मुंबई, शिवसेना ने कहा पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क को दो रुपये प्रति लीटर कम करने का सरकार का कदम महासागर में एक बूंद की तरह है, क्योंकि यह कदम ईंधन की कीमत बढ़ने के महीनों बाद उठाया गया है। उत्पाद शुल्क में हाल में की गई कटौती को अपर्याप्त बताने के लिए शिवसेना ने लोकप्रिय मुहावरे ऊंट के मुंह में जीरा का इस्तेमाल किया।
जनता की ओर से बढ़ रहे दबाव के सामने झुकते हुए सरकार ने तीन अक्तूबर को ईंधन पर उत्पाद शुल्क में कटौती की जिससे कि पिछले तीन महीने में डीजल-पेट्रोल के तेजी से बढ़े दामों को कम किया जा सके। शिवसेना ने पार्टी के मुखपत्र ‘दोपहर का सामना’ के संपादकीय में कहा हालांकि यह फैसला वाहन मालिकों और आम आदमी को फायदा देगा, लेकिन यह ‘ऊंट के मुंह में जीरे’ की तरह है। पहले उन्होंने बहुत तेजी से दाम बढ़ाए और फिर नाममात्र के लिए इसे कम कर दिया। केंद्र में राजग और महाराष्ट्र में भाजपा की सहयोगी पार्टी शिवसेना ने सरकार पर हमला बोलने के लिए एक और मुहावरे का इस्तेमाल करते हुए कहा कि यह कदम चिलचिलाती धूप में शरीर पर पड़ने वाली ठंडे पानी की एक बूंद की तरह है।
इसने सत्तारूढ़ पार्टी पर ईंधन के दाम कम करने के लिए मानसिक रूप से तैयार नहीं होने का भी आरोप लगाया। पेट्रोल के दामों में चार जुलाई से अब तक 7.8 रुपये प्रति लीटर और डीजल के दामों में 5.7 रुपये प्रति लीटर की वृद्धि हुई है। पार्टी ने कहा कि सरकार ईंधन बेचने वाली कंपनियों के लिए अच्छे दिन लेकर आई है और आम आदमी के लिए ये बुरे दिन हैं।