जोधपुर,राजस्थान उच्च न्यायालय ने जोधपुर के पूर्व राजघराने को राहत प्रदान करते हुए उनकी पावटा ओवरब्रिज से सटी सम्पत्ति राईकाबाग पैलेस मामले में आयकर अपील ट्रिब्यूनल की ओर से जारी आदेश को अपास्त कर दिया। यह आदेश वरिष्ठ न्यायाधीश गोविन्द माथुर व न्यायाधीश विनीत माथुर की खंडपीठ ने दोवाजर महारानी रेजिडेंशियल एकॉमोडेशन वेल्फेयर एंड एमिनिटीज ट्रस्ट की ओर से दायर आयकर अपील का निस्तारण करते हुए दिए। ट्रिब्यूनल के आदेश में राजघराने को आयकर विभाग की ओर से जारी एक नोटिस को सही ठहराते हुए उसमें बताई गई राशि का भुगतान करने का कहा गया था। गौरतलब है कि राईकाबाग पैलेस में आयकर विभाग कार्यालय कार्यालय संचालन के दौरान वर्ष 1986 से 1998 तक करीब 10-12 वर्ष में जितना किराया राजघराने को भुगतान किया था, उस पर नियमानुसार आयकर भुगतान का नोटिस दिया था, जो लाखों में था। राइकाबाग पैलेस दोवाजर महारानी रेजिडेंशियल एकॉमोडेशन वेल्फेयर एंड एमिनिटीज ट्रस्ट के तहत संचालित किया जा रहा है।
इसी ट्रस्ट की ओर से विभाग के नोटिस के खिलाफ आयकर ट्रिब्यूनल में अपीलें दायर की गई, लेकिन 16 मार्च 2007 को अपीलों को खारिज कर दिया गया। इस पर अधिवक्ता एलआर मेहता व रमित मेहता के माध्यम से हाईकोर्ट में आयकर अपील से चुनौती दी गई। खंडपीठ में कहा गया कि यह मामला भी आयकर अपील संख्या 94/2005 सीआईटी जोधपुर बनाम दोवाजर महारानी रेजिडेंशियल एकॉमोडेशन वेल्फेयर एंड एमिनिटीज ट्रस्ट मामले में खंडपीठ द्वारा 6 मई 2008 को जारी सपठित 28 अप्रेल 2011 के आदेश जो कि विविध सिविल मिसलेनियस आवेदन 7144/2010 की सुनवाई में दिए गए के समान है।
राईकाबाग पैलेस मामले में पूर्व राजघराने को राहत
