भारत के विरोध पर बानी की बरसी पर आयोजित कार्यक्रम रद्द

लंदन,भारत के विरोध के बाद आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन के कमांडर बुरहान वानी की बरसी पर आयोजित होने वाली रैली रद्द कर दी गई है। भारत के तीक्र विरोध के बाद बर्मिंघम सिटी काउंसिल ने कार्यक्रम के आयोजन की अनुमति देने से इनकार कर दिया। उल्लेखनीय है कि स्वतंत्र कश्मीर समर्थकों ने बर्मिंघम स्थित ‘काउंसिल हाउस’ के बाहर आठ जुलाई को बुरहान वानी की बरसी पर ‘कश्मीर रैली’ आयोजित करने का निर्णय लिया था। स्थानीय प्रशासन ने आयोजकों को इसकी इजाजत भी दे दी थी, जिसे बाद में भारत के विरोध के बाद रद्द कर दिया गया। भारत ने सोमवार को ब्रिटेन से अनुरोध किया था कि वह काउंसिल हाउस के बाहर आयोजित ‘कश्मीर रैली’ कार्यक्रम पर प्रतिबंध लगाए। कार्यक्रम के पोस्टरों और घोषणाओं में वानी की तस्वीर का इस्तेमाल किया गया था, जिसे भारतीय सुरक्षा बलों ने आठ जुलाई, 2016 को एक मुठभेड़ में मार गिराया था। बर्मिंघम काउंसिल के प्रवक्ता ने कहा हमने कश्मीर में मानवाधिकार उल्लंघन को लेकर शांतिपूर्ण रैली आयोजित करने की अनुमति दी थी। प्रवक्ता ने कहा विक्टोरिया स्क्वायर पर आतंकी गतिविधियों के समर्थन में कार्यक्रम आयोजित करने की इजाजत नहीं दी जा सकती। यही वजह है कि कार्यक्रम की अनुमति को स्थगित कर दिया गया है।
भारत ने इस आयोजन को रद्द करने का आग्रह करते हुए कहा था कि भारत ने जिसे आतंकी घोषित किया है, उसके सम्मान में रैली का आयोजन प्रकारांतर से आतंकवाद को समर्थन देने जैसा ही है। गौरतलब है कि कुछ दिनों पहले लंदन में एक पुस्तक जारी करने के दौरान ब्रिटेन में भारत के राजदूत वाईके सिन्हा ने कहा था ब्रेग्जिट के बाद भारत के साथ व्यापार को बढ़ावा देने की ब्रिटेन की कोशिशें तब तक सफल नहीं हो सकती, जब तक हमारी चिंताओं पर संज्ञान नहीं लिया जाता। जिस तरह ब्रिटेन ने अपनी धरती पर भारत विरोधी गतिविधि की इजाजत दी है, नई दिल्ली में इसके प्रति नाराजगी है। हम भी एक लोकतांत्रिक देश हैं, लेकिन हम किसी भी ऐसे मुद्दे पर बहस से बचते हैं जिससे हमारे मित्र और सहयोगी देशों का हित प्रभावित होता हो।
दूसरी ओर बुरहान वानी की मुठभेड़ के एक साल पूरे होने के मौके पर भारत प्रशासित कश्मीर में सुरक्षा बल सतर्क हो गए हैं। पिछले साल बुरहान वानी की मौत के बाद कश्मीर घाटी में हिंसा का दौर चल पड़ा था। कश्मीर घाटी में आतंकवादियों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हो रही हैं। पिछले छह महीनों में 50 युवाओं ने हथियार उठाए है। स्थिति यह है कि पिछले चार सालों की अवधि में घाटी में 257 युवक आतंकी बने हैं।

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