MP में साल भर में 27 बाघों की मौत,NTCA ने मांगी पूरी रिपोर्ट

भोपाल,प्रदेश का भारी भरकम वन महकमा टाइगरों को सुरक्षा देने में नाकाम साबित हो रहा है।नेशनल टाइगर कंजरवेशन अथॉरटी (एनटीसीए) के आंकडों पर भरोसा करे तो पिछले एक साल में प्रदेश के करीब 27 बाघों की मौत हो चुकी है।
अफसरों की सबसे बड़ी नाकामी गुप्तचरों को मजबूत नहीं कर पाना है जिससे देश के खतरनाक शिकारियों ने प्रदेश के बाघों को निशाने पर ले लिया है। उधर, बाघों की हो रही मौत पर नेशनल टाइगर कंजरवेशन अथॉरटी (एनटीसीए) नई दिल्ली ने पूरी रिपोर्ट मांगी है। पिछले दिनों एक टीम ने घटना स्थलों का मौका मुआयना भी किया। एनटीसीए प्रदेश की रिपोर्ट जारी करेगा।
उमरिया जिले में बाघ-बाघिन और दो शावकों के शव मिलने से सनसनी फैल गई है। घुनघुटी के जंगल में पाए गए मृत बाघों को देखकर शिकार होने की पुष्टि हुई है। घटनाओं का ब्यौरा दिल्ली पहुंचने के बाद मैदानी और मुख्यालय के अफसरों को नोटिस जारी होने की संभावना है।
नेशनल टाइगर कंजरवेशन अथॉरिटी (एनटीसीए) के आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश में एक साल में 27 बाघों की मौत हो चुकी है। इनमें भी सबसे ज्यादा मौतें बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में हुई हैं। एक साल के भीतर नेशनल टाइगर रिजर्व और टेरिटोरियल में बाघों की मौत का आंकड़ा 30 तक पहुंच गया है जो कि देशभर में सबसे ज्यादा है। बाघों की लगातार हो रही मौत पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गहरी नाराजगी जताई है। हाल ही में हुई एक बैठक में उन्होंने निर्देश दिए हैं कि बाघ शिकारियों को सख्ती से पकड़ा जाए तथा बाघों को शिकार से बचाएं। मुख्यमंत्री ने उन अफसरों को भी चेताया है जो टाइगर रिजर्व में रहकर अपनी जिम्मेदारी का ठीक से निर्वहन नहीं कर रहे हैं। इस बारे में वन्य प्राणी पीसीसीएफ जितेन्द्र अग्रवाल का कहना है कि बाघों की मौत पर एनटीसीए ने कोई रिपोर्ट मांगी है, इस बारे में टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर ही बता पाएंगे। मरने वाले बाघों में ज्यादातर संख्या आपसी लड़ाई, टेरिटोरियल से बाहर आने पर ट्रेन से टकराने तथा करंट लगाने से है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *