बिलासपुर के सिम्स अस्पताल में अब तक शुरू नहीं हो सका है डी डाइमर टेस्ट

बिलासपुर, ये सम्भाग का सबसे बड़ा मेडिकल कालेज सिम्स है, कोरोनाकाल को सवा साल हो गए पर यहा आज तक डी डाइमर टेस्ट नहीं हो रहा। लोग अपने पीडि़तों के प्रोटीन के स्तर का टेस्ट कराने के लिए डेढ़ हजार खर्च कर निजी पैथोलैब की दौड़ लगा रहे। टेस्ट के लिए 1 नहीं 4-4 फोटो मीटर मशीनें भी है। पर कहा जा रहा कि किट ही नहीं मिल रहा जिससे यहाँ आज तक डी डाइमर टेस्ट नहीं हुआ। मशीनें कफऩ ढकी पड़ी है।
पिछले साल जब कोरोना का कहर शुरू हुआ। लोगों में इस बात की चर्चा रही कि जब से कोरोना आया है, दूसरी बीमारियां बन्द हो गयी, अस्पतालों में दूसरे व्याधियों के मरीज भी हो गए है। हार्ट अटैक के आने वाले केसेस भी थम गए है, पर दूसरी लहर में मामला पलट गया। कोरोना से संक्रमित मरीजों की ऐसे केस सामने आए, डॉक्टरों ने उन्हें दूसरे दिन छुट्टी देने की बात भी कह दी, पर ये क्या कुछ देर बाद अस्पतालों से परिजनों को सूचित कर उनके मरीज की हार्ट अटैक से मौत होने की खबर दी गयी।
इसकी मुख्य वजह खून में प्रोटीन की मात्रा का अनियंत्रित होना बताया जाता है। इसकी जांच के लिए सिम्स में एक नही चार फोटो मीटर मशीन है, पर जांच ही नहीं हो रही। बायो केमिस्ट्री विभाग के डॉक्टरों की माने तो सिम्स प्रशासन को इसकी किट ही नहीं मिली, कोरोनाकाल के पहले भी कभी यह डी डाइमर की जांच नहीं हुई, जो कोरोना में अहम बताई जा रहा है।
ये है मुख्य वजह
जानकारों की माने तो गुरुघासीदास यूनिवर्सिटी से बायो केमिस्ट्री में पीएचडी करने वाले नान क्लीनिकल डॉ. के भरोसे यह पूरा विभाग चल रहा है। यही वजह है कि यहाँ डी डाइमर जैसी कईं जांच नहीं हो रही है। मशीनें लैब में धूल फाकते पड़ी है, यही वजह है कि डी डाइमर के निस जांच की जो सुविधा मरीजों को मुफ्त या रियायत में मिलनी चाहिए उसके लिए डरे सहमे मरीज के परिजनों को निजी लैब में 1500 चुकाना पड़ रहा।
निजी लैब भेजा जाता है
डी डाइमर टेस्ट के लिए सिम्स के बायो केमिस्ट्री विभाग में 4 फोटो मीटर मशीन है, पर टेस्ट के लिए किट नहीं मिल रहा है। कोरोनाकाल की बात नहीं। सिम्स में कभी भी डी डाइमर टेस्ट नहीं हुआ। मरीजों को निजी लैब में टेस्ट कराने भेजा जाता है।
डॉ. प्रशांत निगम, बायो केमिस्ट्री विभाग, सिम्स

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