मध्याह्न भोजन के 100 करोड़ निजी खाते में ट्रांसफर होने की सीबीआई जांच हो

रांची,झारखंड की राजधानी रांची स्थित भारतीय स्टेट बैंक के धुर्वा शाखा में राज्य सरकार की ओर से मध्याह्न भोजन के लिए जमा करायी गयी राशि में से 100 करोड़ रुपये को एक बिल्डर संजय तिवारी के खाते में ट्रांसफर कर देने के मामले में जहां बैंक और शिक्षा विभाग के अधिकारी सवालों के घेरे में है, वहीं विपक्ष को एक बड़ा मुद्दा मिल गया है।
झारखंड विकास मोर्चा के अध्यक्ष सह पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने आज रांची में पत्रकारों से बातचीत में आरोप लगाया कि एक सुनियोजित तरीके से इस पूरे घटनाक्रम को अंजाम दिया गया है। उन्होंने कहा कि बैंक के साथ-साथ राज्य सरकार के पदाधिकारी के भी इसमें मिले होने की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता है। बाबूलाल मरांडी ने मामले से जुड़े शिक्षा विभाग के अधिकारियों को तत्काल पद से हटाने की मांग की है। उन्होंने राज्य सरकार पर भ्रष्टाचारियों को बचाने की कोशिश करने का आरोप लगाते हुए सरकार खुद सारे मामले की जांच की सीबीआई से कराने की अनुशंसा करें और तत्काल आरोपियों की गिरफ्तारी हो।
उन्होंने बताया कि राज्य सरकार द्वारा मध्याह्न भोजन के एवज में करीब 100 करोड़ रुपये की राशि बिल्डर संजय तिवार के खाते में अचानक ट्रांसफर हो जाना कई तरह के सवालों को खड़ा करता है। उन्होंने कहा कि यदि इसमें बिल्डर की कोई भूमिका नहीं थी, तो इतनी बड़ी राशि अचानक खाता में आने पर उसे बैंक को सूचना देनी चाहिए थी और इतनी बड़ी राशि गलती से किसी के दूसरे के खाते में ट्रांसफर हो जाने को लेकर बैंक अधिकारियों की ओर से जो दावा किया जा रहा है, उस भी किसी के गले नहीं उतर नहीं रहा है। इस मामले में यदि बिल्डर की नियत साफ होती, तो वह तुरंत बैंक को सूचना देता, लेकिन बिल्डर संजय तिवारी ने बैंक अधिकारियों को सूचना देने के बजाय उसने इसमें से 50 करोड़ रुपये की राशि निकाल लिये और दूसरे खातों में जमा करा दिया। बताया गया है कि उसके एक खाते में करीब 50 करोड़ और दूसरे खातों में 20 करोड़ रुपये मिले है,इसे सीज कर दिया गया है। मामला सामने आने के बाद बैंक ने खुद ही 100 करोड़ रुपये की राशि मध्याह्न भोजन के खातों में जमा कर दिये है और सीबीआई जांच को लेकर पत्र लिखा गया है।
गौरतलब है कि पांच सितंबर को एसबीआई धुर्वा शाखा की ओर से सरकारी मध्याह्न भोजन की जमा राशि में से 100 करोड़ एक लाख रुपये को पांच सितंबर को बिल्डर संजय तिवारी के खाते में ट्रांसफर कर दिया गया। मामला सामने आने के बाद इस प्रकरण में दो बैंक अधिकारियों अनिल उरांव और कमलजीत खन्ना को निलंबित कर दिया गया है। वहीं बिल्डर संजय तिवारी मामला सामने आने के बाद लापता है।

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