वायुसेना को 48 हजार करोड़ के मिलेंगे 83 तेजस फाइटर जेट

नई दिल्ली, केंद्र सरकार ने भारतीय वायुसेना को बड़ा तोहफा दिया है। सरकार ने वायुसेना को 83 तेजस फाइटर जेट खरीदने की मंजूरी दे दी है। इसके लिए सरकार ने हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) से 48 हजार करोड़ रुपए की खरीदी का अनुबंध किया है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सरकार की इस मंजूरी को गेम चेंजर करार दिया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (सीसीएस) की बैठक में यह फैसला लिया गया है। सिंह ने सोशल मीडिया पर जानकारी देते हुए लिखा कि रक्षा के क्षेत्र में मैन्युफैक्चरिंग को मजबूती मिलेगी। लाइट कॉम्बैट एयरक्रॉफ्ट (एलसीए) 1ए तेजस फाइटर तैयार करने के लिए एचएएल ने नासिक और बेंगलुरु में सेटअप तैयार कर लिया गया है। एलसीए तेजस इंडियन एयरफोर्स फ्लीट की रीढ़ की हड्डी बनने जा रही है। इससे एयरफोर्स की मौजूदा ताकत में जबरदस्त इजाफा होगा। रक्षा मंत्री ने बताया कि एलसीए तेजस के एमके1ए वैरिएंट में 50 की बजाय 60 फीसदी स्वदेशी उपकरण और तकनीक का इस्तेमाल होगा। उल्लेखनीय है कि एचएएल ने 1980 के दशक में तेजस पर काम शुरू किया था। 4 मई, 2003 को तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने इसे तेजस नाम दिया था। इसके बाद 2007 से इसका प्रोडक्शन शुरू हुआ।
तेजस 42 फीसदी कार्बन फाइबर, 43 फीसदी एल्यूमीनियम एलॉय और टाइटेनियम से बनाया गया है। तेजस से हवा से हवा में मार करने वाली बीवीआर मिसाइल का सफल परीक्षण किया जा चुका है। तेजस विमानवाहक पोत से टेकऑफ और लैंडिंग का परीक्षण एक ही उड़ान में पास कर चुका है। तेजस ने डीआरडीओ के परीक्षण में रात में अरेस्टेड लैंडिंग का ट्रायल भी कामयाबी से पास किया था।
तेजस हवा से हवा में और हवा से जमीन पर मिसाइल छोड़ सकता है। इसमें एंटीशिप मिसाइल, बम और रॉकेट भी लगाए जा सकते हैं। तेजस भारत में विकसित किया गया हल्का और मल्टीरोल फाइटर जेट है। इसे एचएएल ने विकसित किया है। तेजस को एयरफोर्स के साथ नेवी की जरूरतें पूरी करने के हिसाब से भी तैयार किया जा रहा है। पाकिस्तान से सटे गुजरात के नलिया और राजस्थान के फलौदी एयरबेस पर इसकी स्क्वाड्रन तैनात की जा रही है।

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