कोरोना की पहली लहर के बाद सरकारें, प्रशासन सब लापरवाह हो गए

नई दिल्ली, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा है कि कोरोना की पहली लहर के बाद हम सब लापरवाह हो गए लोग, सरकारें, प्रशासन।। हम सभी जानते थे कि यह (दूसरी लहर) आ रही है, डॉक्टरों ने हमें चेतावनी दी थी, फिर भी हम लापरवाही कर रहे थे।
मोहन भागवत ने कहा कि “अब वे हमें बताते हैं कि एक तीसरी लहर आ सकती है। तो क्या हमें इससे डरना चाहिए? या वायरस के खिलाफ लड़ने और जीतने के लिए सही रवैया अपनाना है?” उन्होंने आरएसएस द्वारा आयोजित व्याख्यान श्रृंखला ‘पॉजिटिविटी अनलिमिटेड’ में भविष्य की ओर राष्ट्र का ध्यान केंद्रित करने की बात कही ताकि लोग और सरकार वर्तमान अनुभवों से सीखकर इसके लिए तैयार हो सकें। उन्होंने भारत के सामने आने वाली कठिनाइयों को दूर करने की बात कही। भागवत ने भारतीयों को आज की गलतियों से सीखकर संभावित तीसरी लहर का सामना करने के लिए आत्मविश्वास विकसित करने के लिए प्रोत्साहित किया।
आरएसएस प्रमुख ने कहा ” पूर्व ब्रिटिश प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल की मेज हमेशा एक ‘कोट’ लिखा रखा होता था। इसमें लिखा था “इस कार्यालय में कोई निराशावाद नहीं है। हमें हार की संभावना में कोई दिलचस्पी नहीं है। उसका अस्तित्व नहीं है।” भागवत ने कहा कि भारतीयों को भी महामारी पर पूर्ण विजय प्राप्त करने की आवश्यकता है।
मोहन भागवत ने कहा कि “जीवन और मृत्यु का चक्र जारी रहेगा… ये मामले हमें डरा नहीं सकते। यही परिस्थितियां हमें भविष्य के लिए प्रशिक्षित करेंगी।” उन्होंने कहा कि “सफलता अंतिम नहीं है। असफलता घातक नहीं है। जारी रखने का साहस ही मायने रखता है।”
विभिन्न सामाजिक सेवा समूहों के सहयोग से आरएसएस की “कोविड रिस्पांस टीम” द्वारा समन्वित यह श्रृंखला 11 मई से पांच दिनों तक आयोजित की जा रही है। इसमें ऑनलाइन वक्ताओं में विप्रो समूह के संस्थापक अजीम प्रेमजी और आध्यात्मिक गुरु जग्गी वासुदेव शामिल हैं। यह व्याख्यान श्रृंखला लोगों में आत्मविश्वास और सकारात्मकता का संचार करने के लिए आयोजित की जा रही है ताकि वे कोरोना महामारी से लड़ने में सक्षम हो सकें।

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