नई दिल्ली,अगर किसी पति ने अपनी पत्नी को एक बार में तीन तलाक दिया तो उसे तीन साल की कैद हो सकती है। इसके साथ ही महिला और बच्चों को हर्जाना भी देना पड़ेगा। सुप्रीम कोर्ट के तीन तलाक को अवैध ठहराये जाने के बाद सरकार ने बिल लाने की तैयारी की है, इसी बिल के ड्रॉफ्ट में सजा का प्रावधान किया गया है।
केंद्र द्वारा बनाये गये इस ड्रॉफ्ट को राज्यों को भेजा गया है और उनसे जल्द जवाब मांगा गया है। तीन तलाक देना गैरजमानती अपराध होगा। सरकार ने इस बिल को ‘मुस्लिम वुमन प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स ऑन मैरिज बिल नाम दिया है। गौरतलब है कि अगस्त में सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक को गैरकानूनी करार दिया था और इसे प्रतिबंधित कर दिया था। कोर्ट ने सरकार से इस पर कानून बनाने को भी कहा था। इसके बाद भी देश में तीन तलाक से जुड़े कई मामले सामने आये थे। सरकार की तरफ से कहा गया था वो तीन तलाक पर रोक लगाने के लिए नया कानून ला सकती है। केंद्र ने सभी राज्यों से कहा है कि वो जल्द से जल्द अपने जवाब भेजें। प्रस्तावित कानून जम्मू-कश्मीर को छोड़कर पूरे देश में लागू किया जाएगा, क्योंकि जम्मू-कश्मीर में कानूनी व्यवस्थाएं अलग हैं।
इन्होंने तैयार किया ड्रॉफ्ट
बिल का ड्राफ्ट यूनियन कैबिनेट मंत्रियों की कमेटी जिसमें राजनाथ सिंह इसके प्रमुख हैं, सुषमा स्वराज, अरुण जेटली, रविशंकर प्रसाद और पीपी. चौधरी भी हैं।
पीडि़त को मिलेगा हक
बिल में एक बार में तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) को ही शामिल किया गया है। अगर किसी मुस्लिम महिला को एक बार में तीन तलाक दिया जाता है तो वो मजिस्ट्रेट के सामने इसके खिलाफ अपील और हर्जाने की मांग कर सकती है।
वॉट्सऐप पर भी नहीं दे सकेंगे 3 तलाक
एक बार में तीन तलाक या तलाक-ए-बिद्दत किसी भी रूप में गैरकानूनी ही होगा। बोलकर या इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस (यानी वॉट्सऐप, ईमेल, एसएमएस) के जरिए भी एक बार में तीन तलाक गैरकानूनी ही होगा।
कोर्ट के आदेश की अवहेलना
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के पहले 177 (2017 में) और फैसले के बाद 66 मामले सामने आए। सबसे ज्यादा केस यूपी से हैं। इसलिए, सरकार को इस पर कानून लाना पड़ रहा है।
शीत सत्र में आयेगा बिल
यह बिल शीतकालीन सत्र में पेश किया जा सकता है। राज्यों के जवाब मिलने के बाद बिल को कैबिनेट के सामने पेश किया जाएगा। कैबिनेट की मंजूरी मिलने के बाद ही इसे सत्र में पेश कर दिया जायेगा।