मुंबई,कैश की कमी के चलते कर्ज के बदले संपत्ति के बाजार को नजर लग गई है। इसकी कमी होने से पहले तक नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों की ग्रोथ को बढ़ावा दे रहा लोन अगेंस्ट प्रॉपर्टी (एलएपी) मार्केट इन दिनों ठप सा हो गया है। विशेषज्ञों और इंडस्ट्री एग्जिक्यूटिव्स ने बताया कि लेंडिंग एनबीएफसी इनमें अपना एक्सपोजर बढ़ाना नहीं चाहतीं। छोटे कारोबारियों के बीच उधारी जुटाने का यह एक पॉपुलर जरिया था और इसके चलते पिछले पांच साल में लेंडर्स को अपने बिजनेस को विस्तार देने में काफी मदद मिली। सूत्रों ने बताया कि एनबीएफसी के अपने पास कैश रखने और कॉस्ट ऑफ फंड में ढाई पर्सेंटेज प्वाइंट की बढ़ोतरी होने से लोन अगेंस्ट प्रॉपर्टी बिजनेस फायदेमंद नहीं रह गया है। इंडियाबुल्स हाउसिंग फाइनेंस के डिप्टी एमडी अश्विनी हुडा ने कहा, हम तब तक के लिए नकदी बचाकर रख रहे हैं या फंडिंग कम कर रहे हैं जब तक कि बाजार सामान्य ना हो जाए। हम ग्रोथ के लिए कैश का इस्तेमाल नहीं करना चाहते। अभी हमारा ध्यान लिक्विडिटी यानी कैश बढ़ाने पर है।
इसकी बड़ी संभावना है कि कुछेक के लोन अगेंस्ट प्रॉपर्टी का परहेज करने के अप्रोच का फायदा कॉम्पिटीटर्स उठाएं। एंटीक ब्रोकिंग के विशेषज्ञ दिगंत हरिया कहते हैं, एनबीएफसी और हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों ने रेट में 100 से 200 बेसिस प्वाइंट्स की बढ़ोतरी की है। यह इसका संकेत है कि लोन अगेंस्ट प्रॉपर्टी को लेकर उनका अग्रेसिव अप्रोच अब जारी नहीं रहेगा। यह दूसरे बैंकों और नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों के लिए सुनहरा मौका हो सकता है। अंडरलाइंग एसेट्स को जल्द नकदी में बदलने की क्षमता नहीं होने या शॉर्ट टर्म उधारी पर निर्भरता के चलते हुए एसेट लिक्विडिटी मिसमैच की अब भरपाई की जा रही है। डिवेलपर्स और बड़े लोन अगेंस्ट प्रॉपर्टी में ज्यादा एक्सपोजर वाली हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों को ग्रोथ और मार्जिन में कमी की चुनौतियों से निपटना पड़ रहा है। विदेशी ब्रोकरेज फर्म क्रेडिट सुइस की रिपोर्ट के मुताबिक, ‘एलएपी/एसएमई बड़ी रकम के होम लोन वाले सेगमेंट में जहां बैलेंस ट्रांसफर होता रहता है, उनमें कुछ हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों का ड्यूरेशन 15 साल से ज्यादा के कॉन्ट्रैक्टेड पीरियड के मुकाबले चार साल से कम होता है।
कैश की कमी के चलते कर्ज के बदले संपत्ति के बाजार को लगी नजर
