देश के 8 बीचेज को मिला ‘ब्लू फ्लैग’ का दर्जा

नई दिल्ली,भारत ने आखिरकार इको फ्रेंडली, साफ-सुथरे और अंतरराष्ट्रीय मानकों पर आधारित पर्यटन सुविधाओं से युक्त बीचेज की सूची में जगह बना ली है। ‘ब्लू फ्लैग बीच’ को दुनिया में सबसे साफ समुद्र तट माना जाता है। बीते महीने एफईई (फाउंडेशन फॉर इन्वायरमेन्ट एजुकेशन) की एक अंतरराष्ट्रीय जूरी ने डेनमार्क के वैज्ञानिकों और पर्यावरणविदों की एक राष्ट्रीय जूरी द्वारा की गई सिफारिश को सही ठहराया है, जिसमें भारत के 8 बीचेज को ‘ब्लू फ्लैग बीच’ टैग देने की सिफारिश की गई थी। इनमें से कर्नाटक के दो बीच इंटरनेशनल इको-लेबल – ब्लू फ्लैग के लिए शामिल हैं। ब्लू टैग पाने वाले बीचों में शिवराजपुर (गुजरात), घोघला (दीव), कासरकोड और पदुबिद्री (दोनों कर्नाटक में), कप्पड़ (केरल), रुशिकोंडा (आंध्र), गोल्डन (ओडिशा) और राधानगर (अंडमान) हैं। इसके साथ भारत अब दुनिया के 50 ब्लू फ्लैग देशों में शामिल है।
सोसाइटी फॉर इंटीग्रेटेड कोस्टल मैनेजमेंट के राष्ट्रीय परियोजना निदेशक अरविंद नौटियाल ने बताया कि बीच पर्यावरण और सौंदर्य प्रबंधन सेवाओं परिवार के सदस्यों को जूरी के फैसले की खबर बताई। सिमको एक औपचारिक ब्लू फ्लैग फहराए जाने वाले समारोह की योजना बना रहा है। अंतर्राष्ट्रीय जूरी ने 4664 समुद्र तटों को ब्लू फ्लैग टैग से सम्मानित किया है, इनमें 46 देशों के मरीना और बोअट्स को ब्लू फ्लैग टैग मिला है। स्पेन में ब्लू फ्लैग टैग वाली साइटों की संख्या सबसे अधिक है। भारत के पास 10 अक्टूबर तक कोई ब्लू टैग नहीं था। भारत ने अपने एकीकृत तटीय क्षेत्र प्रबंधन (आईसीजेडएम) परियोजना के तहत अपना खुद का इको-लेबल – बीईएमएस लॉन्च किया। ब्लू फ्लैग सर्टिफिकेशन भारत के आईसीजेडएम प्रोजेक्ट के तहत तैयार की गई परियोजनाओं में से एक थी।
एसआईसीएम के परियोजना अधिकारी अरविंद नौटियाल ने बताया कि बीचेज को पर्यावरण और पर्यटन हितैषी बनाने के लिए ‘ब्लू फ्लैग बीच’ मानकों के तहत संबद्ध समु्द्र तट को प्लास्टिक मुक्त, गंदगी मुक्त, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन से लैस करने, सैलानियों के लिए साफ पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करने, अंतरराष्ट्रीय मानकों के मुताबिक पर्यटन सुविधाएं विकसित करने और समुद्र तट के आसपास पर्यावरणीय प्रभावों के अध्ययन की सुविधाओं से लैस करना होता है। पर्यावरण शिक्षा के लिए फाउंडेशन, डेनमार्क के कोपेनहेगन में मुख्यालय, ब्लू फ्लैग कार्यक्रम का संचालन करता है। यह दुनिया के सबसे मान्यता प्राप्त स्वैच्छिक ईको-लेबल में से एक है।

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