नॉएडा,आरुषि हत्याकांड में राजेश तलवार और नूपुर तलवार इलाहाबाद उच्च न्यायालय से बरी हो चुके हैं। अदालत से रिहाई के बाद तलवार दंपति जीवन के साथ सामंजस्य बिठाने की कोशिश कर रहे हैं। एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा कि बेटी की मौत और उसके बाद के घटनाक्रम ने उन्हें बुरी तरह तोड़ दिया है। अब जीवन के साथ सामंजस्य बिठाना उनके लिए आसान नहीं है। उन्होंने कहा जेल से बाहर आने के बाद लोगों की ओर से उम्मीद से कही ज्यादा भावानात्मक सहयोग मिल रहा है।
तलवार दंपति की रिहाई से एक बात तो साफ हो गई कि उन्हें एक जुर्म की सजा मिली है जो उन्होंने किया ही नहीं। तलवार दंपति ने कहा कि डासना जेल में रहने के दौरान उनकी सभी उम्मीदें टूट चुकी थीं। वे मानसिक तौर पर पूरी तरह टूट चुके थे। जेल में रहने के दौरान एक व्यक्ति और एक लड़की उन दोनों के जीवन में नहीं आई होती तो वे परिस्थिति से नहीं उबर पाते। राजेश तलवार ने बताया कि जेल में उनकी बैरक में एक ऐसा कैदी था, जिसने संकट की उस घड़ी में मुझे संबल देने का काम किया। बेटी की मौत फिर उसकी हत्या का आरोप लगने के बाद पूरी तरह से टूट चुकी नूपुर तलवार का सहारा बन गई उनके बैरक में ही कैद एक लडकी। उस लड़की में उन्हें आरुषि की छवि दिखाई देती थी, वह अंतत: उनके जीने की वजह बन गई।
एक साक्षात्कार में तलवार दंपति ने कहा कि बरी होने के बाद लोगों की प्रतिक्रिया उम्मीद से हटकर थी। लोगों की तरफ से भरपूर भावानात्मक सहयोग मिल रहा है। जिससे जेल आने के बाद का जीवन आसान होता जा रहा है। राजेश तलवार ने बताया कि डासना जेल में एक व्यक्ति ने उन्हें मानसिक संबल देने का काम किया, जिसकी वजह से वह पागल हुए बिना चार साल जेल में बिता पाए। नूपुर तलवार ने बताया कि जेल जाने के पहले दो साल ज्यादा दुखदायी थे, लेकिन बाद में उन्होंने जीवन के साथ तालमेल बिठाना सीख लिया। वह अपना ज्यादातर समय कैदियों के उपचार में लगाया करते थे।