मोदी सरकार ने राहत और पुनर्वास सम्बन्धी योजना को और पांच साल बढ़ाया

नईदिल्ली, मोदी सरकार ने “प्रवासियों और स्वदेश वापस लौटने वाले लोगों के लिए राहत और पुनर्वास” की समग्र योजना के तहत सात मौजूदा उप – योजनाओं को वर्ष 2021-22 से लेकर 2025-26 तक की अवधि के लिए 1,452 करोड़ रुपये के कुल परिव्यय के साथ जारी रखने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इस मंजूरी से केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह के नेतृत्व में गृह मंत्रालय के माध्यम से इस समग्र योजना के तहत मिलने वाली सहायता का लाभार्थियों तक पहुंचते रहना सुनिश्चित होगा। यह योजना उन प्रवासियों और स्वदेश वापस लौटने वाले लोगों, जिन्हें विस्थापन के कारण नुकसान उठाना पड़ा है, को उचित आय अर्जित कर सकने में सक्षम बनाती है और उन्हें मुख्यधारा की आर्थिक गतिविधियों में शामिल होने में आसानी प्रदान करती है।
सरकार ने अलग-अलग समय पर अलग-अलग योजनाएं शुरू की थीं। ये सात योजनाएं निम्नलिखित बातों के लिए सहायता प्रदान करती हैं –
पाकिस्तान अधिकृत जम्मू एवं कश्मीर और छंब इलाकों के विस्थापित परिवारों को राहत और पुनर्वास,
श्रीलंकाई तमिल शरणार्थियों को राहत सहायता,
त्रिपुरा में राहत शिविरों में रह रहे ब्रू लोगों को राहत सहायता,
1984 के सिख – विरोधी दंगा के पीड़ितों को बढ़ी हुई राहत,
आतंकवाद, उग्रवाद, सांप्रदायिक/वामपंथी उग्रवाद की हिंसा और सीमा पार से भारतीय क्षेत्र में गोलीबारी एवं बारूदी सुरंग/आईईडी विस्फोटों के पीड़ितों सहित आतंकवादी हिंसा से प्रभावित असैनिक पीड़ितों के परिवारों को वित्तीय सहायता और अन्य सुविधाएं,
केन्द्रीय तिब्बती राहत समिति (सीटीआरसी) को सहायता अनुदान,
सरकार भारत के कूचबिहार जिले में स्थित 51 पूर्ववर्ती बांग्लादेशी एन्क्लेव में बुनियादी ढांचे के विकास के लिए और बांग्लादेश में पूर्ववर्ती भारतीय एन्क्लेव से वापस लौटे 922 लोगों के पुनर्वास के लिए पश्चिम बंगाल सरकार को सहायता अनुदान भी प्रदान कर रही है।

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