भोपाल, मध्य प्रदेश के बहुचर्चित ई-टेंडर घोटाले में ईओडब्ल्यू के राडार पर आई कंपनियों के डायरेक्टरो के विदेश भागने की आशंका जताई गई है, ओर इसी आशंका के कारण ईओडब्ल्यू ने गृह मंत्रालय से उन सभी डायरेक्टर्स का वीजा निरस्त करने की सिफारिश की थी, जिनके खिलाफ जांच चल रही है। इस को गंभीरता से लेते हुए गृह मंत्रालय ने एक कंपनी के डायरेक्टर का वीजा निरस्त कर दिया है, वही अन्य के खिलाफ प्रक्रिया चल रही है। मिली जानकारी के अनुसार ई टेंडर घोटाले में 9 कंपनियों के खिलाफ एफ आई आर दर्ज की गई थी। इनमें गुजरात की सरोठिया वेल्जी एंड रत्ना कंपनी भी शामिल थी, कंपनी के डायरेक्टर हरेश सरोठिया की गिरफ्तारी की कई कोशिशे की गई, इसके लिये भोपाल कोर्ट ने उसकी गिरफ्तारी का वांरट जारी किया था। इसके बाद टीम कंपनी के गुजरात स्थित दफ्तर पर चार बार दबिश दे चुकी है, लेकिन आरोपी का सुराग नहीं लगा। सुत्रो के अनुसार ईओडब्ल्यू को सरोठिया के विदेश भागने की आशंका थी, इसलिए उसने वीसा निरस्त करने की सिफारिश गृह मंत्रालय से की थी। ईओडब्ल्यू पहले ही दिल्ली, मुंबई, गुजरात और सभी प्रमुख एयरपोर्ट को सूचित कर अलर्ट कर चुकी है। फरार आरोपी पर जल संसाधन विभाग के 116 करोड़ के टेंडर में गड़बड़ी का आरोप है। गोरतलब है कि शिवराज सरकार ने सरकारी ठेकों में भ्रष्टाचार खत्म करने के लिए 2014 में ई-टेंडर शुरू किया था, उसके लिए एक निजी कंपनी से पोर्टल बनवाया गया। हर सरकारी विभाग इसी के ज़रिए टेंडर कर रहा है, लेकिन शिवराज सरकार के दौरान ही इसमें घोटाला होने लगा. टेंडर प्रक्रिया ऑनलाइन थी। लेकिन इसमें बोली लगाने वाली कंपनियों को पहले ही सबसे कम बोली का पता चल जाता था, और यहीं से इसमें घोटाले की शुरुआत हुई.ई-टेंडर 2014 से शुरू हुए थे। जानकारी के अनुसार लगभग तीन लाख करोड़ रुपए के टेंडर अब तक दिए जा चुके हैं, लेकिन ईओडब्ल्यू के अनुसार घोटाला 3 हजार करोड़ का है। इनमें जल निगम के 3, लोक निर्माण विभाग के 2, जल संसाधन विभाग के 2, मध्यप्रदेश सड़क विकास निगम का 1 और लोक निर्माण विभाग की पीआईयू का 1 टेंडर शामिल है. इन्हीं मामलों में FIR दर्ज की गई थी। जिसकी जांच जारी है।