मैसूर,कर्नाटक के पूर्व सीएम और मनमोहन सिंह सरकार में विदेश मंत्री रहे एसएम कृष्णा ने कहा कि राहुल गांधी के अनावश्यक हस्तक्षेप करने की आदत ने उन्हें पार्टी छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया था। पूर्व विदेश मंत्री ने कहा, अपने पास काम करने का कोई और रास्ता नहीं देखकर मैंने कांग्रेस छोड़ने का फैसला किया। कृष्णा ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पर बड़ा हमला बोला है। कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हो चुके कृष्णा ने कहा कि राहुल गांधी सरकार के कामकाज में लगातार हस्तक्षेप करते थे। 2017 में कांग्रेस पार्टी छोड़ने के फैसले पर भी कृष्णा ने कहा कि मौजूदा कांग्रेस अध्यक्ष की राहुल गांधी पर सरकार के महत्वपूर्ण मामलों में भी दखल देने का आरोप कृष्णा ने लगाया।
उन्होंने कहा, ’10 साल पहले राहुल गांधी पार्टी में किसी महत्वपूर्ण पद पर नहीं थे। पार्टी से जुड़े हर फैसले में वह हस्तक्षेप करते थे। जब मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे उस वक्त भी राहुल गांधी के पास कई महत्वपूर्ण मुद्दे चर्चा के लिए भेजे जाते थे, जबकि पीएम को इस विषय में जानकारी भी नहीं रहती थी। कांग्रेस का गठबंधन की सहयोगी पार्टियों पर कोई नियंत्रण नहीं था। इसी वजह से यूपीए 2 के कार्यकाल में एक के बाद एक कई बड़े घोटाले 2जी स्पैक्ट्रम, कॉमनवेल्थ घोटाला, कोयला घोटाला हुए। ऐसी स्थिति तभी होती है जब कोई निर्णायक नेतृत्व नहीं होता है।
एस एम कृष्णा ने राहुल गांधी के हस्तक्षेप को असंवैधानिक करार दिया। उन्होंने कहा, ‘2009 से 2014 तक मैं सरकार में था और सरकार के हर अच्छे-बुरे फैसले की जिम्मेदारी मुझ पर बनती है।’ कृष्णा ने यह भी आरोप लगाया कि तत्कालीन प्रधानमंत्री का सरकार, कैबिनेट और सहयोगी दलों पर कोई नियंत्रण नहीं था। सब कुछ पर कंट्रोल राहुल गांधी का था और वह ऐसे काम कर रहे थे जैसे कि वह कोई अतिरिक्त संवैधानिक संस्था हों। विदेश मंत्री पद से इस्तीफा देने की वजह भी कृष्णा ने राहुल गांधी को बताया। उन्होंने कहा कि बतौर विदेश मंत्री साढ़े तीन साल का उनका कार्यकाल बेहतरीन था। उन्हें हटाने का आदेश राहुल गांधी ने दिया क्योंकि वह 80 साल से अधिक उम्र के नेताओं को कैबिनेट में जगह नहीं देना चाहते थे। भाजपा में शामिल होने के बाद भी कृष्णा सक्रिय राजनीति से लगभग दूर ही हैं। हालांकि, कर्नाटक चुनाव के दौरान उन्होंने कांग्रेस के पूर्व सीएम सिद्धारमैया के खिलाफ एक रैली में जरूर हिस्सा लिया था।