पाक समर्थित नारेबाजी की रिकार्डिंग कर रहे थे DSP ,भीड़ ने खुफिया एजेंसियों का एजेंट समझा

श्रीनगर,जामिया मस्जिद के बाहर सुरक्षा में तैनात डीएसपी मोहम्मद अयूब पंडित को शुक्रवार को भीड़ द्वारा पीट-पीटकर हत्या करने की घटना के बाद अब कई चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं। बताया जा रहा है कि अलगाववादी नेता मीरवाइज उमर फारूक के मस्जिद के अंदर ही मौजूद थे और बाहर भीड़ ने पाकिस्तान समर्थित नारे लगाने शुरू कर दिए थे जिसकी अयूब विडियो रिकार्डिंग कर रहे थे। इसी के चलते भीड़ ने उन्हें खुफिया एजेंसियों का एजेंट समझते हुए उन पर हमला बोल दिया। अयूब को आईबी और रॉ का एजेंट बताते हुए भीड़ उन पर टूट पड़ी। अयूब ने अपनी सर्विस पिस्टल से फायरिंग करते हुए वहां से निकलने की कोशिश की। लेकिन कुछ भी देर में भीड़ उन पर हावी हो गई। देर रात तक पुलिस अयूब के शव की शिनाख्त तक नहीं कर पाई। सुबह पुलिस ने मस्जिद के प्रांगण से उनका शव बरामद किया। अयूब के शव की हालत इतनी खराब कर दी गई थी कि उनका बेटा उसे देखकर बेहोश हो गया। बांग्लादेश में रहकर पढ़ाई कर रही उनकी बेटी सानिया परिवार के साथ ईद मनाने घर आई थी, लेकिन उसे अपने पिता के अंतिम संस्कार में शामिल होना पड़ा। डीएसपी अयूब की एक भतीजी को रोते हुए यह कहते सुना गया कि हां, हम भारतीय हैं, हम भारतीय हैं। उन्होंने एक मासूम इंसान को मार डाला, हमारे मासूम अंकल को मार दिया।
सूत्रों के मुताबिक यह जानकारी भी सामने आ रही है कि डीएसपी अयूब पंडित का परिवार मीरवाइज उमर फारूक के परिवार का समर्थक माना जाता है। इसके अलावा पेशे से वकील अयूब का एक कजन मोहम्मद अब्दुल्लाह पंडित पत्थरबाजों और अलगाववादियों के लिए केस लड़ता रहा है। अब्दुल्लाह के बारे में यह भी बताया जा रहा है कि वह हुर्रियत नेता सैयद अली शाह गिलानी के कट्टर सहयोगी मियां कयूम का करीबी रहा है। 2015 में डीएसपी पंडित ने भी हुर्रियत नेता फिरदौस अहमद शाह का उस वक्त बचाव किया था जब उन पर पाकिस्तान से 2008 के मुंबई हमलों में मदद के लिए 3 करोड़ रुपए लेने का आरोप लगा था। बाद में प्रवर्तन निदेशालय ने उन पर केस दर्ज किया था।

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