उप्र में जैन दर्शन पर पीएचडी करने वाले विद्यार्थियों को दी जाएगी आर्थिक मदद

लखनऊ,उत्तर प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह के समक्ष आज पर्यटन निदेशालय के सभागार में उ0प्र0 जैन विद्या शोध संस्थान तथा अन्तर्राष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान लखनऊ के पदाधिकारियों द्वारा आगामी 100 दिन 02 वर्ष एवं 05 वर्ष की कार्य योजना एवं लक्ष्यों का प्रस्तुतीकरण किया गया। इसके साथ ही दोनों संस्थानों द्वारा विगत 05 वर्षों के दौरान अर्जित की गयी उपलब्धियों का विवरण भी पेश किया गया।
प्रस्तुतीकरण का अवलोकन करने के पश्चात पर्यटन मंत्री ने कहा कि जैन विद्या शोध संस्थान में प्रवेश लेने वाले छात्रों के लिए एक सरलीकृत प्रक्रिया निर्धारित की जाये। इसके साथ ही जैन धर्म से जुडे़ ऐतिहासिक स्थलों, मंदिरों, स्थापत्य कला, शिल्प शैली एवं परम्पराओं का विधिवत अभिलेखीकरण कराया जाए। उन्होंने कहा कि जैन दर्शन में पीएचडी करने वाले छात्रों को आर्थिक सहयोग दिया जायेगा। इसके साथ ही जैन वास्तुशिल्प तीर्थकरों, जैन धर्म प्रवर्तन आदि पर शोध के लिए बढ़ावा दिया जायेगा। उन्होंने कहा कि जैन धर्म में बहुत सी अच्छी बाते हैं, जिसका लोग अनुसरण करके इसके साथ जुड़ना चाहते हैं। यह धर्म सर्वधर्म सम्भाव एवं अहिंसा का पुजारी है।
जयवीर सिंह ने कहा कि जैन विद्या शोध संस्थान समाज में व्याप्त वैचारिक विषमता को दूर करके सामाजिक सहिष्णुता स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। उन्होंने कहा कि संस्थाओं की सूची बनाकर उनमें छात्र-छात्राओं के नैतिक उत्थान के लिए प्रवचन कराया जाए। इसके साथ ही समय-समय पर अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का भी आयोजन कराया जाए। उन्होंने कहा कि जैन धर्म से जुड़े स्थलों पर बुनियादी सुविधाओं को विकसित करने के लिए व्यक्तियों अथवा संस्थाओं से आर्थिक सहयोग लिया जा सकता है। इसमें 50 प्रतिशत धनराशि पर्यटन विभाग द्वारा भी उपलब्ध करायी जायेगी एवं दानदाताओं के नाम की पट्टिका भी लगाई जायेगी।
अन्तर्राष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान द्वारा प्रस्तुत भविष्य की योजनाओं का अवलोकन करने के पश्चात पर्यटन मंत्री ने कहा कि बौद्ध धर्म की जडे़ बहुत गहरी हैं। इसलिए इसके प्रचार-प्रसार के लिए चीन, श्रीलंका, वियतनाम आदि देशों के विश्वविद्यालयों से यम0ओ0यू0 हस्ताक्षरित कर वहॉ के 05 विद्यार्थियों को यहां तथा यहां से 05 विद्यार्थियों को वहां भेजने की व्यवस्था की जाए। बौद्ध धर्म आज के परिस्थितियों में अत्यधिक प्रासांगिक है और विश्व शांति के लिए बौद्ध दर्शन एवं उपदेशों को अपनाना जरूरी है।

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