बस स्टैंड और स्टेशन में नहीं लौट सकी रौनक, बसों और ट्रेनों को नहीं मिल रहे यात्री

जबलपुर, अनलॉक-4 में बस सेवा और चार ट्रेनें शनिवार से शुरू हो गई हैं, पहला दिना निराशाजनक रहा।बसों में यात्री मिले न ट्रेनों में यात्री मिले लिहाजा अतर्राष्ट्रिय बस टर्मिनश (आईएसबीटी) में सन्नाटा पसरा रहा। दमोह, सागर, सतना के उंगलियों पर गिने जाने वाले इक्का दुक्का यात्री बस स्टेंड पहुुंचे लेकिन खर्चा नहीं निकल पाने की स्थिति में बस आपरेटरों ने वहां से बसें नहीं छोड़ीं,लिहाजा यात्री अपने घरों को लौट गये। यहां उल्लेखनीय है कि सरकार द्वारा पांच महीने का टैक्स माफ किये जाने और बस यात्री में वृद्धि किये जाने का आश्वासन दिये जाने के बाद बस आपरेटर ने अपनी हड़ताल समाप्त कर दी।
ट्रेनों में भी कम रहे यात्री
वहीं रेलवे बोर्ड द्वारा मंजूरी दिये जाने के बाद पश्चिम मध्य रेलवे ने चार जोड़ी ट्रेन भी शनिवार से शुरू की उनमें भी यात्रियों की कमी रही।ऐसा ही कुछ हाल ट्रेनों का भी रहा, शनिवार की सुबह १०.३० बजे मदन महल पहुंची।रीवा-जबलपुर इंटरसिटी एक्सप्रेस ट्रेन में केवल ६५ सवारी ही जबलपुर स्टेशन तक आई।यहीं हाल सिंगरौली इंटरसिटी का रहा और इससे भी खराब हाल ओव्हरनाईट एक्सप्रेस का रहा।
अब ड्राईवर,कंडेक्टर हड़ताल की तैयारी में
खबर है कि पांच माह से बेरोजगारी काट रहे बसों के चालक परिचालक अब सोमवार से हड़ताल पर जाने का मन बना रहे हैं, यदि ऐसा हुआ तो एक बार फिर से बसों के पहिये कुछ दिनों के लिए फिर थम सकते हैं। जिला चालक परिचालक संघ के अध्यक्ष डीके मिश्रा का कहना है कि शासन ने बस ऑपरेटरों का १ अप्रैल से ३० अगस्त तक का ५ माह का टैक्स माफ कर दिया है जिससे बस मालिकों को बहुत राहत मिल गई है लेकिन बस लेकर चलने वाले चालक परिचालकों को जो ५ माह से वेतन नहीं दिया गया है उसके बारे में अब तक किसी ने नहीं सोचा है।३ माह के वेतन की मांग को लेकर सोमवार से ड्राईवर कंडेक्टर भी हड़ताल पर जाने की तैयारी में हैं।
कोरोना का डर
एसआईबीटी में यात्रियों के पहुंचने का एक कारण कोरोना का डर भी बतााय जा रहा है। कोरोना संक्रमण के फैलने के डर के कारण यात्रियों में बसों में सफर करने का भय बना हुआ है। वहीं दूसरा कारण जानकारी का अभाव भी बताया जा रहा है। बस ऑपरेटरों का कहना है कि अभी भी अधिकांश यात्रियों को बसों के संचालन की जानकारी नहीं है जिसके कारण भी शनिवार को पहले दिन बसों को यात्रियों का इंतजार करना पड़ रहा है।

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