नई दिल्ली, वित्त मंत्री अरुण जेटली ने एक बार फिर साफ किया है कि कर्जमाफी का बोझ राज्य सरकारों को ही उठाना पड़ेगा। उन्होने कहा कि कर्जमाफी का पैसा अपने खजाने से ही भरना होगा। वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि मैं इस बारे में पहले ही साफ कर चुका हूं कि जो राज्य इस तरह की योजनाएं लाना चाहते हैं उन्हें अपने संसाधन खुद जुटाने होंगे। इससे ज्यादा मैं इस पर कुछ नहीं कह सकता। जेटली ने यह बात केंद्र सरकार द्वारा राज्यों की कर्जमाफी में मदद करने के सवाल पर कही। वित्तमंत्री ने कहा, महाराष्ट्र जैसे राज्य जिन्होंने कर्जमाफी का फैसला किया है, उन्हें अपने संसाघनों से फंड जुटाना होगा। वित्तमंत्री का यह बयान ऐसे समय आया है जब खुद तीन बीजेपी शासित राज्य महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश इस दिशा में कदम उठा रहे हैं। अरुण जेटली ने कहा कि रिजर्व बैंक दिवाला और शोधन अक्षमता कानून के नियमों के तहत उन फंसे कर्जों की सूची तैयार कर रहा है जिनका समाधान करने की आवश्यकता है। इसके साथ ही सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के परस्पर विलय और अधिग्रहण की संभावनाओं पर भी काम कर रही है। वित्त मंत्री ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने 2016-17 में 1.5 लाख करोड़ रुपये का परिचालन लाभे अजर्ति किया है। उन्होंने इसे ठीकठाक बताया औार कहा कि तमाम तरह के प्रावधान किये जाने के बाद इन बैंकों का शुद्ध लाभ 574 करोड़ रूपये रहा है। कर्जमाफी एवं अन्य समस्याओं को लेकर देश के कई हिस्सों में किसान आंदोलन कर रहे हैं।
किसान कर्जमाफी पर राज्य सरकारों को उठाना होगा बोझ
