसे अस्पताल से छुट्टी मिलने में कम से कम दो हफ्ते का समय लगेगा। एमवायएच में बच्ची का इलाज कर रहे एक अन्य डॉक्टर ने बताया कि आरोपियों ने बच्ची के सिर, चेहरे और गर्दन पर धारदार हथियार से हमला किया था। इसके साथ ही, उसके नाजुक अंगों को भीषण चोट पहुंचाई थी, जिसे मेडिकल जुबान में ‘फोर्थ डिग्री पेरिनियल टियर’ कहते हैं। उन्होंने बताया कि बच्ची के बुरी तरह क्षतिग्रस्त नाजुक अंगों को दुरुस्त करने के लिये उसकी अलग-अलग सर्जरी की गई है। कॉलोस्टोमी के जरिये उसके मल विसर्जन के लिये अस्थायी तौर पर अलग रास्ता बनाया गया है, जबकि उसके दूसरे नाजुक अंग की भी शल्य चिकित्सा के जरिए मरम्मत की गई है।

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