सोनिया ने उद्धव को चिट्ठी लिख पिछड़ों से वादे पूरा करने की याद दिलाई पर एनसीपी को रास नहीं आया पत्र लेखन

मुम्बई, सामाजिक तौर पर पिछड़े लोगों से किए वादों को पूरा करने की मांग के साथ कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को चिट्ठी लिखी लेकिन सोनिया यह चिट्ठी महाराष्ट्र में उनके तीसरे सहयोगी नेशनल कांग्रेस पार्टी यानी एनसीपी को रास नहीं आई। कांग्रेस की ओर से यह भी कहा गया कि सोनिया की चिट्ठी को बातचीत के तौर पर देखा जाना चाहिए न कि टकराव के रूप में लेकिन फिर भी एनसीपी इससे खफा दिखी, जिससे यह कयास लगाए जाने लगे की महाराष्ट्र सरकार में सब कुछ ठीक नहीं है। दूसरी तरफ, कांग्रेस ने हितों के खिलाफ काम करने का आरोप लगाया। ध्यान देने वाली बात यह है कि महाराष्ट्र में एक साथ सरकार चला रही शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस ने जनवरी में होने वाले ग्राम पंचायत चुनावों में अलग-अलग लड़ने का ऐलान किया है, जबकि इससे पहले उद्धव ठाकरे ने यह घोषणा की थी कि महाराष्ट्र का विकास अघाड़ी गठबंधन अब हर चुनाव साथ में लड़ेगा। गठबंधन में तनाव लाने वाली सोनिया गांधी की चिट्ठी ऐसे समय में लिखी गई है जब कांग्रेस नेता राज्य में सरकार चलाए जाने के तरीके से नाखुश हैं। राज्य के अधिकतर कांग्रेस नेताओं को लगता है कि सरकार सिर्फ ठाकरे और एनसीपी प्रमुख शरद पवार चला रहे हैं और नीतियां बनाने में कांग्रेस की कोई भूमिका नहीं है। इससे पहले भी कांग्रेस नेताओं ने कई अपने अधिकार वाले स्थानीय निकायों में पर्याप्त फंड न मिलने को लेकर नाखुशी जाहिर की थी। सबसे ताजा मामला ऊर्जा मंत्री नितिन राऊत के उस प्रस्ताव को ठुकराए जाने का है जिसमें उन्होंने बिजली के बढ़े हुए दामों से लोगों को राहत देने की बात कही थी। यह प्रस्ताव राज्य के वित्तीय विभाग ने ठुकरा दिया, जो कि अजित पवार के अंदर आता है। एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता के मुताबिक, ‘बीते कुछ महीनों से अशोक चव्हाण, विजय वडेत्तिवार जैसे हमारे कुछ नेताओं ने सार्वजनिक तौर पर कुछ योजनाओं की फंडिंग और प्लान को लेकर असंतोष जाहिर किया है। यह कोई संयोग नहीं कि राज्य के वित्तीय विभाग की कमान अजित पवार के हाथ में हैं। एनसीपी नेता और प्रवक्ता नवाब मलिक ने कहा कि यह चिट्ठी कांग्रेस के अंदर संवाद की कमी या राज्य के नेताओं में मतभेदों का नतीजा हो सकती है। उन्होंने कहा, ‘महामारी और लॉकडाउन की वजह से सरकार की कई योजनाओं और फंडिंग पर असर हुआ है, जिससे अंततः राज्य के रेवेन्यू पर फर्क पड़ा। ट्राइबल डेवलेपमेंट डिपार्टमेंट कांग्रेस नेता के अंदर है। पार्टी के नेताओं को उनसे पूछना चाहिए कि सच क्या है। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष बालासाहब थोराट ने हालांकि इस बात से इनकार किया कि राज्य सरकार में कुछ भी ठीक नहीं चल रहा। उन्होंने कहा कि यह चिट्ठी बातचीत के लिए लिखी गई है न कि यह किसी नाराजगी के कारण लिखी गई। उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस को अजित पवार की राय पर भी ध्यान देना होगा क्योंकि वह सरकार में एनसीपी का प्रतिनिधित्व करते हैं न कि मलिक।

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