गरीबी दूर करने अब यूनिवर्सल बेसिक इनकम पर फोकस

नई दिल्ली,आने वाले दिनों में तीन महत्वपूर्ण सेक्टर्स फर्टिलाइजर, सिविल एविएशन और बैंकिंग के क्षेत्र में निजीकरण पर जोर दिया जा सकता है. वहीं गरीबी के दायरे में आने वाले लोगों के खाते में सीधे पैसा जमा करने की शुरुआत भी संभव है

विकास दर 6.75 से 7.5 फीसदी का अनुमान

सरकार ने पांच महत्वपूर्ण सुधारों का जिक्र भी आर्थिक सर्वेक्षण में किया है. जिनमें जीएसटी, दिवालिया कानून, मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी, आधार बिल, एफडीआई उदारीकरण और यूपीआई स्कीम प्रमुख है.
आम बजट से ठीक एक दिन पहले संसद में वित्त मंंत्री अरुण जेटली ने वर्ष 2017-18 का आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया जिसमें 6.75 फीसदी से 7.5 फीसदी की दर से आर्थिक वृद्धि के कयास लगाए गए हैं. देश में औद्योगिक उत्पादन की दर पिछले साल की तुलना में घटने के आसार व्यक्त किए गए हैं.
पिछले तीन सालों की तुलना में इस साल देश में कृषि के उत्पादन में वृद्वि का अनुमान लगाया गया है.
गौततलब है पिछले साल औद्योगिक सेक्टर में वृद्धि दर 7.4 प्रतिशत थी. इस साल इसके 5.2 फीसदी तक रहने का अंदेशा प्रकट किया गया है.जबकि कृषि क्षेत्र में 1.2 प्रतिशत की वृद्धि दर के मुकाबले इस साल ये चार का आंकड़ा पार कर जाएगी.
इस बार के आर्थिक सर्वे की सबसे खास बात ये है कि देश से गरीबी हटाने के लिए स्टेट सब्सिडी की जगह यूनिवर्सल बेसिक इन पर काम करने की बात कही गई है. ये कैसे कब और किस प्रकार तैयार होगा इसका खाका बाद में ही स्पष्ट हो सकेगा.
आज जारी आर्थिक सर्वे में नोटबंदी का भविष्य में अर्थव्यवस्था पर अच्छा प्रभाव पडऩे की बात कही गई है.हालांकि फिलहाल इसके ठहरने की बात की गई है.
आर्थिक सर्वे में सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के लिए एक केंद्रीकृत पब्लिक सेक्टर एसेट रिहेबिलेशन एजेंसी के स्थापना करने की सलाह मिली है. अगर इस साल तेल की कीमतें बढ़ी तो रिजर्व बैंक के लिए ब्याज दरों में कटौती कर पाना बेहद मुश्किल हो जायेगा.

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