भोपाल, सरकार ने एक बार फिर प्रदेश के सभी जिलों में यात्री बसें चलाने के निर्देश दिए हैं। अंतरराज्यीय बसों पर प्रतिबंध रहेगा। उधर, बस ऑपरेटर छह महीने का टैक्स माफ किए जाने की मांग पर अड़े हैं। ऐसे में यात्री बसों का संचालन अब भी मुश्किल है।
दरअसल, सरकार ने 50 फीसद यात्री संख्या के साथ बसें चलाने के निर्देश पिछले महीने जारी किए थे। गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव एसएन मिश्रा ने एक बार फिर यात्री बसें चलाने के निर्देश जारी किए हैं। उधर, बस ऑपरेटर बसें चलाने को तैयार नहीं हैं। बस ऑपरेटरों का कहना है कि उन्हें पहले ही करोड़ों रुपए का नुकसान हो चुका है। बसें चलाईं तो आगे और अधिक नुकसान होगा। इसलिए सरकार पहले अप्रैल से जून तक का परमिट टैक्स माफ करे, साथ ही जुलाई से अक्टूबर तक की टैस माफी का आश्वासन दे। इसके अलावा यात्रियों की आधी संख्या के साथ बसें चलाने पर होने वाले नुकसान की भरपाई (प्रति बस के हिसाब से 5 हजार रुपए) अदा करे।
ये तीन मांगें पूरी होने के बाद ही बसें चलाएंगे। बता दें कि बस ऑपरेटर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से लेकर परिवहन विभाग के अधिकारियों तक से मुलाकात कर चुके हैं, कोई हल नहीं निकला है, इसलिए वे बसें चलाने के लिए तैयार नहीं हैं। प्रदेश में लॉकडाउन के बाद से ही बसें बंद हैं।
हर माह मिलता है 65 करोड़ का परमिट टक्ैस
बस ऑपरेटरों का कहना है कि प्रदेश में 35 हजार बसें हैं। बस मालिक हर महीने 65 करोड़ टैक्स चुकाते हैं, जो कि लॉकडाउन की वजह से नहीं चुका पाए हैं। अप्रैल से जून के बीच तीन माह का टैक्स माफ करने की फाइल सरकार के पास लंबित है, जिस पर निर्णय नहीं होने से ऑपरेटर ज्यादा नाराज हैं। बस ड्राइवर, कंडक्टर व अन्य कर्मचारियों का कहना है कि बसें चलाईं तो कई तरह के यात्री बैठेंगे। संक्रमित यात्री बस में बैठ गए तो कोरोना संक्रमण से मुश्किलें बढ़ जाएगी। इसलिए सरकार उन्हें कोरोना कल्याण योजना में शामिल करे, तब वे बसों पर सेवाएं दे सकेंगे।