हाईकोर्ट का बड़ा फैसला,संसदीय सचिवों के अधिकारों पर लगी रोक

बिलासपुर, हाईकोर्ट ने अंतरिम आदेश देते हुए राज्य सरकार द्वारा नियुक्त ११ संसदीय सचिवों के अधिकारों पर रोक लगा दी। कोर्ट ने कहा कि उनकी नियुक्तियां राज्यपाल ने नहीं की है। इसलिए उन्हें काम करने न दिया जाए। यह रोक तब तक जारी रहेगी जब तक अंतिम फैसला न आ जाए। अंतिम सुनवाई के लिए २३ अगस्त की तारीख नियत की गई है।
प्रदेश में नियुक्ति ११ संसदीय सचिवों की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका पर आज हाईकोर्ट ने कहा कि संसदीय सचिव की नियुक्ति जब राज्यपाल ने नहीं की तो उनका संवैधानिक दायरा नहीं बनता, इसलिए मंत्री के पदाधिकार से उन्हें काम न करने दिया जाए।
हाईकोर्ट ने इनके सभी अधिकार व स्वेच्छानुदान पर रोक लगाते हुए कहा कि यह रोक तब तक लागू रहेगी जब तक संसदीय सचिवों की नियुक्ति पर अंतिम फैसला न हो जाए। हाईकोर्ट ने अंतिम सुनवाई २३ अगस्त को नियत की है।
ज्ञातव्य है कि शासन द्वारा ११ संसदीय सचिवों के नियुक्ति की वैधानिकता पर सवाल उठाते हुए हमर संगवारी के राकेश चौबे द्वारा हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की गई थी। साथ ही कांग्रेस पार्टी के मोहम्मद अकबर ने भी याचिका दाखिल की थी। कहा गया था कि संवैधानिक व्यवस्था के तहत उक्त पद का कोई प्रावधान नहीं है। इसके बाद भी राज्य शासन द्वारा नए पद का सृजन कर अपने लोगों को उपकृत कर लाभ पहुंचाया है। ये अनुचित है इसलिए सभी नियुक्तियां रद्द की जाएं। मामले की प्रारंभिक सुनवाई में तत्कालीन सीजे दीपक गुप्ता की युगलपीठ ने राज्य शासन, सीएम एवं मुख्य सचिव को नोटिस जारी जवाब पेश करने के निर्देश दिए थे। मामले पर याचिकाकर्ता मोहम्मद अकबर व राकेश चौबे ने अधिवक्ता अभ्युदय सिंह व अमृतो दास के माध्यम से हाईकोर्ट से मांग किया कि अंतिम फैसला न आ जाए तब तक प्रदेश के सभी संसदीय सचिवों को अधिकार व दूसरी सुविधाओं पर रोक लगा दी जाए। मामले पर आज हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस टी बी राधाकृष्णन व जस्टिस शरद गुप्ता के डिवीजन बैंच में हुई।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश का दिया हवाला
हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले का हवाला देते हुए कहा कि भारतीय संविधान में संसदीय सचिवों की नियुक्ति का कोई प्रावधान नहीं है। लिहाजा यह पद असंवैधानिक है। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने कहा कि यह पद राज्यपाल द्वारा नियुक्त नहीं है।
ये हैं ११ संसदीय सचिव
अंबेश जांगड़े, लालचंद बाफना, लखन लाल देवांगन, मोतीराम चंद्रवंशी, रूपकुमारी चौधरी, शिवशंकर पैकरा, सुनीति राठिया, तोखन साहू, राजू सिंह क्षत्रीय, चंपादेवी पावले, गोवर्धन सिंह मांझी।

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