महामारी से निपटने के प्रयासों में संयुक्त राष्ट्र का एक प्रभावशाली रिस्पांस कहां है? – मोदी

नई दिल्ली, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करते हुए कहा कि पिछले 8-9 महीने से पूरा विश्व कोरोना महामारी से संघर्ष कर रहा है, इस वैश्विक महामारी से निपटने के प्रयासों में संयुक्त राष्ट्र कहां है? एक प्रभावशाली रिस्पांस कहां है? मोदी ने कहा कि महामारी के इस मुश्किल समय में भी भारत के दवा उद्योग ने 150 से अधिक देशों को जरूरी दवाइयां भेजीं हैं। मोदी ने कहा, ”विश्व के सबसे बड़े वैक्सीन उत्पादक देश के तौर पर आज मैं वैश्विक समुदाय को एक और आश्वासन देना चाहता हूं। भारत की वैक्सीन प्रोडक्शन और वैक्सीन डिलीवरी क्षमता पूरी मानवता को इस संकट से बाहर निकालने के लिए काम आएगी।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारा मार्ग जनकल्याण से जगकल्याण का है। भारत की आवाज़ हमेशा शांति, सुरक्षा, और समृद्धि के लिए उठेगी। वीडियो कॉन्फ्रेन्सिंग के जरिए हुए इस संबोधन में पीएम मोदी ने कहा,’130 करोड़ से ज्यादा लोगों की तरफ से सभी सदस्य देशों को बहुत बहुत बधाई देता हूं। मै आप सभी के सामने भारत के 130 करोड़ लोगों की भावनाएं साझा करने आया हूं। 1945 से पहले की दुनिया पहले से बहुत अलग थी। उस समय और आज भी क्या संयुक्त राष्ट्र के प्रयास का पर्याप्त थे।’
पीएम मोदी ने कहा, पिछले आठ-नौ महीनों पूरा विश्व कोरोना महामारी से जूझ रहा है। इस दौरान संयुक्त राष्ट्र कहां है? आज संयुक्त राष्ट्र में व्यवस्था बदलाव परिस्थिति की मांग है। स्वरूप में बदलाव की व्यवस्था कब पूरी होगी? भारत के लोग यूएन में सुधारों का इंतजार कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने आगे कहा, एक ऐसा देश यहां विश्व की 18 प्रतिशत से ज्यादा जनसंख्या रहती है। जिस देश में हो रहे परिवर्तनों का प्रभाव दुनिया के बहुत बड़े हिस्से पर प़ड़ रहा है। उस देश को आखिर कब तक इंतजार करना पड़ेगा। ‘UN में भारत की निर्णायक भूमिका कब? ‘ हम पूरे विश्व को परिवार मानते हैं। भारत वो देश है जिसने शांति की स्थापना में सबसे ज्यादा अपने वीर सैनिकों को खोया है। आज प्रत्येक भारतवासी संयुक्त राष्ट्र में अपने योगदान को देखते हुए अपनी व्यापक भूमिका भी देख रहा है।
2 अक्टूबर को अंतराराष्ट्रीय अहिंसा दिवस और 21 जून अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की पहल भारत ने की थी। भारत ने हमेशा पूरी मानव जाति के हित के बारे में सोचा है। ना कि अपने निहित स्वार्थों के बारे में। भारत की नीतियां हमेशा इसी दर्शन से प्रेरित रही है।
इंडो पैसिफिक क्षेत्र के प्रति हमारे विचार में भी हमारे इसी दर्शन की सोच दिखाई देती है। भारत जब किसी से दोस्ती का हाथ बढ़ता है तो वो किसी तीसरे के खिलाफ नहीं होती। भारत जब किसी के साथ विकास की साझेदारी करता है तो उससे किसी साथी देश को पीछे करने की होड़ नहीं होती है।
महामारी के इस मुश्किल समय में भी भारत की फार्म इंडस्ट्री ने दुनिया को दवाई पहुंचाई। भारत की वैक्सीन क्षमता पूरी दुनिया को इससे बाहर निकालेगी। अगले वर्ष जनवरी से भारत सुरक्षा परिषद के अस्थाई सदस्य के तौर पर भी अपना दायित्व निभाएगा। दुनिया के अनेक देशों ने भारत पर जो विश्वास जगाया है मैं उसके लिए सभी साथी देशों का आभार प्रकट करता हूं।
भारत की आवाज हमेशा शांति, सुरक्षा और समृद्धि के लिए उठेगी। भारत की आवाज हमेशा आतंकवाद, अवैध हथियारों की तस्करी और मनी लॉन्ड्रिंग के खिलाफ उठेगी। भारत के अनुभव हमेशा विकासशील देशों को ताकत देंगे। भारत की उतरा चढ़ाव से बढ़ी विकास यात्रा विकास शील देशों को प्ररेणा देगी।
सिर्फ 4-5 साल में 400 मिलियन से ज्यादा लोगों को बैंकिग सिस्टम से जोड़ना आसान नहीं था लेकिन भारत ने ऐसा करके दिखाया। सिर्फ दो तीन साल 500 मिलियन से ज्यादा लोगों को मुफ्त इलाज की सुविधा से जोड़ना आसान नहीं था लेकिन भारत ने ये करके दिखाया। आज भारत डिजिटल ट्रांसिक्शन के मामले में दुनिया के अग्रणी देशों में है। महामारी के बाद बनी परिस्थिति के बाद हम आत्मनिर्भर भारत अभियान के साथ आगे बढ़ रहे हैं। ये ग्लोबल इकोनोमी के लिए भी एक ठोस मल्टिप्लायर होगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *