अंततः धरती के करीब आने वाले छुद्रग्रह-धूमकेतु की नहीं हो सकी पहचान

वॉशिंगटन, धरती के करीब आने वाले अधिकांश बड़े छुद्रग्रह और धूमकेतु की पहचान नहीं हो सकी है। यह बताया गया है संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में । दुनियाभर के रिसर्चर्स पृथ्वी के निकट की वस्तुओं में से केवल 40 फीसदी की पहचान करने में सक्षम हैं। बाकी के आकाशीय पिंड हमारी धरती के करीब होने के बावजूद आजतक अज्ञात हैं। ऐसे में यूएन की इस रिपोर्ट के बाद बाकी के 60 फीसदी छुद्रग्रह और धूमकेतु को लेकर चिंता जताई गई है। अगर कोई बड़ा धूमकेतु या छुद्रग्रह धरती पर गिरता है तो इससे भारी नुकसान तक हो सकता है।
इस रिपोर्ट को संयुक्त राष्ट्र की आउटर स्पेस के शांतिपूर्वक इस्तेमाल पर बनी कमेटी की साइंटिफिक एंड टेक्निकल उपसमिति ने जारी किया है। इसमें बताया गया है कि 2020 में 40 से अधिक देशों में स्थित अंतरिक्ष वेधशालाओं के एक नेटवर्क ने क्षुद्रग्रहों और धूमकेतुओं के लगभग तीन करोड़ 95 लाख अवलोकन किए। नतीजतन, वे अकेले पिछले वर्ष में रिकॉर्ड 2,959 एनईओ की पहचान करने में सक्षम थे और कुछ 2,180 क्षुद्रग्रहों को सूचीबद्ध किया। सूचीबद्ध किए गए इन आकाशीय पिंडों की कक्षा हमारी पृथ्वी की कक्षा के 8 मिलियन किलोमीटर के भीतर थी। उपसमिति के अनुसार 17 अप्रैल 2021 तक शोधकर्ताओं ने 25647 एनईओ को दर्ज किया है। हालांकि, संयुक्त राष्ट्र स्वीकार करता है कि हमारे ग्रह के करीब महत्वपूर्ण आकार के अधिकांश धूमकेतु और क्षुद्रग्रह अभी भी बेशुमार मात्रा में मौजूद हैं। उन्होंने यह भी कहा कि इन अज्ञात आकाशीय पिंडों में कुछ छिपी हुई खतरनाक वस्तुएं भी हो सकती हैं।
रूसी विज्ञान अकादमी के खगोल विज्ञान संस्थान के वैज्ञानिक निदेशक बोरिस शुस्तोव ने पहले ही बताया था कि खगोलविदों को 100 मीटर व्यास से बड़े ब्रह्मांडीय पिंडों के केवल दसवें हिस्से के बारे में ही पता है। उन्होंने चिंता जताते हुए यह भी कहा था कि दुनिया केवल 1फीसदी वस्तुओं के बारे में जानती है जो लगभग 50 मीटर व्यास की हैं। उन्होंने तुंगुस्का उल्कापिंड का भी उदाहरण दिया, जिसने 908 में रूस के पूर्वी साइबेरियाई टैगा क्षेत्र में पर्यावरणीय तबाही मचाई थी। अगर किसी तेज रफ्तार स्पेस ऑब्जेक्ट के धरती से 46.5 लाख मील से करीब आने की संभावना होती है तो उसे स्पेस ऑर्गनाइजेशन्स खतरनाक मानते हैं।

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