गेश्वर धाम आगरा से पहली बार राजिम पहुंचे संत राममुनि

राजिम,साधु-महात्माओं का जीवन रमता जोगी, बहता पानी के समान होता है। इसे साधु-संतों के जीवन में देखा भी जाता है। न कोई लालच, न कोई ख्वाहिश जहां जगह मिला, वहीं अपना डेरा जमा लेते हैं। 72 साल के राममुनि शुक्रवार को गंगेश्वर धाम आगरा से राजिम कुंभ मेला में पहुंचकर कुलेश्वर मंदिर के पास बने पंडाल के सामने अपना धुनी रमा लिया। उनके साथ 5 और साधु हैं। चर्चा के दौरान उन्होंने बताया कि वे पिछले 12 वर्षों से राजिम कुंभ मेले का नाम सुन रखा था। जो इस बार मैं यहां चला आया।
उन्होंने बताया कि कुंभ मेला में साधु-संतों के लिए अच्छी व्यव्स्था धर्मस्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल द्वारा करावाई जाती है। यहां का वातावरण उन्हें सुखद अनुभूमि प्रदान करने वाला है। तीन नदी के बीच में संतों के लिए बन रही कुटिया और यज्ञ मंडप साक्षात स्वर्ग है। वे सिर्फ गुरूवाणी करते हैं। इसका लाभ यहां श्रद्धालुओं को मिलता है। उन्होंने बताया कि वे जब कक्षा 10वीं में थे, तो उनकी उम्र 16-17 रही होगी, तभी मन में वैराग्य की भावना आ गई और वे प्रभु की इच्छा समझकर मोह-माया त्याग अपना भरा-पूरा परिवार छोड़कर गंगेश्वर धाम में चले गए।
राममुनि जी बाल ब्रह्मचारी हैं। उनका कहना है कि साधु-संतों की सोच पूरे देश में सुख-शांति और समृद्धि के अलावा समरसता का वातावरण हमेशा बना रहे। देश की एकता और अखंडता मजबूत हो। उन्होंने कहा कि साधु तो भाव के भूखे होते हैं। उनके शरण में जो भी आते हैं, उन्हें आशीर्वाद ही मिलता है। फिर यह तो कुंभ मेला है। कुंभ मेले में लोग संतों से आशीर्वाद लेने आते हैं। संतों के चरण पड़ने से वातावरण शुद्ध होता है।

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